सोमवार, 17 नवंबर 2014

‘समाजवादी जनता दल’ की शक्ल लेगा महामोर्चा!

संसद के दोनों सदनों में चुना जाएगा संयुक्त नेता
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले विभिन्न मुद्दों पर मोदी सरकार की घेराबंदी करने के मकसद से गैर भाजपाई व गैर कांग्रेसी दलों के महामोर्चा को ‘समाजवादी जनता दल’ की सियासी शक्ल दी जा सकती है। इस कवायद में जुटी इन तिसरी सियासी ताकतों ने संसद सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा में सशक्त विपक्ष की भूमिका बनाने के लिए संयुक्त नेता चुनने की रणनीति बनाई है।
देशभर में मोदी सरकार और भाजपा के तेजी से बढ़ते प्रभाव को रोकने के मकसद से फिर से एक मंच पर आए जनता परिवार के बिछड़े दलों ने दस दिन पहले ही छह नवंबर को एक महामोर्चा बनाने का ऐलान किया था। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की पहल से शुरू हुई इस कवायद में सपा के अलावा जद-यू, जद-एस, राजद, इनेलो शामिल है, जिसका विस्तार करके अन्य दलों को भी जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इस कवायद में जदयू के महासचिव एवं राज्यसभा सांसद के.सी. त्यागी ने हरिभूमि से बातचीत के दौरान बताया कि 24 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान 25 नवंबर को महामोर्चा की बैठक होगी, जिसमें किसानों, मजदूरों, व्यापारियों और सरकार की जनविरोधी नीतियों को एकजुटता से उठाने के लिए दोनों सदनों में संयुक्त नेता चुना जाएगा। त्यागी के अनुसार उससे पहले ही महामार्चा का नामकरण कर लिया जाएगा,जिसके बारे में उनका कहना है कि समाजवादी जनता दल के नाम से इस महामार्चा को अंतिम रूप दिये जाने की संभावना है। हालांकि इसके अलावा अन्य नामों पर भी विचार किया गया, लेकिन इस नाम पर सहमति बनाई जा सकती है। जदयू नेता ने कहा कि यह गठजोड़ संसद में एक सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाने के दायित्व को पूरा करेगा और जनहित के मुद्दों को उठाएगा। इस महामोर्चा में अभी तक शामिल दलों के लोकसभा में 15 और राज्यसभ्ज्ञा में 25 सांसद हैं। जबकि गैर भाजपाई और गैर कांग्रेसी दलों के इस कुनबे को बढ़ाने के लिए अन्य दलों को भी शामिल करने के लिए बातचीत करने का भी दावा किया जा रहा है।
यूपी से पहले बिहार पर नजर
लोकसभा चुनाव से सबक लेते हुए भाजपा व कांग्रेस से अलग एक अलग विकल्प तैयार करने में जुटे इन दलो की नजरे अगले साल बिहार और 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों पर है, जहां इस महामार्चा का मकसद मोदी व भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए सियासी आधार मजबूत करना है। गौरतलब है कि जद-यू प्रमुख शरद यादव कह चुके हैं कि महामोर्चा की अगुवाई कर रहे सपा प्रमुख मुलायम सिंह की रालोद प्रमुख अजित सिंह से बातचीत हो चुकी है, हालांकि दोनों सदनों में रालोद का प्रतिनिधित्व नहीं है। वहीं ओडीसा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल व ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को भी इस मुहिम में साथ जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। दूसरी ओर वामदलो ने इस सियासी कवायद का समर्थन करने का ऐलान करके महामोर्चा को ताकत देने का भी प्रयास किया है।
17Nov-2014 


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