सोमवार, 10 नवंबर 2014

मोदी कैबिनेट विस्तार में एक तीर से कई निशाने!

कामकाज और सियासत के संतुलन का रहा प्रयास

ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
मोदी कैबिनेट के पहले विस्तार में जिस तरह की प्रशासनिक और सियासी रणनीतियों का मिश्रण देखने को मिला है उसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक तीर से कई निशाने साध लिये हैं? मसलन सरकार के कामकाज के आधार पर प्रशासनिक क्षमता रखने और सियासी रणनीति के तहत ऐसे केई चेहरों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है, जो हरियाणा और महाराष्ट्र फतेह करने की तर्ज पर अन्य राज्यों में भी भाजपा के कांग्रेसमुक्त करने के लिए विपक्षी दलों की जमीन खिसकाने के लिए कारगर साबित हो सकते हैं।
मोदी सरकार के पिछले छह महीने के काम-काज में कहीं ना कहीं यह सामने आ गया होगा कि मोदी सरकार में विशेषज्ञ मंत्रियों की कमी है। इस नजरिए से क्षेत्रीय-जातिगत राजनीति की जगह नेताओं के ट्रैक रेकॉर्ड को तवज्जो देने का प्रयास किया गया है। मनोहर पर्रिकर को गोवा के सीएम पद से हटाकर और महाराष्टÑ से सुरेश प्रभाकर प्रभु को केंद्र में लाने की कवायद को इसी नजरिए से देखा जा रहा है। दूसरी ओर मोदी मैजिक के चलते हाल ही में भाजपा का हरियाणा और महाराष्टÑ फतेह करके देश को कांग्रेसमुक्त करने का जो संकल्प है उस सियासी रणनीति की झलक भी मंत्रिमंडल के विस्तार में नजर आई है। मोदी ने हरियाणा के कद्दावर नेता चौधरी वीरेन्द्र सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाकर राज्य में उस आक्रोश को भी शांत कर दिया है जो जाट मुख्यमंत्री न बनाने से विरोध की सुगबुगाहट दे रहा था। इसी तरह झारखंड में चुनावी मौसम को देखते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के बेट जयंत सिन्हा को राज्यमंत्री के रूप में टीम में शामिल कर राज्य की जनता को सकारात्म संदेश दिया है। वहीं अगले साल बिहार में विधानसभा होने हैं इसलिए वहां के जातीय समीकरण को साधने की रणनीति को राज्य से मंत्रिमंडल में शामिल किये गये तीन सांसदों राजीव प्रताप रूडी, गिरिराज सिंह और रामकृपाल यादव कारगर बनाने में बेहतर साबित होंगे। इसी तरह उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा की सियासत को मजबूत करने की दिशा में अल्पसंख्यक चेहरे के रूप में मुख्तार अब्बास नकवी, दलित चेहरे के रूप में प्रो. रमाशंकर कठेरिया, ओबीसी चेहरे के रूप में साध्वी निरंजन ज्योति और ब्राह्मण चेहरे के रूप में डा.महेश शर्मा को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल गई है। मोदी की टीम में बाबुल सुप्रिये को मंत्रिमंडल मे जगह देकर पश्चिम बंगाल की राजनीति को चौंकाया है, जिससे भाजपा को लाभ मिलना तय माना जा रहा है। वहीं बंडारू दत्तात्रेय को तेलंगाना का प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया है तो वहीं गोवा, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्यों के अलावा सहयोगी दल में तेदेपा के वाईएस चौधरी को भी स्थान देकर संतुलन बनाने का प्रयास किया गया है। हालांकि मोदी की खासियत यह मानी जाती है कि वह अपने पत्ते आखिर में खोलते हैं। कई बार उनके फैसलों ने सारे कयासों पर पानी फेरते हुए लोगों को चौंका दिया है।
10Nov-2014

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