रविवार, 23 जून 2019

रेल नेटवर्क से जुड़ेगी पूर्वोत्तर के सभी राज्यों की राजधानियां


पटरी पर उतारी गई कई परियोजनाएं पूरी और कुछ पर तेजी से जारी है काम
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार देश के दुर्गम क्षेत्रो तक रेल नेटवर्क का जाल बिछाने की दिशा में चला रही योजनाओं में पूर्वोत्तर के सभी राज्यों की राजधानियों को भी रेल संपर्क मार्ग से जोड़ने की योजनाएं पटरी पर उतार चुकी है, जिनमें ज्यादातर काम पूरा हो चुका और बाकी परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है।
यह जानकारी शुक्रवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों के सवाल के जवाब में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने दी है। उन्होंने बताया कि रेलवे के दृष्टि पत्र-2020 के तहत केंद्र सरकार ने सिक्किम में पहले चरण में नई लाइन का कार्य रंगपो तक स्वीकृत किया गया है। इसके अलावा पूर्वोत्तर राज्यों की सभी राजधानियों को जोड़ने की योजना में असम, अरुणाचल प्रदेश एवं त्रिपुरा राज्यों में बड़ी लाइन रेल नेटवर्क बिछाया जा चुका है। उन्होंने बताया कि पिछले पांच साल के दौरान अवसंरचना और संरक्षा परियोजनाओं को तेजी से करने पर जोर दिया गया है। वहीं अवसंरचना संबंधी परियोजनाओं के वित्तसपोषण में काफी वृद्धि की गई है। नई लाइन, आमान परिवर्तन, दोहरीकरण अवसंरचना संबंधी परियोजनाओं में 2014-19 के दौरान औसत वार्षिक व्यय 25,894 करोड़ रुपये रहा है। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में नाहरलगुन (ईटानगर की उपनगरीय सिटी) तक फरवरी 2015 में एक बड़ी लाइन शुरू की गई थी, जिसे प्रधानमंत्री जी द्वारा नाहरलगुन (ईटानगर) से नई दिल्ली तक पहली बड़ी लाइन की गाड़ी को हरी झंड़ी दिखाई गई थी। ब्रह्मपुत्र नदी पर बोगीबील पुल का लंबे समय से शेष बचे कार्य को 2018 में पूरा किया गया था, जिसके परिणामस्वपरूप डिब्रूगढ़ से नाहरलगुन (ईटानगर) तक की यात्रा दूरी में 705 किमी की (गुवाहाटी के रास्तेल) और कमी आई है। इसी प्रकार त्रिपुरा (अगरतला) राज्य की बड़ी लाइन की पहली ट्रायल रेलगाड़ी की अगवानी की थी और 31 जुलाई 2016 को दिल्ली के लिए पहली बड़ी लाइन की यात्री गाड़ी (लंबी दूरी) का शुभारम्भ की गई। इसके अलावा मणिपुर, मेघालय, मिजोरम और नागालैंड जैसे राज्यों की राजधानी को रेल नेटवर्क से जोड़ने के लिए करोड़ो रुपये की परियोजनाएं चलाई गई है, जिनका काम तेजी के साथ जारी है। 

कुछ राज्यों में, मुख्यत: भूमि अधिग्रहण में विलंब और कानून एवं व्यवस्था संबंधी समस्याओं के कारण राजधानियों तक रेल संपर्क के लिए नई रेल लाइन परियोजनाओं की प्रगति बाधित हुई है। राजधानी से जोड़ने की ये सभी परियोजनाएं हिमालय के पहाड़ी क्षेत्र में होने के कारण इनमें बड़ी संख्या में सुरंगें और बड़े पुल बनाने का कार्य शामिल है, जिनमें बहुत ही चुनौतीपूर्ण भौगोलिक स्थितियों में बहुत ही ऊंचे पुल भी हैं।  पूर्वोत्तर राज्यों की शेष राजधानियों अर्थात मेघालय (शिलांग) मणिपुर (इम्फाल), नागालैंड (कोहिमा), मिजोरम (आइजावाल) और सिक्किम(गंगटोक) को जो़डने के लिए नई बड़ी लाइनों के कार्य शुरू कर दिए गए हैं। इन परियोजनाओं की मौजूदा स्थिति सहित इनका ब्यौरा निम्नाहनुसार है:-
(1) मणिपुर : मणिपुर राज्यु में जिरीबाम से इम्फाल (110.62 किमी)  तक बड़ी लाइन की परियोजना 2003-04 में स्वीपकृत की गई थी। परियोजना की नवीनतम प्रत्या0शित लागत 13,809 करोड़ रु. है और 31.03.2019 तक परियोजना पर 6,969.49 करोड़ रु. खर्च हो चुके  हैं।
जिरीबाम से वांगाइचुंगपो (12 किमी) का खंड मार्च, 2017 में शुरू किया गया था और वांगाइचुंगपो-तुपुल-इम्फाेल (98.62 किमी) की पूरी लंबाई में कार्य शुरू कर दिया गया है। परियोजना के 102.62 किमी में भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा हो गया है और 8 किमी लंबे  शेष भूमि अधिग्रहण का कार्य भी शुरू हो चुका है। रेलवे को पूरी भूमि सौंपे जाने के बाद पूरा करने का लक्ष्यर 3 वर्ष है।
(2) मिज़ोरम: मिज़ोरम में भैराबी से सारंग (51.38 किमी) (आइजल का उपनगरीय शहर, मिज़ोरम की राजधानी) तक बड़ी आमान लाइन संपर्कता की परियोजना वर्ष 2008-09 में स्वीोकृत की गई थी। परियोजना की नवीनतम प्रत्यािशित लागत 4,968 करोड़ रु. है और भूमि  2014-15 में उपलब्ध  हो सकी तथा 2015-16 से कार्य में गति आई है एवं 31.03.2019 तक परियोजना पर 1,958.09 करोड़ रु. खर्च हुए हैं।
 इस परियोजना की समग्र लंबाई पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है और 80%  सुरंग निर्माण का कार्य पूरा हो गया है तथा 6 बड़े पुलों का कार्य शुरू कर दिया गया है। परियोजना को पूरा करने के लिए शेष 53.90 हैक्टेोयर भूमि के अधिग्रहण का कार्य शुरू कर दिया गया है। रेलवे को समग्र भूमि सौंपने के बाद संपूर्ण परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य् 2 वर्ष है। 
(3) नागालैंड: दीमापुर (धनसारी) से बड़ी आमान लाइन संपर्कता परियोजना- नागालैंड में जुब्जाप  (कोहिमा) (82.50 किमी) (कोहिमा का उपनगरीय शहर, नागालैंड की राजधानी) को वर्ष 2006-07 में स्वीलकृत किया गया था। परियोजना की नवीनतम प्रत्या शित लागत 3,000 करोड़ रु. है और सितम्बार, 2018 से कार्य में गति आई है तथा 31.03.2019 तक परियोजना पर 626.67 करोड़ रु. का व्यलय किया गया है।
इस परियोजना की समग्र लंबाई पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। परियोजना को  पूरा करने के लिए शेष 6 किमी लंबी भूमि के अधिग्रहण का कार्य शुरू कर दिया गया है। रेलवे को समग्र भूमि सौंपने के बाद संपूर्ण परियोजना को पूरा करने का लक्ष्यर तिथि 3 वर्ष है। 
(4) मेघालय: मेघालय की राजधानी को संपर्कता मुहैया कराने के लिए बड़ी आमान की दो परियोजनाओं का कार्य शुरू किया गया है।
(i) तेतेलिया से नई बड़ी आमान लाइन- मेघालय में बर्नीहाट (21.50 किमी) को वर्ष 2006-07 में स्वी)कृत किया गया था। परियोजना की नवीनतम प्रत्यायशित लागत 1,532 करोड़ रु. है और  2014-15 से कार्य में गति आई है, 10 किमी लंबी तेतेलिया से कामलाजारी तक असम राज्यक में पड़ने वाली परियोजना को अक्टू बर, 2018 में पूरा कर लिया गया है तथा 31.03.2019 तक 515.82 करोड़ रु. का व्य्य किया गया है। कुछ संगठन आपत्ति कर रहे हैं कि रेल संपर्कता से बाहरी व्य क्तियों का प्रवेश बढ़ सकता है और इस कारण परियोजना को कुछ स्था नीय प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है। अब, मामले का शीघ्र समाधान करने की कार्रवाई की गई है। कार्य को पूरा करने की लक्षित तिथि निर्धारित नहीं है, रेलवे को समग्र भूमि वास्तधविक रूप से सौपनें के बाद ही इस पर निर्णय लिया जाएगा।
(ii) बर्नीहाट से शिलॉग (108.40 किमी) तक नई बड़ी आमान लाइन को वर्ष 2010-11 में स्वीiकृत किया गया था। परियोजना की नवीनतम प्रत्याेशित लागत 6,000 करोड़ रु. है और 31.03.2019 तक परियोजना पर 252.68 करोड़ रु. खर्च हो गए हैं। कार्य को पूरा करने की लक्षित तिथि निर्धारित नहीं है, रेलवे को समग्र भूमि वास्त8विक रूप से सौपनें के बाद ही इस पर निर्णय लिया जाएगा।
(5) सिक्किम: सिवोक से रंगपो (44.39 किमी) तक बड़ी आमान संपर्कता की परियोजना को वर्ष 2008-09 में स्वीककृत किया गया था। परियोजना की नवीनतम प्रत्या़शित लागत 4,085.69 करोड़ रु. है और 31.03.2019 तक परियोजना पर 554.46 करोड़ रु. खर्च हो चुके हैं।
फिर भी, परियोजना लंबे समय से अटकी हुई है क्यों कि पश्चिम बंगाल सरकार ने रेलवे को बाधा रहित भूमि (वृक्षों के कटने के बाद 77.78 हैक्टेपयर वन भूमि) नहीं दी है, जिसके कारण, समय पर ठेके को अंतिम रूप देना कठिन हो रहा है। इस मामले को पश्चिम बंगाल सरकार के साथ लगातार से उठाया जा रहा है। परियोजना को पूरा करने की लक्षित तिथि रेलवे को समग्र भूमि वास्ताविक रूप से सौपनें के बाद 3 वर्ष है।
22June-2019 




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