गुरुवार, 9 मई 2024

कांग्रेस भी नई चुनावी रणनीति के साथ खोई सियासी जमीन तलाने में जुटी 
ओ.पी. पाल.नई दिल्ली। दक्षिण भारत की सियासत के साथ देश में सत्ता की हैट्रिक बनाने की रणनीति से चुनाव मैदान में उतरी भाजपा ने आंध्र प्रदेश में सत्तारुढ वाईएसआर कांग्रेस को चुनौती देने के लिए तेलुगू देशम पार्टी और जन सेना पार्टी के साथ गठबंधन किया है। प्रदेश के विभाजन के बाद आंध्र प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा के लिए यह दूसरा चुनाव है। चूंकि साल 2019 के चुनाव में वाईएसआर ने राज्य की 22 लोकसभा और विधानसभा की 151 सीटें जीतकर सभी राजनैतिक गठबंधनों को आइना दिखा दिया था और राज्य में सरकार बना ली थी। इसलिए इस बार के लोकसभा और विधानसभा में भाजपा ने अपनी शून्यता खत्म करने के मकसद से राज्य के दलों के सहयोग से नए सिरे से जमीनी चुनावी रणनीति तैयार की है। वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा की तरह खाली हाथ लौटी कांग्रेस भी इंडिया गठबंधन के साथ नई चुनावी रणनीति से अपनी खोई हुई सियासी जमीन का आधर तलाशने में जुटी है। मसलन आंध्र प्रदेश की 25 लोकसभा और 175 विधानसभा सीटों के लिए चौथे चरण में 13 मई को एक साथ होने वाले चुनाव में राजग और इंडिया गठबंधन ने सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस को चुनौती देने के इरादे से चुनावी जंग में कदम रखा है। 
आंध्र प्रदेश से तेलंगाना अलग होने के बाद बदले सियासी समीकरणों के बीच पहली बार हुए लोकसभा चुनाव-2019 में भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों की सियासी रणनीति शून्य साबित हुई थी और वाईएसआर कांग्रेस ने अपना परचम लहराकर लोकसभा चुनाव में 25 में से 22 और विधानसभा की 175 में 151 सीटे जीतकर सबको चौंकाया था। उस समय भी राजग में तेदेपा व भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन तेदेपा को लोकसभा में तीन और विधानसभा में 23 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। इसलिए मजबूरी में इस बार भी तेदेपा को राजग के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरना पड़ रहा है। वहीं तेदेपा के अलावा भाजपा की दूसरी सहयोगी पार्टी जन सेना पार्टी के प्रमुख एवं टॉलीवुड के अभिनेता से राजनेता बने पवन कल्याण के लिए इस चुनावी समर में अपनी एक दशक पु़रानी जेएसपी को मजबूत बनाकर सियासी जमीन तैयार करने का बेहतर मौका साबित हो सकता है। 
क्या है सियासी दलों की रणनीति 
भाजपा दक्षिण भारत में अपनी सियासी ताकत बढ़ाने में जुटी है। इसलिए भाजपा ने आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ दल वाईआरएस कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का प्रयास किया था। लेकिन विभाजन के बाद पहली बार साल 2019 के चुनाव में 25 लोकसभा सीटों में से 22 सीटे जीतकर सिरमौर साबित हुई जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस ने अकेले दम पर ही चुनाव लड़ने की रणनीति से सभी सीटों पर उम्मीदवार उतार दिये हैं। जबकि छह साल के अंतराल बाद आंध्र की तेलुगू देशम पार्टी के मुखिया चन्द्रबाबू नायडू ने भाजपा के साथ गठबंधन करके चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया, जिसमें अभिनेता रहे पवन कल्याण की जन सेना पार्टी भी उसकी सहयोगी बनी। इस गठबंधन के तहत आंध्र प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में तेदपा ने 17, भाजपा ने 6 और जेएसपी ने 2 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को चुनावी जंग में उतारा है। तो दूसरी ओर वहीं इंडिया गठबंधन का नेतृत्व कर रही कांग्रेस पार्टी ने राज्य में वापसी करने के इरादे से चुनाव रणनीति बनाकर 23 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं, जबकि एक-एक सीट अपने सहयोगी दलों सीपीआई और सीपीआई(एम) को दी है। गौरतलब है कि 2014 में अविभाजित आंध्र प्रदेश में 42 लोकसभा और 294 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव हुआ था, तो लोकसभा में सबसे ज्यादा 16 और विधानसभा में 126 तेदेपा-भाजपा ने हासिल की थी। वहीं उस दौरान 11 टीआरएस, दो कांग्रेस, और एक एआईएमआई को मिली थी और विधानसभा चुनाव में तेदेपा-भाजपा सबसे बड़े गठबंधन के रुप में उभरा था। इसके बाद दो जून 2014 को आंध्र प्रदेश के हिस्से से कटकर तेलंगाना पृथक राज्य के रुप में अस्तित्व में आया और तेलंगाना को लोकसभा की 17 और विधानसभा की 119 सीटें मिली। 
मतदाताओं का चक्रव्यूह 
आंन्ध्र प्रदेश में 25 लोकसभा सीटों में से चार अनुसूचित जाति(एससी) और एक अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित है। लोकसभा की 25 सीटों पर 454 प्रत्याशियों के सामने भेदने के लिए संख्या 4,09,37,352 मतदाओं का चक्रव्यूह बना है, जिसमें 2,00,84,276 पुरुष, 2,08,49,730 महिला और 3,346 थर्डजेंडर मतदाता शामिल हैं। वहीं 67,393 सर्विस मतदाता, 7763 प्रवासी, 5,17,140 दिव्यांग मतदातओं के अलावा 85 साल से अधिक आयु वाले 2,12,237 बुजर्ग मतदाता भी मतदान करने के लिए अधिकृत है। खास बात ये भी है कि आंध्र प्रदेश में 18-19 साल के 9,01,863 युवा मतदाता पहली बार वोटिंग करेंगे। 
मतदान केंद्रों की व्यवस्था 
आंध्र प्रदेश में 46,165 मतदान केंद्र बनाए गये हैं, जिनमें 179 महिला प्रबंधित मतदान दल, 63 मतदान केंद्र दिव्यांगजन द्वारा प्रबंधित, 50 मतदान केंद्र युवाओं द्वारा प्रबंधित और 555 मॉडल मतदान केंद्र बना शामिल हैं। एक मतदान केंद्र पर अधिकतम 1500 मतदाता वोटिंग करेंगे। मतदान के दौरान वरिष्ठ नागरिकों और विशेष रूप से विकलांग मतदाताओं के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी, ताकि वे आसानी से अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें। चुनाव आयोग के अनुसार मतदान के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय पुलिस बल के पूरक के लिए आंध्र प्रदेश को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 100 कंपनियां आवंटित की गई हैं।
इन लोकसभा सीटो पर होगा मतदान 
आंध्र प्रदेश में चौथे चरण में जिन सभी 25 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव होगा, उनमें अरुकु, श्रीकाकुलम, विजयनगरम, विशाखापत्तनम, अनाकापल्ली, काकीनाडा, अमलापुरम, राजमुंदरी, नरसापुरम, एलुरु, मछलीपट्टनम, विजयवाड़ा, गुंटूर, नरसारावपेट, बापटला, ओंगोल, नंद्याल, कुरनूल, अनंतपुर, हिंदूपुर, कडप्पा, नेल्लोर, तिरूपति, राजमपेट, और चित्तूर सीट शामिल हैं। 
जातीय समीकरण हावी 
उत्तर प्रदेश और बिहार की तरह आंध्र प्रदेश की सियासत जाति के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है. सूबे में तीन जातियों का वर्चस्व माना जाता है आर्य और द्रविड़ की मिश्रित जाति निवास करती है, जिसमें हिंदू 90.89 प्रतिशत, मुस्लिम 7.30 प्रतिशत और ईसाई 1.38 प्रतिशत हैं। हिंदुओं में अनुसूचित जाति की आबादी 17 प्रतिशत है। पिछड़ा वर्ग में 143 जातियां शामिल हैं, जिनकी संख्या लगभग 37 प्रतिशत है। इसके अतिरिक्त कापू और विभिन्न अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की आबादी लगभग 15 प्रतिशत है। राज्य में 88.5 फीसदी जनसंख्या तेलगू भाषा का इस्तेमाल करता है। हालांकि आंध्र प्रदेश की राजनीति में तीन बड़ी जातियों कम्मा, कापू और रेड्डी का प्रभाव रहता है, जहां राजनीति में कम्मा एवं कापू एक-दूसरे के विरोधी रहे हैं। राज्य की 25 प्रतिशत आबादी वाली कम्मा और 15 प्रतिशत आबादी वाली कापू जातियों के वोटरों का जमीनी स्तर पर अगर तालमेल हो गया तो 10 प्रतिशत आबादी वाली रेड्डी के लिए यह चुनाव आसान नहीं होगा।
09May-2024

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