गुरुवार, 7 फ़रवरी 2019

परिवहन क्षेत्र में जल्द शुरू होगी ब्रिटेन की प्रणाली

कुछ चुनिंदा शहरों में वैकल्पिक ईंधन से होगा बसों का संचालन
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।  
देश में सड़कों की क्षमता का बेहतर सुरक्षा के साथ इस्तेमाल की दिशा में पिछले साल ब्रिटेन की ट्रांसपोर्ट फॉर लंदन (टीएफएल) के साथ हुए करार के तहत सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में सुधार की दिशा में योजना का खाका तैयार कर लिया गया है, जिसके लिए देश के कुछ चुनिंदा शहरों में इलेक्ट्रिक और जैव ईंधन वाली बसों को जल्द चलाने की योजना है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारी ने इस संबन्ध में हरिभूमि संवाददाता को जानकारी दी है कि देश में किफायती, प्रदूषणमुक्त और पेट्रोलियम उत्पादों की वैकल्पिक ईंधन के अलावा इलेक्ट्रिक बसों को देश में चलाने की योजना है। देश की सार्वजिनक परिवहन प्रणाली को सुरक्षा और पर्यावरण की दृष्टि से ब्रिटेन के लंदन शहर में तकनीकी आधार पर मजबूत और भरोसेमंद सार्वजनिक परिवहन प्रणाली स्‍थापित कर अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने वाली कंपनी ‘ट्रांसपोर्ट फॉर लंदन’ के साथ करार किया था, जिसके तहत इस तकनीक का इस्तेमाल भारत की सड़कों और संचालित सार्वजनिक वाहनों में करने के लिए मंत्रालय में पूरा खाका तैयार किया जा चुका है। इसके तहत टीएफएल की तकनीक से वैकल्पिक ईंधन इसने एकल ब्रांड के तहत करीब डेढ़ दर्जन ऑपरेटरों के साथ पीपीपी मॉडल में बसों के संचालन की एक अनूठी प्रणाली तैयार की गई है, ताकि देश के कुछ चुनिंदा शहरों में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में आमूलचूल बदलाव लाने के लिए टीएफएल की विशेषज्ञता वाली तकनीक का इस्तेमाल किया जा सके।
इन शहरों से होगी शुरूआत
इस तकनीक की शुरूआत आंध्रप्रदेश और महाराष्‍ट्र के कुछ बड़े शहरों की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में की जाएगी। परामर्श सेवा के जरिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय सार्वजनिक परिवहन नीति में सुधार लाने में महाराष्‍ट्र और आंध्र प्रदेश को और उनके राज्य परिवहन उपक्रमों (एसटीयू) को सहायता देगा। इसके बाद इस तकनीक का इस्तेमाल अन्य राज्यों में किया जाएगा। मंत्रालय के अनुसार हालांकि नागपुर में फल, मटन वेस्ट आदि से जैव-सीएनजी का उत्पादन शुरू किया रहा है, जहां इंटर सिटी परिवहन में शामिल सार्वजनक परिवहन में शामिल वाहनों के लिए इंजन आदि आसानी से उपलब्ध हैं। मंत्रालय ने कुछ उन अध्ययनों का भी संज्ञान लिया है जिसमें पारंपरिक मेट्रो के लिए प्रति किलोमीटर के निर्माण पर आने वाली 350 करोड़ रुपये की लागत के मुकाबले ब्रॉड-गेज मेट्रो पर केवल 3 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
संसाधन खरीद का अनुबंध
मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय मंत्री गडकरी ने इसी सप्ताह यहां दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र की प्रभावशीलता और दक्षता बढ़ाने के लिए विश्व बैंक से प्रतिपूर्ति परामर्श सेवाओं के तत संसाधनों की खरीद हेतु कानूनी अनुबंध भी किया है, ताकि राज्यों को विशेष रूप से अपने शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन संबंधी कार्यनीति में सुधार लाने में आसानी हो सके। मंत्रालय के अधिकारी का कहना है कि देश में यात्री परिवहन के लिए सार्वजनिक परिवहन का अंश बढ़ाने की दिशा में देश में सड़कों की उत्‍पादकता और प्रवाह क्षमता को भी बेहतर तकनीक से बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। 
03Feb-2019

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें