शनिवार, 29 नवंबर 2014

कोर्ट के आर्थिक क्षेत्र में होगी दस गुणा बढ़ोतरी!

दिल्ली उच्च न्यायालय में आर्थिक मामलों का कम होगा बोझ
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद में लंबित दिल्ली उच्च न्यायालय(संशोधन) विधेयक को संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पारित कराए जाने की संभावनाएं हैं। इस विधेयक के पारित होने से दिल्ली हाई कोर्ट और दिल्ली के 11 जिला न्यायालयों के आर्थिक क्षेत्राधिकार को दस गुणा बढ़ाने का प्रावधान किया गया है।
केंद्र सरकार का प्रयास है कि इस विधेयक को मौजूदा संसद के सत्र में ही पारित कर दिया जाए। सरकार के इन इरादों के मुताबिक शुक्रवार को इस विधेयक की जांच पड़ताल कर रही विधि और न्याय संबन्धी संसदीय स्थायी समिति ने दिल्ली उच्च न्यायालय (संशोधन) विधेयक-2014 पर अपनी रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में पेश कर दी है। इस विधेयक के पारित होने पर दिल्ली उच्च न्यायालय और दिल्ली के जिला न्यायालयों के आर्थिक क्षेत्राधिकार को 20 लाख रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ करने का प्रस्ताव है।
समिति मानती है कि देश के सभी उच्च न्यायालयों के आर्थिक क्षेत्राधिकारों में एकरूपता होनी चाहिए और सरकार से सिफारिश की है कि वह औपनिवेशिक काल के चार्टर्ड उच्च न्यायालयों के मूल क्षेत्राधिकार की विरासत की समीक्षा करे। मसलन सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 की धारा 6 के उपबंधों के अनुरूप मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और दिल्ली महानगरीय शहरो के शहरी दीवानी न्यायालयों सहित देश के सभी जिला दीवानी न्यायालयों को असीमिति आर्थिक क्षेत्राधिकार दिए जाने की आवश्यकता है। समिति ने माना कि इस प्रावधान को संशोधन विधेयक में शामिल करने से देश में उच्च न्यायालयों का बोझ भी कम हो जाएगा। इन सिफारिशों के साथ विधेयक पारित होने के बाद आर्थिक क्षेत्राधिकार यानि दो करोड़ तक के आर्थिक मामलों की सुनवाई करने का अधिकार मिलने पर दिल्ली के जिला न्यायालयों में दो करोड़ से कम रुपये की राशि के वाद दायर करना आसान हो जाएगा।
निचली अदालतों में आ जाएंगे हजारो मामले
समिति की रिपोर्ट पर नजर डाले तो इस विधेयक के पारित होते ही जब हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार में प्रस्तावित दस गुणा बढ़ोतरी हो जाएगी तो दो करोड़ से कम राशि वाले करीब 12211 मामले दिल्ली उच्च न्यायालय से दिल्ली की संबन्धित जिला न्यायालयों में अंतरित कर दिये जाएंगे और हाई कोर्ट में मूल पक्ष के केवल 1547 दीवानी वाद ही लंबित रह जाएंगे। इसके अलावा दिल्ली की तीस हजारी, पटियाला हाउस, रोहिणी, कडकड़डूमा, द्वाराका और साकेत स्थित जिला न्यायालयों में दो करोड़ रुपये से कम राशि के वाद दायर करना भी आसान हो जाएगा और वादकर्ताओं को घर के पास ही सुलभ और सस्ता न्याय उपलब्ध हो सकेगा।
दिल्ली हाई कोर्ट होगा अव्वल
देश में अभी तक दो करोड़ रुपये की राशि तक के वाद किसी भी उच्च न्यायालय के पास दायर करने का आर्थिक क्षेत्रााधिकार हासिल नहीं है। इस विधेयक के पारित होते ही दिल्ली उच्च न्यायालय 20 लाख रुपये से बढ़कर दो करोड़ तक की राशि के आर्थिक वादों की सुनवाई कर सकेगा। इसके अलावा मुंबई व कोलकाता हाई कोर्ट के पास एक-एक करोड़ के मूल आर्थिक क्षेत्राधिकार हैं, जबकि मद्रास हाईकोर्ट के पास 25 लाख रुपये के आर्थिक क्षेत्राधिकार हैं।
यह भी हुई सिफारिश
संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष डा. ईएम सुदर्शन नाच्चीयप्पन ने इस विधेयक के बारे में बताया कि दिल्ली सरकार की सिफारिश पर इस विधेयक को लोकसभा में गत 17 फरवरी 14 को पेश किया गया था, लेकिन 15वीं लोकसभा भंग होने के कारण इसका अस्तित्व समाप्त हो गया, लेकिन राज्यसभा में यह लंबित रहा है। समिति ने इस विधेयक के अलावा दिल्ली उच्च न्यायालय को वाणिज्य खंडपीठ विधेयक-2009 को भी संसद में पेश करने की सिफारिश की है, जिसके पारित होने से देश के प्रत्येक उच्च न्यायालय को एक करोड़ से अधिक मूल्य के विणिज्यक मामले सुनने के मूल अधिकार हासिल हो जाएंगे। यह विधेयक भी लोकसभा भंग होने के कारण लुप्त हो गया है।
29Nov-2014



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें