रविवार, 21 दिसंबर 2014

इसलिए सुर्खियों में है जीएसटी!

आम उपभोक्ताओं को होगा लाभ
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
लोकसभा में केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी संशोधन) विधेयक को पेश कर दिया है, जिसका जो पिछले कई सालों से वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी चर्चा में रहा और इसका इंतजार खत्म होने की राह पर है। इस विधेयक को संसद की मंजूरी और फिर राष्टÑपति की मुहर लगते ही आम जनता को देशभर में पेट्रोल-डीजल व अन्य एक जैसे सामान का दाम एक ही हो जाएगा।
सरकार का मकसद देश में वस्तु और कर में एक रूपता लाना है। हां इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता जहां इस विधेयक का लाभ होगा तो कहीं न कहीं इसके नुकसान को भी आंका जा सकेगा। सूत्रों के अनुसार जीएसटी लागू होने से लाभों का आकलन किया जाए तो देश की जीडीपी दो प्रतिशत फीसदी तक बढ़ सकती है?
और वहीं कर चोरी पर लगाम लगने के साथ कर वसूली भी बढ़ना तय है। सरकार का मकसद है कि जीएसटी के जरिए कर के स्वरूप में पारदर्शिता आए यानि भेदभाव या असमानता किसी परिदृश्य पर न हों। विशेषज्ञों का तो मानना है कि इससे कहीं हद तक कर विवादों में भी कमी आएगी और लंबित विवादों का निपटारा सहजता से किया जा सकेगा। इसका कारण है कि जीएसटी लागू होने से कर कानूनों और विनियमन जैसे मामलों से छुटकारा मिलेगा। इस विधेयक में प्रावधानों के मुताबिक वस्तु और कर संबन्धी आॅनलाइन कर दिया जाएगा। मसलन बिक्रीकर, सेवाकर और उत्पादन शुल्क की जगह जीएसटी ले लेगा। जीएसटी लागू होने के बाद सरकार का कर सुधारों के लिए यह विधेयक मिल का पत्थर साबित होगा, क्योंकि जीएसटी के तहत पूरे देश में एक ही दाम पर कर लागू होगा, तो एक वस्तु देशभर में एक ही दाम पर मिल सकेगी। विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक जीएसटी लागू होने के बाद चुंगी,केंद्रीय बिक्रीकर (सीएसटी), राज्य स्तर के बिक्रकर या वैट, प्रवेश कर, लॉटरी टैक्स, स्टैप ड्यूटी, टेलीकॉम लाइसेंस फीस, टर्नओवर टैक्स, बिजली के इस्तेमाल या बिक्री पर लगने वाले टैक्स, सामान के ट्रांसपोटेर्शन पर लगने वाले सभी करों का खात्मा हो जाएगा। इस व्यवस्था में वस्तु और सेवा की खरीद पर अदा किए गए जीएसटी को उनकी आपूर्ति के समय ही समायोजित कर दिया जाएगा। ऐसा प्रस्ताव वर्ष 2006-07 में तत्कालीन वित्त मंत्री एवं मौजूदा राष्टÑपति प्रणब मुखर्जी ने भी दिया था, जिसके बाद यूपीए सरकार में वित्त मंत्री पी. चिदंबरन ने जीएसटी के कदम को आगे बढ़ाया, लेकिन 15वीं लोकसभा भंग होने के बाद इसका अस्तित्व खत्म होने के बाद राजग सरकार ने इसमें आगे कदम बढ़ाए हैं।
राज्यों की चिंताएं
दूसरी ओर जीएसटी को लेकर राज्य सरकारों में चिंता में एक महत्वपूर्ण सवाल यह बना हुआ है कि टैक्स स्लैब क्या होगा और नुकसान हुआ तो उसकी भरपाई कौन करेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक जीएसटी का सिस्टम पूरी तरह तैयार नहीं है। इसलिए राज्य और केंद्र के बीच टैक्स बंटवारे को लेकर भी खामी सामने आ सकती है। कर बढ़ाने या घटाने का फैसला कौन करेगा इसका भी विधेयक में कोई जिक्र नहीं है। हां इतना जरूर है कि जीएसटी लागू होने से राज्यों को कर वसूलने की छूट खत्म हो जाएगी। इसलिए राज्यों की
मांग है कि सरकार इस मुद्दे का कोई हल निकाले, या फिर उन्हें भारी-भरकम मुआवजा दे। पिछले सप्ताह ही राज्यों के वित्त मंत्रियों की अरुण जेटली के साथ हुई बैठक में राज्य सरकारों ने मांग की थी कि पेट्रोलियम और प्रवेश कर को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाए। हालांकि सरकार कह चुकी है कि जीएसटी लागू होने के बाद भी इस विधेयक में संशोधन किये जा सकेंगे।
20DEc-2014

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