शनिवार, 18 मई 2024

हॉट सीट बारामूला: अपने ही गढ़ में चुनावी चक्रव्यूह के में फंसे उमर अब्दुल्ला

नेशनल कांफ्रेंस व पीपुल्स कांफ्रेस के मुकाबले को चुनौती देते पीडीपी व एआईपी के प्रत्याशी 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद नए परिसीमन के कारण बदले सामाजिक और राजनैतिक समीकरण के बीच केंद्र शासित प्रदेश की पांच सीटों पर हो रहे लोकसभा चुनाव में से एक नियंत्रण रेखा से सटी बारामूला लोकसभा सीट पर भी सभी की नजरें टिकीं है, जहां पांचवे चरण में 20 मई सोमवार को मतदान होगा। इस सीट पर राजग गठबंधन या भाजपा का कोई प्रत्याशी नहीं है, लेकिन विपक्षी इंडी गठबंधन में शामिल फारुख अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस और और महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के बीच आपसी स्पर्धा के बीच पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद गनी और एआईपी के इंजीनियर राशिद ने चुनावी जंग को दिलचस्प मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। यहां से इस बार नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष एवं जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला खुद चुनावी मैदान में है। राजनीतिज्ञों की माने तो इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है, लेकिन तिहाड़ जेल में बंद इंजीनियर रशीद के चुनावी जंग में आने से बने चक्रव्यूह में उमर अब्दुल्ला की राह मुश्किल नजर आ रही है। 
पाकिस्तान सीमा के नजदीक अलगाववाद और आतंक का गढ़ रही बारामूला लोकसभा सीट पर नए परिसीमन के बाद बदले समीकरणों के बीच चुनाव मैदान में उतरे राजनीतिक दलों के मुद्दे और सुर भी बदले हैं। भले ही ज्यादातर सियासी दलों के मुद्दों में धारा 370 की बहाली या आजादी अथवा स्वायत्तता या फिर स्वशासन हो, लेकिन जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद इतिहास बन चुके ऐसे मुद्दों के विपरीत बदले सामाजिक और राजनैतिक परिदृश्य के बीच यहां के लोगों के सामने शांति बहाली और विकास पहला सरोकार बनता नजर आ रहा है। इसलिए चुनावी जंग में उतरे सियासी दल भी अपनी चुनावी रणनीति बनाने को लेकर असमंजस में हैं। वहीं आतंकियों को फंडिग करने के आरोप में जेल में बंद इंजीनियर राशिद के बेटों अबरार रशीद (24) और असरार रशीद (20) के चुनाव प्रचार ने और नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सामने चुनौती खड़ी कर दी है। इसका कारण यह भी है कि अवामी इत्तेहाद पार्टी के अध्यक्ष शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद लोन ने साल 2019 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में एक लाख से ज्यादा वोट लेकर तीसरा स्थान हासिल किया था। 
क्या है इस सीट का सियासी सफर 
जम्मू कश्मीर में 1967 में अस्तित्व में आई बारामूला लोकसभा सीट पर अभी हुए 15 लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा 10 बार जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस(नेकां) के प्रत्याशी जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। पहले तीन चुनाव में यहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की, तो उसके बाद नेशनल कांफ्रेस ने यहां 1977 से 1989 तक हुए चुनाव में पांच बार लगातार नेशनल कांफ्रेंस ने जीत दर्ज की, जिसमें तीन बार यहां से सैफुद्दीन सोज सांसद रहे। 1996 के चुनाव में फिर यहां गुलाम रसूल ने कांग्रेस को जीत दिलाकर वापसी की, जहां उस चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस चुनाव मैदान में नहीं थी। लेकिन उसके बाद फिर नेकां के सैफुद्दीन सोज ने कांग्रेस को ऐसा बेदखल किया कि अब तक कांग्रेस यहां जीत का स्वाद नहीं चख पाई। इसके बाद नेशनल कांफ्रेंस के प्रत्याशियो ने 2009 तक लगातार अपना परचम लहराया, लेकिन 2014 के चुनाव में यहां पहली बार पीडीपी के मुजफ्फर हुसैन बेग ने जीत दर्ज की, लेकिन साल 2019 के चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस के मोहम्मद अकबर लोन ने चुनाव जीतकर साबित कर दिया कि यह नेशनल कांफ्रेंस का सियासी गढ़ है। शायद इसलिए नए परिसीमन से बदले राजनैतिक समीकरणों के बावूद श्रीनगर से तीन बार सांसद रहे नेकां के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने इस बार बारामुला लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया। 
ऐसे बदला लोकसभा क्षेत्र 
जम्मू कश्मीर में वर्ष 2022 में परिसीमन के बाद कुपवाड़ा, बारामूला, बांदीपोरा और बडग़ाम जिलों को मिलाकर बारामूला लोकसभा क्षेत्र का गठन किया गया, जिसमें अब 18 विधानसभा सीटें शामिल हो गई हैं। इसमें कुपवाड़ा जिले की करनाह, बेहगाम, कुपवाड़ा, लोलाब, हंदवाड़ा, और लंगेट, बारामूला जिले की सोपोर, रफियाबाद, उरी, बारामूला, गुलमर्ग, वागुरा-क्रीरी व पट्टन, बांदीपुरा जिले की सोनावरी, बांदीपुरा और गुरेज(सु) तथा बडगाम जिले की बडगाम व बीरवाह विधानसभा सीटें शामिल हैं। 
ये हैं प्रमुख प्रत्याशी 
जम्मू कश्मीर के उत्तरी भाग की मुस्लिम बाहुल्य बारामूला लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला के अलावा जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस से सजाद गनी लोन, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के मीर मोहम्मद फैयाज और आवामी इतिहाद पार्टी (एआईपी) के जेल में बंद इंजीनियर राशिद यानी अब्दुल राशिद शेख चुनावी जंग में हैं। वहीं नेशनल यूथ पार्टी, राष्ट्रीय जनक्रांति पार्टी, नेशनल पीपुल्स फ्रंट, नेशनल पैंथर पार्टी और नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी ने भी अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं। इनके अलावा इस सीट पर एक महिला समेत 14 निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी ताल ठोकी है। इन प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करने के लिए यहां कुल 17,37,865 मतदाता वोटिंग करने के लिए पंजीकृत हैं। 
शिया सुन्नी निर्णायक मतदाता 
उत्तरी जम्मू कश्मीर की मुस्लिम बाहुल्य बारामूला लोकसभा सीट पर चुनावी इतिहास गवाह है कि यहां किसी भी राजनैतिक दलों का भविष्य शिया-सुन्नी मतदाता ही तय करते आए हैं। पहाड़ी और नियंत्रण रेखा से सटे क्षेत्रों में गुर्जर और पहाड़ी समुदाय तो और निचले इलाकों में शिया-सुन्नी मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। 
इसी संसदीय क्षेत्र में पनपे अलगाववादी 
जम्मू कश्मीर के कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी, संसद हमले में शामिल आतंकी अफजल गुरू, जेकेएलएफ का मोहम्मद मकबूल बट, हिजबुल मुजाहिदीन व यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का पहला कमांडर व चेयरमैन अहसान डार, हुर्रियत नेता बिलाल गनी लोन, नईम अहमद खान, प्रो अब्दुल गनी बट सरीखे कई नामी आतंकी और अलगाववादी बारामुला-कुपवाड़ा संसदीय क्षेत्र से ही संबंध रखते हैं। 
18May-2024

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