वैज्ञानिक
जांच रिपोर्ट में हुआ हादसों के कारणों का खुलासा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
'राष्ट्रीय
सड़क सुरक्षा सप्ताह' में सड़क हादसों के आंकड़ो को लेकर किये गये अध्ययन में
सामने आया है कि देश में हो रहे सड़क हादसों का बड़ा कारण वाहनों की तेज रफ्तार
है। हालांकि इसके अन्य कारणों को भी यहां एक समारेाह में विशेषज्ञों ने सार्वजनिक
किया है।
केंद्रीय
सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा आयोजित 'राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह' के तहत
सर्वाधिक के तहत यहां अंतर्राष्ट्रीय सड़क महासंघ के 'ट्रॉमा केयर-ए नेशनल मिशन' विषय
पर हुई एक सेमिनार में जेनेवा स्थित ग्लोबल रोड सेफ्टी बॉडी और बेहतर और सुरक्षित सड़कों
के लिए काम करने वाली इस संस्था ने केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और विश्व
बैंक के एक अध्ययन और शोध की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया, जिसमें देश में होने वाले
सड़क हादसों के के पीछे के बड़े कारणों में से वाहनों की तेज रफ्तार ज्यादा खतरनाक
साबित हो रही है। हालांकि सड़क हादसों में खराब सड़क और यातायात नियमों के उल्लंघन
भी इनकी वजहों में शामिल हैं। सेमीनार में अध्ययन व शोध के आंकड़े देते हुए
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय में अतिरक्त सचिव सुश्री लीना नंदन ने कहा कि तेज रफ्तार
के कारण सर्वाधिक 23 फीसदी हादसे सामने आए हैं, जबकि शराब पीकर वाहन चलाने से 15 फीसदी,
ओवरटेकिंग करने से 13 फीसदी, लापरवाही से वाहन चलाने से 9 फीसदी और सड़क की खराब हालत
एवं गड्ढों के कारण 6 फीसदी सड़क हादसे होना पाया गया है। उन्होंने कहा कि हालांकि
इसके अलावा हुई हैं। रोड रेज, हिंसक व्यवाहर
और चालक की थकान के कारण 3 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं आंकी गई हैं। स्टंट करने, गलत साइड
पर वाहन चलाने के अलावा वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने से भी तीन-तीन
फीसदी हादसे हुए हैं।
मंत्रालय
की अतिरक्त सचिव सुश्री नंदन ने कहा कि सरकार के 2020 तक सड़क हादसों में 50 फीसदी
कमी लाने के संयुक्त राष्ट्र के तहत लक्ष्य हासिल किया है, जिसके लिए जेनेवा स्थित
ग्लोबल रोड सेफ्टी बॉडी और बेहतर और सुरक्षित सड़कों के लिए यह संगठन भी काम कर रहा
है। सुश्री लीना नंदन ने कहा कि एनएचएआई सड़क निर्माण कंपनियों, राज्य परिवहन प्राधिकरण,
सीपीडब्लयूडी, परिवहन विभागों, अस्पतालों, एम्बुलेंस सेवाओं, पुलिस, एनजीओ और नगर निकायों
के साथ मिलकर सड़क सुरक्षा के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर
रहा है। वहीं केंद्रीय मंत्रालय के साथ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और विश्व
स्वास्थ्य संगठन ने सड़क सुरक्षा इंजीनियरिंग को बढ़ावा देने पर बल दिया है।
हिमाचल में इस कारण हुए ज्यादा
हादसे
सड़क
परिवहन और और विश्व बैंक के एक अध्ययन और शोध में पाया गया है कि हिमाचल प्रदेश के
मंडी जिले में पिछले दो साल में अधिकतम सड़क दुर्घटनाओं का कारण दो पहिया सवार
वाहनों को चलाने वालों के हेलमैट न पहनना बताया गया है। अंतर्राष्ट्रीय सड़क महासंघ
के चेयरमैन केके कपिला ने कहा कि उचित वैज्ञानिक जाँच के बिना वर्तमान में हमें सटीक
डेटा नहीं मिलता है जिसमें दुर्घटना का सही स्थान भी शामिल है। देश के विभिन्न हिस्सों
में सड़कों पर। उचित जांच के बिना हम दुर्घटनाओं का सही कारण नहीं खोज सकते और कोई
उपाय नहीं कर सकते। इस सेमीनार में विशेषज्ञों ने सड़क दुर्घटना पीड़ितों की जान बचाने
के लिए भारत में ट्रामा केयर इनिशिएटिव्स, देशव्यापी कार्यान्वयन में चुनौतियां, ट्रॉमा
केयर फॉरवर्डिंग- कॉरपोरेट्स और स्टार्ट अप्स की भूमिका और राष्ट्रीय आपातकालीन देखभाल
जैसी योजनाओं पर भी चर्चा की।
10Feb-2019
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