सोमवार, 8 दिसंबर 2014

मोदी की ‘योजना’ नई संस्था पर मतभेद!


राज्यों की राय अलग-अलग!
नये निकाय में राज्यों की भूमिका बेहद जरूरी: मोदी
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की योजना आयोग को खत्म करके उसके स्थान पर नई संस्था बनाने की योजना पर कुछ राज्यों को ऐतराज है,तो कुछ ने सरकार की योजना के साथ सुर मिलाते हुए इसके स्थान पर गठित होने वाली नई संस्था को सशक्त करने की दिशा में सुझाव दिये हैं। जबकि सरकार योजना आयोग को खत्म करके एक ऐसा सशक्त निकाय बनाने की योजना पर आगे बढ़ रही है, जिसमें देश की ताकत को मजबूती देकर योजनाओं की प्रक्रिया ऊपर से नीचे के बजाए नीचे से ऊपर की ओर शुरू हो सके।
देश के विकास को नई दिशा देने वाले एजेंडे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की साढ़े छह दशक पुराने योजना आयोग को खत्म करके उसके स्थान पर एक नया सशक्त निकाय गठित करने की योजना पर स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने आवास पर रविवार को राज्यों के मुख्यमंत्रियों की राय और सुझाव लिये तो सभी राज्य इस प्रस्ताव से सहमत नजर नहीं आए। इस बैठक से जहां पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जम्मू-कश्मीर के मुख्य मंत्री उमर अब्दुला व झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेने ने किनारा किया, तो बैठक में पहुंचे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री नबाम तुकी ने आयोग के अस्तित्व को खत्म करने पर घोर आपत्ति जताई। इन्होंने योजना आयोग को ही मजबूत करने की वकालत करते हुए सरकार को महत्वपूर्ण सुझाव दिये हैं। जबकि राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सरकार चाहती है कि विकास संबन्धी योजनाओं की प्रक्रिया नीचे से ऊपर की ओर चले और उसमें राज्यों की अहम भूमिका जरूरी है। नई सरकार के तहत बदलते आर्थिक हालात के बीच मौजूदा योजना आयोग की जगह नई संस्था के स्वरूप, उसका दायरा और भूमिका पर खुलकर चर्चा की गई। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने पिछले स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में योजना आयोग को समाप्त करने और इसकी जगह नया संस्थान स्थापित करने की घोषणा की थी। योजना आयोग का गठन 1950 में किया गया था।
शोध संस्थान साबित हो
सरकार की योजना के मुताबिक नई संस्था के लिए तैयार किये गये प्रस्तुतिकरण पेश करते हुए योजना आयोग की सचिव सिंधूश्री खुल्लर ने मुख्यमंत्रियों के समक्ष अपने सुझाव रखते हुए कहा कि इस नये संस्थान में प्रधानमंत्री पदेन अध्यक्ष होंगे। इसके अलावा 10 नियमित सदस्य, पांच राज्यों के प्रतिनिधि और पांच सदस्य पर्यावरण, वित्त या अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञ और इंजीनियर या वैज्ञानिक जैसे को इसमें शामिल किए जाने का प्रस्ताव है। नई संस्था सरकारी विभाग के कामकाज की निगरानी कर उसके कार्यों के मूल्यांकन के आधार पर राशि के आवंटन का प्रस्ताव करेगी। मसलन आकलन, विभिन्न क्षेत्रों और मंत्रालयों से एक साथ जुड़े मामलों में विशेषज्ञता सेक्टोरल, अंतर मंत्रालयी विशेषज्ञता और आकलन व परियोजनाओं की निगरानी का कार्य करेगा। इसके अलावा यह संस्था एक शोध संस्थान के रूप में काम करेगी और विश्वविद्यालयों व अन्य संस्थानों के साथ उसका नेटवर्क होगा। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि नया संस्थान राज्यों और केंद्र को विभिन्न मामलों में आंतरिक परामर्श सेवा प्रदान कर सकता है।
इन राज्यों ने लिया हिस्सा
योजना आयोग के स्थान पर नई संस्था के गठन पर राज्यों के सुझाव के लिए प्रधानमंत्री के आवास पर दो चरणों में हुई बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, महाराष्टÑ के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत, केरल के मुख्यमंत्री ओमान चांडी और गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदी बेन शामिल ने हिस्सा लिया।
08Dec-2014

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