मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

राग दरबार: मोेदी की लोकप्रियता की कुंठा

मोेदी की लोकप्रियता की कुंठा
क्हते हैं कि लोग अपने दुख से दुखी नहीं, बल्कि दूसरो के सुख से दुखी जरूरत हो जाते हैं। आजकल कांग्रेस और कुछ विपक्षी दलों के लिए कुछ ऐसी ही कुंठा नजर आ रही है। मसलन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विदेश दौरों या देश में बढ़ती लोकप्रियता से खासकर कांग्रेस ज्यादा ही कुंठा के दौर से गुजर रही है। मोदी की विदेशों में भारतीयों को संबोधित करना या अन्य किसी विदेश नीति पर सकारात्मक रूख अपनाना कांग्रेस को कतई रास नहीं आ रहा है। खुद तो कांग्रेस ऐसा कर नहीं पाई, अब जब एक ऐसा प्रधानमंत्री जिसे लोग पसंद कर रहे हैं उसकी लोकप्रियता से कांग्रेस की कुंठा बनते ही दिखती है। चर्चा यही है कि अभी तक इस तरह की लोकप्रियता विदेशों में किसी अन्य प्रधानमंत्री को नहीं मिली। मोदी की लोकप्रियता से दुनिया में देश की ही साख बढ़नी है, जो कांग्रेस के शासन में लाख प्रयासों से नहीं दिखाई दिया। देश मे लोगों में कम से कम यह चर्चा तो हो रही है कि अब कुछ सकारात्मक होता देखने लगा है, लेकिन कांग्रेस तो हर पहलुओं को नकारात्मक चश्में से देखने पर तुली हुई है, भले ही वह कालेधन की वापसी के लिए उठाए गये कदम या पिफर पेट्रोल-डीजल के लगातार गिरते दाम। हालांकि कांग्रेस इसे राजग सरकार की उपलब्धि मानने को तैयार नहीं है। बकौल कांग्रेस के प्रवक्ता आनंद शर्मा महंगाई की दर का आंकड़ा घट रहा है जरूर, लेकिन कागजों में घट रहा है। आनंद शर्मा ने यहां तक तोहमद कर डाली कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम लगातार घट रहे हैं और देश में भी ईंधन की कीमतें गिर रही है, लेकिन जरूरी वस्तुओं के दाम कम नहीं हो रहे हैं। 
महामोर्चा में निकला एक हीरा
केंद्र की मोदी सरकार को घेरने के लिए गैरभाजपाई व गैर कांग्रेसी दलों ने जनता परिवार के बिछड़ो को एकजुट करके महामोर्चा बनाने की कवायद की थी। सपा, जदयू, राजद, इनेलो जैसे छह दलों को साथ लेकर यह पहल सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने की। इस महामोर्चा का दावा था कि संसद के शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार को उसकी गलत नीतियों पर एक जुट होकर संयुक्त रूप से एक सशक्त विपक्ष की भूमिका में जनता परिवार एकजुट होगा, लेकिन संसद सत्र का एक सप्ताह गुजर चुका है, लेकिन महामोर्चा का संसद में संयुक्त नेता दावों के बावजूद नहीं चुना गया। इसका कारण है कि महामोर्चा में सभी अपने को नेता मानकर चल रहे हैं। खैर महामोर्चा की एकता पटरी पर आई हो या नहीं लेकिन इस कवायद में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की दोस्ती प्रगाढ़ रिश्तों में जरूर बदल गई और इस महामोर्चा के घर्षण में एक हीरा निकला जिसका नाम है तेज प्रताप सिंह यादव जो लोकसभा का सांसद और मुलायम का पोता है। इस हीरे को आखिर लालू ने लपक लिया वो भी अपनी बेटी के लिए। मसलन इस नजदीकी में मुलायम सिंह के पोता अब लालू का दामाद बनने जा रहा है।
जब गच्चा खा गये माननीय
सोलहवीं लोकसभा में ज्यादातर नए सांसद निर्वाचित होकर आए हैं, जिन्हें अभी बहुत कुछ सीखना है और कुछ ओरिएंटेशन प्रोग्राम में भी सिखा दिया गया था, लेकिन बड़े-बडे़ महारथी सदन में ऐनमौके पर गच्चा खाते देखे गये। दरअसल सीबीआई प्रमुख की नियुक्ति के लिए चयन समिति संबन्धी एक विधेयक में संशोधन पारित कराया गया, जिसमें लोकसभा में प्रतिपक्ष नेता के पद की मान्यता न होने पर भी बड़े विपक्षी दल का नेता की इस पद पर नियुक्ति करने में भूमिका शामिल हो गई। जब इस विधेयक को पारित कराने की बारी आई तो कांग्रेस व बीजद ने मतविभाजन की मांग तो कर दी, लेकिन स्वचालित मतदान प्रक्रिया के प्रयोग करने में ज्यादातर मं़त्री व माननीय गच्चा खाते नजर आए। इससे पहले इस प्रक्रिया को लोकसभा महासचिव ने बेहतर तरीके से समझा भी दिया था, फिर भी अनभिज्ञता के कारण इस प्रक्रिया को तीसरी बार में अंतरिम माना गया। इसके बाद माननीयों में आपसी चर्चा यही रही कि अभी तो शुरूआत है आगे सब कुछ समझ में आ जाएगा।
30Nov-2014

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