बुधवार, 10 दिसंबर 2014

उलटा पड़ा साध्वी मुद्दे पर निंदा प्रस्ताव का दावं!

उलटा पड़ा साध्वी मुद्दे पर निंदा प्रस्ताव का दावं!
बदजुबानी पर भाजपा व तृणमूल कांग्रेस आमने-सामने
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
संसद में सरकार की घेराबंदी करने के लिए विपक्ष की जिद के कारण बदजुबानी पर एक ऐसी परंपरा ने जन्म लिया जो अब विपक्ष में खासकर तृणमूल को उलटी पड़ती नजर आ रही है। केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति की एक टिप्पणी पर विपक्षी दलों ने कई दिन तक संसद खासकर राज्यसभा निंदा प्रस्ताव आने तक नहीं चलने दी।
संसद के शीतकालीन सत्र में तृणमूल कांग्रेस ने तो पहले ही दिन से कालेधन, मनरेगा और फिर केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के एक विवादित बयान को मुद्दा बनाकर विपक्ष की लामबंदी में सरकार का विरोध करने में अन्य दलों से आगे जाकर नए-नए अंदाज में सदन और संसद से बाहर प्रदर्शन कर सरकार का विरोध किया। विपक्ष का सरकार के खिलाफ साध्वी के मुद्दे पर यह विरोध और संसद में हंगामा उस स्थिति में भी नहीं थमा, जब स्वयं केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने दोनों सदनों में मुद्दा उठने के पहले ही दिन माफी मांग ली थी और फिर दोनों सदनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साध्वी के बयान को अस्वीकार्य करते हुए बयान दे दिया था। इसके बावजूद विपक्षी दल साध्वी के खिलाफ खासकर राज्यसभा में निंदा प्रस्ताव लाने की मांग पर अडिग रहे, जहां विपक्ष का संख्याबल पर्याप्त है। सोमवार को भी निंदा प्रस्ताव लाने और मतदान कराने की मांग को लेकर उच्च सदन में विपक्ष ने हंगामा काटा,लेकिन सभापति हामिद अंसारी ने बीच का रास्ता निकालकर निंदा प्रस्ताव के रूप में ही सही एक बयान पढ़कर इस मुद्दे पर विराम लगाया।
क्या करेंगे कल्याण बनर्जी
इस मुद्दे पर खत्म हुए तकरार के अगले दिन मंगलवार को ही लोकसभा में सत्तापक्ष ने साध्वी के मुद्दे पर अपनाए गये विपक्ष के दांव को उन्हीं के सिर मंढ दिया। मसलन लोकसभा में भाजपा सांसदों ने प्रधानमंत्री नर्रेन्द्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस की आपत्तिजनक टिप्पणी को आधार बनाकर मुद्दा उठाया। बदजुबानी पर विपक्ष की पैदा की गई परंपरा अब तृणमूल कांग्रेस की मुसीबत बनने की संभावना है। वजह यह कि भाजपा सांसदों की मांग है कि तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी या तो सार्वजनिक माफी मांगे अथवा उनके खिलाफ दोनों सदनों में निंदा प्रस्ताव लाने के लिए सत्ता पक्ष मजबूर हो सकते हैं। दिलचस्प पहलू यह है कि साध्वी मामले पर लामबंद विपक्ष कल्याण बनर्जी के मुद्दे पर क्या तृणमूल के साथ होगा या फिर विपक्ष अपने द्वारा पैदा की गई निंदा प्रस्ताव की परंपरा पर कायम रहेगा। खैर यह अभी आने वाले दिन पर निर्भर है कि संसद में बुधवार को इस मुद्दे पर सत्तापक्ष और तृणमूल कांग्रेस क्या रूख अपनाएंगी।
10Dec-2014

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें