शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019

महत्वपूर्ण बिलों पर आसान नहीं सरकार की डगर!

संसद का बजट सत्र: दस बैठकों के एजेंडे में शामिल 46 विधेयक
अंतरिम बजट व राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पास कराना जरूरी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। 
राष्ट्रपति के अभिभाषण से शुरू हुए संसद के बजट सत्र में विपक्षी दलों के आक्रमक तेवरों को देखते हुए भारी भरकम एजेंडे के साथ संसद में आई मोदी सरकार के सामने महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराना किसी चुनौती से कम नहीं है। जबकि इस सत्र के दौरान होने वाली मात्र दस बैठकों में सरकार के सामने जहां अंतरिम बजट और राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव को पारित कराना जरूरी है, इसके बावजूद सरकार ने सत्र के एजेंडे में 46 विधेयकों को शामिल किया है, जिनमें शीतकालीन सत्र में लंबित रहे तीन तलाक संबन्धी विधेयक समेत तीन अध्यादेशो को कानून का रूप देना भी एक टेढ़ी खीर जैसा होगा।
गुरुवार को शुरू हुए संसद के बजट सत्र की कार्यवाही 13 फरवरी तक चलेगी, जिसमें केवल दस बैठकें होनी है। इन दस बैठकों में केंद्र सरकार जिस भारी भरकम एजेंडे के साथ संसद में आई है, उसमें जहां कल शुक्रवार को पेश होने वाले अंतरिम बजट और आज गुरूवार को केंद्रीय कक्ष में संयुक्त सदनों की बैठक में राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव को पारित करना जरूरी होगा। इसके अलावा सरकार के एजेंडे में 46 विधेयक शामिल हैं, जिनमें ज्यादातर संसद के दोनों सदनों में लंबित महत्वपूर्ण विधेयकों को सरकार मौजूदा कार्यकाल के अंतिम सत्र में पारित कराना चाहती है, लेकिन विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने के इरादे से लामबंद विपक्षी दलों के तीखे तेवरों को देखते हुए सरकार के सामने मुश्किलें ज्यादा हैं। मसलन बजट सत्र में सरकार के सामने सत्र के दौरान समय कम है और कामकाज का बोझ अधिक है। दूसरी ओर विपक्षी दलों के दोनों सदनों में हंगामा करने के आसार को देखते हुए केंद्र सरकार की संसद में कामकाज को निपटाने की राह में कदम दर कदम कांटे नजर आ रहे हैं।
सरकार की प्राथमिकता में रहेंगे ये विधेयक
संसद का यह बजट सत्र मुख्य रूप से वर्ष 2019 के लिए अंतरिम बजट से संबंधित वित्तीय कारोबार के लिए समर्पित होगा। सत्र के दौरान होने वाली बैठकों के दौरान अंतरिम बजट व राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के अलावा विधायी कार्यो में सरकार का जिन पर फोकस रहेगा, उनमें शीतकालीन सत्र के दौरान लंबित रहे तीन विधेयकों पर फिर से लाए गये अध्यादेशों में मुस्लिम महिलाओं (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश-2019, भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) अध्यादेश और कंपनी (संशोधन) अध्यादेश-2019 को विधेयकों में तब्दील कराकर उन्हें पारित करना है।  इसके अलावा शीतकालीन सत्र में लोकसभा से पारित होकर राज्यभा में अटके कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों में किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक-2018, व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक-2018, मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक-2017, नागरिकता (संशोधन) विधेयक-2019, आधार और अन्य कानून (संशोधन) विधेयक-2019, पंचाट और सुलह (संशोधन) विधेयक-2018, नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र विधेयक-2019, उपभोक्ता संरक्षण विधेयक-2018, दंत चिकित्सक (संशोधन) विधेयक-2017, बांध सुरक्षा विधेयक-2018, डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग) और आवेदन) विनियमन विधेयक-2019, व्यक्तिगत कानून (संशोधन) विधेयक-2019, जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक-2018 और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक-2017 को पारित कराना सरकार की प्राथमिकता होगी।
वित्तीय विधेयक भी होंगे पारित                    
संसद के बजट सत्र के दौरान वर्ष 2018-19 के लिए अनुदान के लिए तृतीय बैच अनुपूरक मांगों पर चर्चा और मतदान और संबंधित विनियोग विधेयक को पेश किया जाएगा, जिसे चर्चा के बाद पारित कराया जाना है। वहीं इसके साथ ही अंतिरम बजट के साथ वर्ष 2019-20 के लिए खाते पर अनुदान की मांगों पर चर्चा और मतदान और संबंधित विनियोग विधेयक को भी चर्चा के बाद पास कराना इसलिए जरूरी होगा।
01Feb-2019
 


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