रिहाई
के इंतजार में 306 विदेशियों को मिली कंसुलर संपर्क की अनुमति
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश
में जेल आधुनिकीकरण और उनकी क्षमता बढ़ाने जैसी सुधार योजनाओं के बावजूद जेलों पर क्षमता
से अधिक कैदियों का बोझ बरकरार है। इन कैदियों के बोझ में 6,161 विदेशी कैदी भी
बंद हैं। इनमें से 2353 कैदियों पर दोषसिद्ध हो चुका है, जबकि 3908 विचाराधीन
कैदियों को अपनी रिहाई का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि विदेशी कैदियों के मामलों के
निपटारे की दिशा में केंद्र सरकार ने पिछले दिनों 306 कैदियों को नई दिल्ली में
संबन्धित देशों के दूतावासों से कंसुलर संपर्क की इजाजत भी दी है।
केंद्रीय
गृह मंत्रालय पहले ही मान चुका है कि देशभर की जेलों में चल रही सुधार और
आधुनिकीकरण की योजनाओं के बावजूद विचाराधीन कैदियों की बढ़ती संख्या के कारण
कैदियों का बोझ लगातार बढ़ रहा है। गृह मंत्रालय के अनुसार जेलों में बढ़ रहे
कैदियों के क्षमता से भी ज्यादा बोझ का कारण अदालतों में लंबित करोड़ो मामले भी
हैं। मंत्रालय के अनुसार भारतीय जलों में बंद डेढ़ दर्जन से ज्यादा देशों के 6,161
कैदी विभिन्न राज्यों की जेलों में बंद हैं, जिनमें से ट्रायल के बाद 2353 कैदियों
अपराध सिद्ध भी हो चुके हैं। जबकि 3908 विचाराधीन कैदियों के रूप में जेलों में
बंद हैं। ऐसे विचाराधीन कैदियों को केंद्र सरकार ने वर्ष 2018 में दिसंबर तक नई
दिल्ली स्थित संबन्धित देशों के दूतावासों के अधिकारियों या मिशनों से विचार
विमर्श करने की दृष्टि से कंसुलर संपर्क की अनुमति दी है। मंत्रालय के अनुसार
भारतीय जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की रिहाई जल्द होने की दिशा में मंत्रालय
ने आईपीसी में धारा 436के को शामिल करने की पहल की है, ताकि समीक्षा करके
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण अधिवक्ताओं के माध्यम से निशुल्क कानूनी मदद के
बाद दोषमुक्त होने पर उनकी रिहाई सुनिश्चित कर सके। इसके लिए सरकार द्वारा विकसित
की गई आईटी सोल्यूशन ई-कारागार की पहल भी की गई है।
बांग्लादेशी कैदियों की भरमार
भारतीय
जेलों में बंद विदेशी कैदियों में सर्वाधिक 2579 कैदी बांग्लादेश के विचाराधीन
हैं। जबकि इसके बाद 361 नेपाल, 340 नाइजीरिया, 177 अफ्रीका, 113 पाकिस्तान, 41
म्यांमार, 36 श्रीलंका के अलावा बाकी अमेरिका, कनाड़ा, रूस, जापान, चीन, मध्य
पूर्वी देश, मालद्वीप, दक्षिण पूर्वी ऐशियन देश, आस्ट्रेलिया और अन्य कई देशों के
शामिल हैं।
दोषसिद्ध में भी बांग्लादेशी
अव्वल
देश
की जेलों में विचाराधीन कैदियों के अलावा 2353 अपराधी घोषित हो चुके विदेशी
कैदियों में सर्वाधिक 1453 बांग्लादेशी बंद हैं। जबकि 376 अपराधी म्यांमार, 228
नेपाल, 97 पाकिस्तान, 59 नाइजीरिया, 30 श्रीलंका, 12 दक्षिणी पूर्वी एशियन देश, 18
अफ्रीका, दो-दो अमेरिका, कनाड़ा व रूस के अलावा एक-एक मध्य पूर्वी देश, चीन, जापान
के साथ 31 अन्य देशों के कैदी बंद हैं।
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क्षमता से अधिक कैदी
देशभर
में करीब 1412 जेलों की क्षमता 380876 है, जिसमें 354808 पुरुष और 26068 महिलाओं की
क्षमता हे। लेकिन इसके बावजूद इन जेलों में 433003 कैदी बंद हैं यानि 53127 कैदी
क्षमता से ज्यादा जेलों में सलाखों के पीछे हैं। इनमें 50 फीसदी से ज्यादा कैदी
उम्र कैद की सजा काट रहे हैं।
11Feb-2019
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