बुधवार, 5 नवंबर 2014

मातृत्व एवं शिशुओं मौतें रोकने को गंभीर सरकार


महिलाओं की परिवार नियोजन तक पहुंच का होगा विस्तार
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने परिवार नियोजन-2020 दृष्टिकोण की प्रतिबद्धता में देश की 48 मिलियन अतिरिक्त् महिलाओं एवं लड़कियों को गर्भनिरोधक दवों तक पहुंच उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया है। इस योजना के विस्तार से मातृत्व एवं शिशुओं की मौतों को रोकने के लिए स्वास्थ्य योजनाएं चलाने के लिए सरकार गंभीर है।
यहां परिवार नियोजन-2020 दृष्टिकोण द्वारा लांच की गई पार्टनरशिप इन प्रोग्रेस रिपोर्ट में महिलाओं और लड़कियों के अधिकार के लिए अपनी 2012 की प्रतिबद्धता महसूस करने के प्रति समूचे विश्व की सरकारों और सहयोगी साझीदारों की उपलब्धियों की जानकारी दी गई है। इन अधिकारों के अंतर्गत महिलायें एवं लड़कियां खुद के लिए यह फैसला करने में स्वतंत्र हैं कि उन्हें कब और कितने बच्चे चाहिये। स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार का वर्ष 2020 तक 48 मिलियन अतिरिक्त महिलाओं एवं लड़कियों को गर्भनिरोधक दवाओं (कॉन्ट्रासेप्टिव्स) तक पहुंच उपलब्ध कराने का लक्ष्य है, जबकि फिलहाल पहले की तुलना में कहीं अधिक महिलाओं एवं लड़कियों की परिवार नियोजन तक पहुंच बनाए हुए है। अकेले वर्ष 2013 में ही भारत में 30 लाख अतिरिक्त महिलायें एवं लड़कियां आधुनिक गर्भनिरोधक विधियों का चयन करने के लिए आवश्यक टूल्स एवं सूचना से सुसज्जित पाई गई थीं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव (आरसीएच) डा. राकेश कुमार का कहना है कि महिलाओं को गर्भधारण में अंतर करने के लिए जरूरी उपकरण एवं जानकारी तक पहुंच प्रदान करने से उनके स्वास्थ्य में सुधार आयेगा। इससे उनके नवजात और बच्चों का स्वास्थ्य भी सुधरेगा। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में सरकार परिवार नियोजन-2020 के लिए भारत की प्रतिबद्धता महसूस करने के लिए वचनबद्ध हैं और सरकार भारत में परिवार नियोजन की आवश्यक जरूरत को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। परिवार नियोजन की निदेशिका सुश्री एलिजाबेथ श्रेष्टर ने भारत सरकार की प्रतिबद्धता की सराहना करते हैं। इसके परिणामस्वरूप अधिकतर महिलायें एवं लड़कियां भारत में स्वैच्छिक परिवार नियोजन तक पहुंच बनाने में सक्षम हुई हैं।
लंबा सफर बाकी
इस रिपोर्ट के मुताबिक परिवार नियोजन के क्षेत्र में भारत को अभी भी बहुत लंबा सफर तय करना बाकी है। भारत में पांच में से लगभग एक महिला गर्भवती नहीं होना चाहती, लेकिन फिर भी उनके द्वारा गर्भनिरोध की आधुनिक विधियों का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। जिस दर से गर्भधारण करने में सक्षम महिलाओं एवं लड़कियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, उसे देखते हुये बंध्याकरण, कंडोम और ओसी पिल्स के अलावा अन्य गर्भनिरोधक विधियां व्यापक पैमाने पर उपलब्ध नहीं हैं। इस लगातार बढ़ती मांग की पूर्ति के लिए महत्वपूर्ण उपकरणों एवं सेवाओं को विस्तारित करना आवश्यक हो गया है। वहीं गर्भनिरोधकों के लिए लगातार बढ़ती पहुंच के प्रति जारी प्रतिबद्धता मातृत्व एवं शिशुओं की अनावश्यक मौत को रोकने में लंबा सफर तय करेगी। साथ ही महिलाओं एवं लड़कियों के यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों को सुनिश्चित किया जायेगा। शोध बताते हैं कि पहले बच्चे के बाद तीन वर्ष के अंतराल में हुये बच्चों की तुलना में दो से कम वर्ष के अंतराल में हुये बच्चे की पहले साल में मरने की संभावना दुगुने से भी अधिक होती है।
05Nov-2014

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