मंगलवार, 18 नवंबर 2014

मोदी की हाजिरी प्रणाली नौकरशाहों को नहीं आई रास!

...तो नहीं सुधरेंगे हम
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
सरकार कामकाज की गति बढ़ाने की नौकरशाहों की कार्यकुशलता में सुधार की दिशा में मोदी सरकार ने उनकी मंत्रालयों व विभागों व अन्य कार्यालयों में समय से उपस्थिति सुनिश्चित करने के बायोमेट्रिक सिस्टम लागू किया है, लेकिन शायद नौकरशाहों को यह हाजिरी प्रणाली रास नहीं आ रही है।
शासन व प्रशासन का जनता से संवाद की कार्यप्रणाली के तहत प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालते ही सबसे पहले नरेन्द्र मोदी ने नौकरशाही कार्यप्रणाली को बदलने का बीड़ा उठाया था। इसी प्रशासनिक रणनीति के तहत अधिक से अधिक कामकाज को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने सभी मंत्रालयों व विभागों के कार्यालयों में बाबुओं की समय से उपस्थिति सुनिश्चित करने हेतु बायोमैट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लागू किया था, लेकिन शायद नौकरशाहों को यह सिस्टम रास नहीं आ रहा है। इस व्यवस्था में स्वयं प्रधानमंत्री भी नौ बजे तक अपने कार्यालय पहुंच जाते हैं, लेकिन नौकरशाहों का यह रवैये में अभी तक सुधार नजर नहीं आ रहा है। इस प्रणाली को स्थापित करने के साथ केंद्र सरकार के अधीन आने वाले कार्यालयों में कामकाज का समय भी सुबह नौ बजे से शाम 5:30 बजे तक किया गया है, जिसमें एक घंटे का भोजनावकाश का समय भी शामिल है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं भी नौकरशाहों से मिलकर समयबद्धता और कामकाज में तेजी लाने की नसीहत दे चुके हैं, लेकिन नौकरशाहों पर शायद मोदी की इस कोशिश का असर नहीं हो रहा है। तभी तो नौकरशाहों व बाबुओं की कार्यालयों में समय से उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सात अक्टूबर को वेबसाइटhttp://attendance.gov.in  लांच की गई थी। दिलचस्प बात यह है कि केंद्र सरकार के अधीन सभी विभागों की इस वेबसाइट का नियंत्रण व निगरानी सीधे पीएमओ में है। इसके बावजूद एक दिन इस वेबसाइट का अध्ययन करने से जो तथ्य सामने आए हैं उसमें सुबह नौ बजे तक अपने कार्यालय पहुंचने वाले नौकरशाहों की औसतन संख्या मात्र 21.2 फीसदी है, जबकि नौ व दस बजे के बीच कार्यालयों में पहुंचने के लिए इस प्रणाली के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाले सर्वाधिक 65.3 फीसदी हैं और औसतन 10 फीसदी के करीब कर्मचारिी कार्यालयों दस बजे से 11 बजे के बीच पहुंच रहे हैं। कुछ नौकरशाहों की कार्यप्रणाली में अभी तक सुधार नहीं आया है जो 11 बजे के बाद कार्यालयों में दस्तक देते हैं, हालांकि ऐसे कर्मचारियों की संख्या मात्र तीन प्रतिशत ही सामने आई है। औसतन यदि कर्मचारियों के आठ आठ घंटे के काम करने का औसत देखा जाए तो वह एक माह में केवल 176 घंटे ही काम कर सकेगा।
नियमों से बेखबर कर्मचारी
मोदी सरकार ने लेटलतीफ कर्मचारियों की कार्यशैली में सुधार लाने के लिए नियम और निर्देर्शिका भी जारी की है। मसलन इन नियमों के तहत ऐसे कर्मचारी जो सुबह 9:30 बजे के बाद कार्यालय आते हैं उनका हाफ डे माना जाता है, लेकिन सभी विभाग के प्रमुख भी शायद इसके प्रति बेखबर हैं। यह हाल तब है जब सरकारी कर्मचारियों की लेटलतीफी को आॅनलाइन टेÑक किया जा रहा है। सरकारी सूत्रों के अनुसार नौकरशाही की हाजिरी का डाटा उसकी हाजिरी का पैमाना तय करेगा। इसलिए कर्मचारियों को उपस्थिति के डाटा टेÑक पर होने की स्थिति में खुद में सुधार करने की जरूरत पर बल दिया गया है।
दशकों से नहीं हुआ सुधार
भारतीय नौकरशाही के कामकाज की शैली सुधारने का ऐसा प्रयास कोई नया नहीं है। कार्यालयों में कर्मचारियों का समय पाबंद करने का प्रयास पिछले पांच दशक से हो रहा है, लेकिन इस दिशा में सुधार नहीं आ सका है। इसमें सुधार लाने की दिशा में केंद्र में आई मोदी सरकार ने तकनीकी का इस्तेमाल करके बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लगभग सभी केंद्र सरकार के अधीन कार्यालयों में स्थापित किये जा चुके हैं, इसके बावजूद औसतन एक कर्मचारी का कामकाज आठ घंटे तक नहीं पहुंच सका है। 
18Nov-2014

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