गुरुवार, 6 नवंबर 2014

जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने की कवायद!

वैकल्पिक ईंधन और हाइब्रिड इंजनों को बढ़ावा देगी सरकार
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश में पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए मोदी मिशन मेक इन इंडिया के तहत सरकार के मंत्रालयों के साथ अन्य संस्थाओं ने भी काम शुरू कर दिया है।
केंद्र में सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री ने हरित क्रांति को बढ़ावा देने के लिए जिस तरह से हरित गांव के साथ पर्यावरण संरक्षण को एक मिशन बनाने का आव्हान किया था, उसमें सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर काम शुरू हो गया है। हाल ही में जलवायु परिवर्तन पर आई पांचवी मूल्याकंन रिपोर्ट के निष्कर्षो के आधार पर जलवायु परिवर्तन के आकलन, अनुकूलन एवं इसमें कमी लाने की दिशा में मोदी के इस राष्ट्रीय अभियान के तालमेल बैठाने के लिए बुधवार को सरकार ने जलवायु परिवर्तन पर प्रधानमंत्री परिषद का पुनर्गठन करने का निर्णय लिया है। उसमें केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अलावा देश की प्रमुख ऊर्जा कंपनी टाटा पावर ने भी अपनी पहल को उजागर किया है।
जैव र्इंधन का उत्पाद
केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को यहां जैव ईंधन 2014 पर यहां एक सम्मेलन के दौरान कहा कि सरकार देश में जैव र्इंधन का उत्पादन बढ़ाने और उसके इस्तेमाल में आने वाली बाधाओं को समाप्त करने का हरसंभव प्रयास करेगी। वैकल्पिक ईंधनों के विशेषज्ञों,उद्यमियों, सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि भारत में जैव ईंधन के उत्पादन की विशाल संभावनाएं हैं। वर्तमान अनुमानों के अनुसार यह संभावना 1.2 मिलियन टन है, लेकिन केवल 60,000 टन जैव ईंधन का उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें से 80 प्रतिशत का निर्यात किया जा रहा है। गडकरी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के व्यापक उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए गैर खाद्य तिलहनों के उत्पादन से जैव ईंधन का उत्पादन करने और इसे प्रोत्साहित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय वैकल्पिक ईंधन और हाइब्रिड इंजनों को बढ़ावा देगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि जैव ईंधन का इस्तेमाल बढ़ाकर भारत के कच्चे तेल आयात के बिल को कम करने के साथ-साथ प्रदूषण को भी कम किया जा सकता है, क्योंकि जैव ईंधन से कम कार्बन डाइ-आॅक्साइड निकलता है। ऐसी योजनाओं को बढ़ावा देने से ही पर्यावरण को संरक्षित रखने की संभावनाओं पर गडकरी ने कहा कि जटरोफा जैसे तिलहन आदिवासी इलाकों और जंगलों में पैदा होते हैं और इसकी खेती को बढ़ावा देकर आदिवासियों और किसानों को रोजगार प्रदान किया जा सकता है और उनकी आमदनी बढ़ाई जा सकती है।
टाटा पावर ने लगाए तीन दर्जन बायोगैस सयंत्र
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रीय अभियान में मदद करने और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिये देश की सबसे बड़ी एकीकृत बिजली कंपनी टाटा पावर ने पहले ही हरित गांव बनाने के लिए आठ गांव गोद ले लिये थे। इस संबन्ध में कंपनी के सीईओ और ईडी के के शर्मा ने बुधवार को कहा टाटा पावर ने गुजरात में अपने परिचालन क्षेत्रों और उसके आसपास के गांवों में हरित और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने के लिए शुरूआती दौर में आठ गांवों को गोद लिया है। इस हरित गांव विचार के तहत टाटा पावर ने 8 गांवों में सफलतापूर्वक 36 बायो-गैस संयंत्र लगाए हैं। उनका कहना है कि कंपनी ने मुंद्रा और मांडवी में टाटा पावर कम्युनिटी डेवलपमेंट ट्रस्ट के साथ मिलकर अन्नपूर्णा परियोजना के तहत ये बायो-गैस संयंत्र स्थापित किए हैं। इसका उद्देश्य पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण परिवारों में गोबर के इस्तेमाल के बारे में जागरूकता लाकर बायो-गैस के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करना है। पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के मुकाबले बायो-गैस काफी सस्ती पड़ती है और प्रदूषण में कमी आने से ग्रामीण भी अस्थमा और मोतियाबिंद जैसी बीमारियों से सुरक्षित रह सकेंगे। प्रत्येक बायो-गैस संयंत्र में रोज 40 किलोग्राम गोबर की जरूरत होती है, जो 5-6 सदस्यों वाले परिवार की खातिर भोजन पकाने के लिए पर्याप्त होती है।
06Nov-2014

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