मंगलवार, 4 नवंबर 2014

विकास के एजेंडे को अंजाम देने में जुटे माननीय!

सांसद निधियों से 91.76 फीसदी खर्च करने का खाका तैयार
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
मोदी सरकार के विकास के एजेंडे को अंजाम तक पहुंंचाने के लिए सांसदों ने अपनी सांसद निधि की पहली किश्त मिलते ही ज्यादा से ज्यादा कार्यो के प्रस्ताव पर काम शुरू कर दिया है। सभी राज्यों के जिन लोकसभा और राज्य सभा सदस्यों को पहले साल की सांसद निधि की पहली किश्त में 50 फीसदी यानि ढ़ाई-ढ़ाई करोड़ के हिसाब से की राशि जारी कर दी गई है, उन्होंने जारी निधि के औसतन 91.76 प्रतिशत को खर्च करने के लिए योजनाओं का खाका तैयार कर लिया गया है।
सांसद को अपने क्षेत्र में विकास कार्य करने के लिए पांच करोड़ रुपये मिलते हैं। इस तरह पांच साल में सांसद को 25 करोड़ रुपये मिलते हैं। जबकि विधायकों को तीन करोड़ रुपये मिलते हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक एक अनुमान के अनुसार देश का कोई भी संसद सदस्य सांसद निधि की पूरी राशि का उपयोग नहीं कर पाता है, लेकिन मोदी सरकार का प्रयास है कि हर सांसद अपने क्षेत्र में सांसद निधि का शतप्रतिशत या उससे ज्यादा खर्च करके विकास कार्यो को अंजाम दें। सोलहवीं लोकसभा में दोनों सदनों के सांसदों के लिए केंद्र सरकार ने लोकसभा सदस्यों की सांसद निधि में 23946.85 करोड़ व राज्यसभा सदस्यों की निधि के लिए 9900.90 करोड़ यानि कुल 33847.75 करोड़ रुपये स्वीकृत किये हैं, जिसमें से 31059.91 करोड़ रुपये यानि औसतन 91.76 प्रतिशत लागत की योजनाओं के प्रस्ताव जिला कलेक्ट्ररों को सौंपे जा चुके हैं। सांख्यिकी एवं योजनागत कार्यक्रम मंत्रालय में एमपीलैंड्स निदेशक डी. साई बाबा ने सांसदों की निधि को खर्च करने के संबन्ध में सर्कुलर भी जारी कर दिया है, जिसमें सांसद स्थाानीय क्षेत्र विकास योजना के अलावा अपने क्षेत्र या अन्य राज्य में खर्च एक सांसद अपनी सांसद निधि के अंशदान में 25 लाख रुपये तक खर्च कर सकता है। मोदी सरकार के विकास के एजेंडे को अंजाम देने के लिए अंडमान निकोबार के सांसदों ने तो जारी निधि से ज्यादा यानि 110.34 फीसदी लागत की योजनाओं का प्रस्ताव रखा है,इसी प्रकार दादर नगर हवेली ने 103.60 प्रतिशत, लक्ष्यद्वीप ने 102.32 तथा चंडीगढ़ की सांसद ने 102.28 प्रतिशत खर्च करने का प्रस्ताव रखा है। इसी प्रकार राज्यसभा के दिल्ली व पुडुचेरी के सदस्यों ने भी शतप्रतिशत से ज्यादा का लक्ष्य रखा है। ज्यादातर सांसदों को हालांकि अभी निधि की पहली किश्त का इंतजार है। इस राशि का आवंटन सांसदों को अपने क्षेत्र में आधारभूत ढांचे के विकास के लिए करना होता है। सासंद निधि से बिजली, मनरेगा, इंदिरा आवास, ग्रामीण आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, समेकित वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम, भू-अभिलेख आधुनिकीकरण, ग्रामीण पेयजल,निर्मल भारत अभियान, पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि, आश्रम पद्धति विद्यालय के निर्माण आदि योजनाओं का कार्यान्वयन करने का प्रावधान है।
किश्त जारी होने की इंतजार
सांख्यिकी एवं कार्ययोजना मंत्रालय के सूत्रों की माने तो एक अक्टूबर तक दिल्ली में अभी तक भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी, रमेश विधूडी और हर्ष वर्धन को ही सांसद निधि की राशि जारी की गई है, जिन्होंने 20-20 प्रतिशत लागत की योजनाओं के प्रस्ताव पर काम शुरू करा दिया है। अन्य सांसद पहली किश्त की इंतजार में हैं। जबकि हरियाणा में अभी तक दस लोकसभा सांसदों में से तीन सांसदों दुष्यंत चौटाला, दीपेन्द्र हुड्डा व इंद्रजीत राव को ही पहली किश्त जारी हो सकी है, जिन्होंने प्रारंभिक योजनाओं पर 20-20 प्रतिशत लागत की योजनाओं के प्रस्ताव दे दिये हैं। मध्य प्रदेश में 29 सांसदों में से छह सांसदों ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेन्द्र सिंह तोमर, सुधीर गुप्ता, रोडमल नागर, गणेश सिंह व चिंतामणि मालवीय को ही पहली किश्त में ढाई-ढाई करोड़ की राशि जारी की गई है जिन्होंने 50-50 लाख रुपये खर्च करने के कामों के प्रस्ताव सौंप दिये हैं। इसी प्रकार छत्तीसगढ़ राज्य के 11 लोकसभा सदस्यों में से पांच लोकसभा सांसदों लखनलाल साहू, विक्रमदेव उसेंडी, रमेश बैस, अभिषेक सिंह, व बंसीलाल महतो को पहली किस्त में ढाई-ढाई करोड़ की सांसद निधि जारी की है जिनके आधार पर इन सांसदों ने 20-20 प्रतिशत निधि को खर्च करने की प्रारंभिक योजनाओं का खाका खींचकर प्रस्ताव अपने क्षेत्र के प्राधिकारियों को सौंप दिये हैं। चंडीगढ़ की एक मात्र लोकसभा सांसद श्रीमती किरण खेर को भी सांसद निधि की पहली किश्त जारी होने का इंतजार है। वहीं सबसे बड़े सूबे में 80 लोकसभा सांसदों में से अभी तक 31 सांसदों को स्थानीय विकास के लिए 50-50 फीसदी की पहली किस्त जारी हुई है,जिन्होंने 50-50 लाख रुपये की लागत के कामकाजों का प्रस्ताव दे दिया है।
03Nov-2014

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