गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

संसद में कामकाज पर मुश्किल में सरकार!

आखिर तीन दिनों में कैसे निपटेगा एजेंडे में शामिल काम
सात दिन में संसद में कुछ भी विधायी कार्य पर नहीं लगी मुहर
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।  
संसद के बजट सत्र के अब केवल तीन दिन बाकी हैं।  संसद में विभिन्न मुद्दो पर बरकरार विपक्ष के साथ जारी गतिरोध के चलते सरकार पिछले सात दिन की कार्यवाही में एक भी विधायी कार्य आगे नहीं बढ़ा सकी है।जबकि लोकसभा में पारित राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में चर्चा तक नहीं हो पायी, जबकि अंतरिम बजट दोनों सदनों में पारित होना बाकी है। सरकार के एजेंडे में शामिल 46 विधेयक को आगे बढ़ाने की तो इन तीन दिनों में दूर की कोड़ी नजर आ रही है।
राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ 31 जनवरी से शुरू हुए संसद के बजट सत्र में एक फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया गया था, जिसकी लोकसभा में चर्चा जारी है। जबकि लोकसभा में पारित राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पारित हो चुका है। उधर राज्यसभा में अभी दोनों पर चर्चा है,लेकिन संविधानविदों का कहना है कि अंतरिम बजट चूंकि लेखानुदान के रूप में पेश किया गया है, जिसे राज्यसभा में बिना चर्चा के पारित किया जा सकता है, लेकिन राज्यसभा में राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर अधूरी चर्चा को संक्षिप्त करने का प्रयास करके उसे पारित कराना जरूरी है। गौरतलब है कि सरकार इस चालू सत्र में लोकसभा और राज्यसभा में लंबित महत्वपूर्ण विधेयकों समेत कुल 46 विधेयकों को पास कराने के मकसद से लेकर आई है, जिनके पारित होने की संभावनाएं क्षीण नजर आ रही हैं। गौर करने वाली बात यह है कि यह सत्र लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के लिए अंतिम सत्र है, जिसके बाद दर्जनों विधेयक स्वत: ही अस्तित्व से बाहर हो जाएंगे।
आज संसद में भारी कामकाज
सोमवार से आठवें दिन दोनों सदनों की कार्यवाही के लिए सरकार भारी कामकाज के साथ आ रही है, लेकिन विपक्ष से जारी तकरार के चलते इस कामकाज का निपटारा करने में सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। लोकसभा में सोमवार को जहां अंतरिम बजट की जारी चर्चा पूरी कराई जानी है, वहीं लेखानुदान मांगों और अनुदानों की अनुपूरक मांगों पर चर्चा व मतदान कराना भी कार्यसूची में शामिल है। जबकि विधायी कार्यो में लोकसभा में वित्त मंत्री के रूप में पीयूष गोयल विनियोग (लेखानुदान) विधेयक तीन भागों में पेश करेंगे। दूसरी ओर राज्यसभा में सोमवार को जहां राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा को आगे शुरू किया जाना है, वहीं विधायी कार्यो में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अनिवासी भारतीय विवाह रजिस्ट्रीकरण विधेयक और आदिवासी मामलों के मंत्री जुएल ओराम संविधान-अनुसूचित जनजातियां आदेश-तीसरा (संशोधन) विधेयक पेश करेंगे। इसके अलावा दोनों सदनों में विभिन्न विभागों पर संसदीय समितियों की रिपोर्ट, महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा जैसे अनेक महत्वपूर्ण कार्य भी कार्यावली में शामिल किये गये हैं।
अध्यादेशों को कानून में बदलने पर संकट
संसद के बजट सत्र में सरकार के एजेंडे में 46 विधेयकों के अलावा शीतकालीन सत्र में लंबित रहे विधेयकों में मुस्लिम महिलाओं (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश-2019, भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) अध्यादेश और कंपनी (संशोधन) अध्यादेश-2019 को विधेयकों में तब्दील कराना भी एक टेढ़ी खीर साबित होता नजर आ रहा है। इसका कारण विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने के इरादे से लामबंद विपक्षी दलों के तीखे तेवरों को देखते हुए सरकार के सामने मुश्किलें ज्यादा हैं। ऐसे में संसद में विपक्षी दलों के दोनों सदनों में हंगामा करने के आसार को देखते हुए केंद्र सरकार की संसद में कामकाज को निपटाने की राह में कदम दर कदम कांटे नजर आ रहे हैं।
11Feb-2019

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