ओ.पी. पाल
अजब है भारत का दिली कोना
अजब है भारत का दिली कोना
धर्मांतरण
पर जारी सियासी गर्महाट में सभी जानते हैं कि धर्म परिवर्तन पर संविधान
में खासकर शादी-ब्याह करने के मामले में जायज है, लेकिन आगरा में धर्मांतरण
की घटना में विपक्ष जबरन और प्रलोभन का प्रतीक करार दे रहा है। इसके लिए
संसद में जो सियासी बवाल जारी है उसमें सत्ता और विपक्ष दोनों ही जबरन
धर्मांतरण को संविधान के विपरीत बताकर कानून बनाने की बात कर रहे है।
राज्यसभा में तो धर्मपरिवर्तन की सियासी गर्मी इस पूरे सप्ताह खत्म होने का
नाम ही नहंी ले सकी। इस मुद्दे पर बहराल सत्ता और विपक्ष उच्च सदन में
असमंजस की स्थिति में नजर आए हैं? चाहे वह चर्चा कराने या फिर प्रधानमंत्री
के बयान की मांग पर अडिग विपक्ष की जिदबंदी। आम गलियारें में यही चर्चा हो
रही है कि अजब है अपने भारत का दिल उत्तर प्रदेश! जहां की गतिविधियां संसद
के गलियारे से होते हुए अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियां बन जाती हैं, चाहे वह
बलात्कार जैसे संगीन अपराधों का मामला हो या फिर धर्म परिवर्तन का मुद्दा।
मसलन पांच-छह महीने पहले ऐसा लगता था कि तमाम दुनिया-जहान के बलात्कारी
यूपी में आ धमके हैं। ऐसा कोई दिन नहीं रहा, जब अखबार की सुर्खियां
बलात्कार की खबरें न बनती हों। बलात्कार के बाद पीडिताओं की हत्या कर शव
पेड़ पर लटकाने की खबरें आने लगीं। फिर क्या पुलिस पेड़ों से लाशें उतारने
में व्यस्त हो गयी। बलात्कार थमे तो लव जिहाद का तराना शुरू हुआ। योगी
आदित्यनाथ ने तो अपना पूरा शोध ही पेश कर दिया। उपचुनाव निपटने के साथ ही
लवजिहाद राग भी बेसुरा हो गया। फिर बात शुरू हो गयी ताजमहल की। ऐसा लगा कि
ताजमहल को जमींदोज कर कोई शाहजहां तो कोई मुमताज की कब्र उखाड़ ले जाएगा।
खैर इस हंगामें पर भी जब किसी ने कान नहीं दिए, तो दीन-ईमान के लेनदेन का
बाजार ऐसा गर्म हुआ कि ताज नगरी में ही धर्म परिवर्तन का मुद्दा ठिठुरती
ठंड व भी शीतकालीन सत्र में संसद में बेहद गर्मी पैदा कर रहा है। संसद सत्र
दो दिन और चलेगा जिसमें धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देने वाले सियासी दल इस
मुद्दे को किस मुकाम पर लेजाकर छोड़ेंगे या फिर सत्ता पक्ष इसे विराम लगाने
का कोई रास्ता निकालता है यह तो अभी भविष्य के गर्भ में ही है।
ढ़ाह दो नफरत की दीवारें
दुनियाभर
में ऐसी परंपरा तेजी से जन्म ले रही है कि इंसा नही इंसायित का दुश्मन
बनता जा रहा है। बाते तो सियातदानों में बड़ी बड़ी हो रही हैं, लेकिन भारत की
सियासत में कुछ अजीब सा ही है, जहां केवल नेताओं का लक्ष्य सियासत के जरिए
जनता को अपने पक्ष में गुमराह करने जैसा है। आजकल देश में सत्तासीन राजग
या मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए ऐसे सियासतदानों ने दूसरे पक्ष
ने कोई न कोई बहाना तलाशकर एकजुटता का प्रदर्शन करने की मुहिम चलाई हुई
है, लेकिन देश की जनता व समाज ऐसी सियासत को शायद सबसे गिरी नजर से उसे
देखता है जिसका कोई दीन-ईमान न हो। मसलन कुछ राजनीतिक दलों की आदत बन गई है
कि सरकार को टेंशन देते रहना है। दरअसल जमाने की बलिहारी भी देखिए ऐसे
लोगों की इन दिनों एकाएक कीमत बढ़ी हुई है कोई इन्हें घर बुलाने को आतुर तो
कोई इन्हें जहां हैं वहीं संभाले रखने को फिक्रमंद। क्या करोगे इन्हें
बंटोर कर? कुनबा बढ़ा भी लोगे तो क्या हासिल हो जाएगा? जिसके पास जितने हैं
उन्हें ही सुख-चैन से रहने का इंतजाम कर लो। हाथ-पांव मारने का बहुत ही
ज्यादा शौक है तो गरीबी, भुखमरी, अशिक्षा और बेकारी से बाहर निकलने का जतन
करो। दीवारें तोडनी है तो नफरत की दीवारें ढहा दो। हर इंसान में अपना लहू
और उसके घड़कते दिल को अपना महसूस करो। फिर जो जहां और जैसा भी है, अपना ही
भाई लगेगा।
बहादुर बनाम धोखेबाज
हरियाणा में
कुछ दिनों पहले ऐसी ही घटना एक बस में घटी तो वह मीडिया की सुर्खिंया भी
बनी रही तो राज्य की सरकार ने भी युवकों की पिटाई करने वाली हरियाणा की दो
सगी बहनो को आनन-पफानन में बहादुरी का पुरस्कार देने का ऐलान कर दिया, लेनि
जांच पड़ताल शुरू हुई तो बस के प्रदर्शियों के बोलों ने हकीकत उगलनी शुरू
कर दी और इस कहानी की पटकथा लिखनें वालों के माथे पर पसीने आना शुरू हो
गये। इस पर हरियाणा सरकार भी चैकस हुई और पुरस्कार देने की घोषणा के बजाए
कहा जांच के बाद सरकार कोई निर्णय लेगा। तभी तो चर्चा शुरू हुई कि ओ रोहतक
की छोरियो, सच बताना तुम बहादुर हो या धोखेबाज? जब तुम टीवी पर उन लड़कों को
पीट रही थीं, और समाचार वाचक बता रहा था कि उन लड़कों ने तुम्हारे साथ
छेड़खानी की थी, तो सभी को लगा तुम तो झांसी की रानी का अवतार हो। फिर उलटी
खबर आई। बदतमीजी उन लड़कों ने नहीं, तुमने की थी। झगड़े की वजह लड़कों की
छेड़खानी नहीं, सीट का झगड़ा था। तुमने ही बदतमीजी की और लड़कों की पिटाई भी
कर दी। जल्दी बताओ छोरियो, सच क्या है? अगर दूसरी खबर सच है तो तुम झांसी
की रानी तो छोड़ो, फूलन देवी कहलाने के काबिल भी नहीं हो।
21Dec-2014
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