सोमवार, 24 नवंबर 2014

संसद का शीतकालीन सत्र: आर्थिक एजेंडे को आगे बढाएगी सरकार ।

हंगामेदार होगा संसद का शीतकालीन सत्र!
कालेधन समेत कई मुद्दो पर भारी पड़ेगा विपक्ष
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में विदशों से काला धन वापस लाने, देश में साम्प्रदायिक तनाव की घटनाओं तथा सीबीआई के कथित दुरूपयोग जैसे मुद्दों पर विपक्ष लामबंद होता नजर आ रहा है, इसलिए शीतकालीन सत्र की शुरूआत हंगामेदार हो सकती है। विपक्षी दलों की एकजुटता व उनके कड़े तेवरों से विपक्षी दल संसद के भीतर मोदी सरकार पर भारी पड़ सकते हैं। हालांकि सरकार भी विपक्ष को माकूल जवाब देने की तैयारी में संसद में आने की तैयारी कर चुकी है।
संसद के शीतकालीन सत्र में जहां सरकार के पास देश के विकास और आर्थिक सुधारों से जुड़े कई विधायी कार्य हैं और सरकार ने रविवार को सर्वदलीय बैठक में महत्वपूर्ण बिलों व मुद्दों पर विपक्षी दलों से सहयोग की अपेक्षा की है। सरकार की ओर से रविवार को संसदीय कार्यमंत्री एम. वेंकैया द्वारा संसदीय संग्राहलय के सभागार में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों के तेवरों से नहीं लगता कि वह मोदी सरकार से खुश हैं, जबकि सरकार विपक्षी दलों के मुद्दों को भी संसद में रखने का वादा करके आमसहमति बनाने का प्रयास कर रही है। सरकार द्वारा रविवार को बुलाई गई बैठक तृणमूल कांग्रेस ने हिस्सा नहीं लिया, जो शारदा चिटफंड घोटाले में सीबीआई. द्वारा उसके नेताओं को गिरफ़तार किए जाने से नाराज इस जांच एजेंसी के दुरूपयोग का आरोप सरकार पर मंढ रही है और यह मुद्दा भी संसद में उठना तय है। उधर कांग्रेस लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद नहीं मिलने से नाराज है। वह मनरेगा को कमजोर करने का भी सरकार पर आरोप लगा रही है तो वहीं पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे अपने बडे नेताओं की स्मृति को सरकार द्वारा नजरअंदाज किए जाने और सरदार पटेल की विरासत पर भाजपा द्वारा अधिकार जमाए जाने की तोहमद भी दे रही है। वहीं वामदल भी सरकार के आर्थिक सुधारों और श्रम कानूनों में बदलाव करने की मंशा का विरोध कर रहे हैं। इसके अलावा तीसरे विकल्प के रूप में जनता परिवार को एकजुट करके सपा, राजद, जदयू, जदएस,इनेलो जैसे गैरभाजपाई व गैर कांग्रेसी दल संसद के दोनों सदनों में एक सशक्त भूमिका निभाकर सरकार को घेरने के इरादे से लामबंद नजर आ रहे हैं, जिन्हें वामदलों के समर्थन मिलने के संकेत पहले ही दिये जा चुके हैं। मोदी सरकार से नाराज इन विपक्षी दलों की धमाचौकड़ी के इरादों से लगता है कि शीतकालीन सत्र हंगामेदार होगा। जबकि सरकार इस सत्र के दौरान होने वाली 22 बैठकों में ज्यादा से ज्यादा विधायी काम निपटाना चाहती है। संसद के दोनों सदनों में बड़ी संख्या में विधेयक लंबित हैं और सरकार कुछ नए विधेयक भी संसद के इस सत्र में लाना चाहती है, लेकिन विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के बीच बढ़ती एकजुटता के कारण सरकार के लिए सदन को सुचारू ढंग से चलाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। मोदी सरकार से नाराज इन विपक्षी दलों की धमाल चौकड़ी के इरादों से लगता है कि शीतकालीन सत्र हंगामेदार होगा। हालांकि सरकार भी विपक्षी दलों को माकूल जवाब देने के लिए पूरी रणनीति के साथ संसद के शीतकालीन में आने का इरादा कर चुकी है। फिर भी पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और फिर रविवार को सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाकर विवादित मुद्दों पर आमसहमति बनाने का प्रयास किया है। अब देखना यह है कि कल सोमवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार या फिर विपक्षी दल में कौन किस पर भारी पड़ता है।
लोकसभा में बदले समीकरण
लोकसभा में राजनीतिक समीकरण इसलिए भी बदलते दिखाई दे रहे हैं कि राजग की घटक शिवसेना महाराष्ट्र में भाजपा के साथ अपना 25 साल पुराना गठबंधन तोड़कर विपक्ष में बैठ गई है, लेकिन केंद्र में उसके मंत्री अभी भी मोदी सरकार में बने हुए हैं। हालांकि शिवसेना के स्थान पर पिछली सरकार में कांग्रेस के शामिल रही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार को बिना शर्त समर्थन दिया है, लेकिन संसद के दोनों सदनों में ही अभी शिवसेना व राकांपा का रूख स्पष्ट नहीं है।
24Nov-2014

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें