सोमवार, 27 मई 2024

हिमाचल प्रदेश: भाजपा के सामने ‘क्लीन स्वीप’ की हैट्रिक लगाने की चुनौती

कांग्रेस ने भी भाजपा को चुनौती देने के लिए बिछाई सियासी बिसात 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में एक जून को देवभूमि हिमाचल प्रदेश की चार लोकसभा सीटों के लिए चुनाव होगा। इन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस दोनों प्रमुख दलों ने ही सियासत के खास चेहरों को चुनावी मैदान में उतारा है। भाजपा ने राज्य की चारों सीटों को जीतकर हैट्रिक बनाने की रणनीति के साथ अपने उम्मीदवारों को चुनावी जंग में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने भी भाजपा की घेराबंदी करने के इरादे से अपनी अलग ही रणनीति के साथ प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे हैं। यहां चारों सीटों पर स्थानीय दलो ने भी चुनावी जंग में अपने प्रत्याशी उतारकर भाजपा और कांग्रेस की सियासी रणनीति को प्रभावित करने का प्रयास किया है। देवभूमि हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी राज्य की सियासत अन्य राज्यों से अलग है, जहां इस बार अठारहवीं लोकसभा के लिए हो रहे चुनाव में सत्तारुढ़ कांग्रेस पार्टी ने भाजपा के खिलाफ मजबूत रणनीति तैयार की है और चारों सीटों पर ऐसे प्रत्याशी खड़े किये हैं, जो भाजपा के लिए चुनौती बन सकते हैं। यहां की चारों लोकसभा सीटों पर तीसरे राष्ट्रीय दल बसपा के प्रत्याशी भी चुनावी जंग में हैं। खासबात ये हैं कि यहां हिमाचली राजनीतिक दलों में राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी, हिमाचल जनता पार्टी, अखिल भारतीय परिवार पार्टी जैसे दलों के ऐसे प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में हैं, जो प्रमुख मुकाबले में शामिल भाजपा और कांग्रेस के चुनाव को प्रभावित करने में सक्षम हैं। इन चारों सीटों पर इन दलों समेत कुल 37 प्रत्याशी लोकसभा की चुनावी जंग में हैं, जिनमें 12 निर्दलीय प्रत्याशी भी सियासी ताल ठोक रहे हैं। यहां की लोकसभा सीटों में केवल शिमला लोकसभा क्षेत्र ही ऐसा है, जहां एक भी निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं हैं। 
किसी सीट पर कैसा चुनावी समीकरण 
मंडी लोकसभा सीट: यह सीट इस बार इसलिए चर्चाओं में है कि जहां भाजपा ने इस बार फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत को प्रत्याशी बनाया है। जबकि कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश की सूक्खू सरकार के कैबिनेट मंत्री विक्रमदित्य सिंह को प्रत्याशी बनाकर लोकसभा चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। पिछले चुनाव में यहां भाजपा के रामस्वरुप शर्मा लगातार दूसरी बार जीतकर लोकसभा पहुंचे थे, लेकिन 17 मार्च 2021 को दिल्ली में उनकी संदिग्ध मौत हो गई थी, जिसके कारण यहां उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी एवं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने जीत दर्ज कर ली थी। यानी इस सीट पर फिलहाल कांग्रेस काबिज है। हालांकि इस सीट के दायरे में आने वाली 17 विधानसभाओं में से 13 सीटों पर भाजपा के विधायक है, लेकिन कांग्रेस की रणनीति के खिलाफ यहां भाजपा ने कंगना रनौत को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर भाजपा व कांग्रेस के अलावा बसपा और स्थानीय दलों समेत कुल दस प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। 
हमीरपुर लोकसभा सीट: इस सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है, जहां 1996 के चुनाव को छोड़कर 1989 से अब तक भाजपा दस बार जीत हासिल करके सिरमौर बनी हुई है। इनमें से तीन बार हिमाचल की भाजपा सरकार में सीएम रह चुके प्रेम सिंह धूमल तीन बार जीत हासिल करके लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, जिसके बाद पिता की विरासत को उनके बेटे अनुराग ठाकुर संजोय हुए हैं। भाजपा प्रत्याशी के रुप में मोदी कैबिनेट के युवा नेताओं में शुमार केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को इस बार पांचवी जीत की दरकार है। भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने की रणनीति के साथ कांग्रेस ने यहां सतपाल रायजादा को चुनावी जंग में उतारा है। इस लोकसभा सीट के दायरे में आने वाली 17 विधानसभाओं में से 11 पर भाजपा और छह पर कांग्रेस के विधायक काबिज हैं। यहां सबसे ज्यादा 12 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहें हैं, जिनमें पांच निर्दलीय भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
कांगड़ा लोकसभा सीट: इस रणभूमि पर पिछले 15 साल से भाजपा का दबदबा है, जहां से भाजपा के प्रत्याशी सात बार जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं, जिनमें हिमाचल के मुख्यमंत्री रह चुके शांता कुमार ने भी दो बार जीत हासिल की है। इस बार नई रणनीति के साथ भाजपा ने मौजूदा सांसद किशन कपूर का टिकट काटकर प्रदेश के उपाध्यक्ष कद्दावर नेता राजीव भारद्वाज को प्रत्याशी बनाया है। जबकि कांग्रेस ने उनके खिलाफ पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा को प्रत्याशी बनाया है, जो पहली बार लोकसभा चुनाव के रण में है, इससे पहले उन्होंने केवल एक बार विधानसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन सफल नहीं रहे थे। इसलिए उनकी राजनीति राज्यसभा सदस्य के भरोसे ही चलती रही है। इस सीट पर कुल दस प्रत्याशी चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
शिमला लोकसभा सीट: हिमाचल प्रदेश की एक मात्र आरक्षित पर भाजपा के मुकाबले कांग्रेस की पकट मजबूत मानी जाती है। हालांकि पिछले तीनों चुनाव लगातार यहां भाजपा के सांसद काबिज है। भाजपा ने इस बार अपने मौजूदा सांसद सुरेश कश्यप पर भरोसा जताया है। कांग्रेस ने यहां वापसी करने की रणनीति के तहत यहां से सोनल जिले की कसौली क्षेत्र के मौजूदा विधायक विनोद सुल्तानपुरी को प्रत्याशी बनाकर नया दांव खेला है। इस सीट पर चुनाव मैदान में पांच प्रत्याशियों में बसपा के अनिल कुमार मंगेट के अलावा राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी के सुरेश कुमार और अखिल भारतीय परिवार पार्टी के प्रत्याशी मदनलाल भी सियासी किस्मत आजमा रहे हैं। हिमाचल में 57.12 लाख मतदाता 
लोस क्षेत्र  पुरुष        महिला    थर्डजेंडर  कुल मतदाता 
कांगड़ा   7,76,880  7,47,147      5        15,24,032 
मंडी       6,98,666  6,78,504      3       13,77,173 
हमीरपुर 7,38,522  7,17,562    15      14,56,099 
शिमला(सु) 6,99,007 6,55,646 12     13,54,665 
----------------------------------------- 
कुल    29,13,075   27,98,859   35      57,11,969 
------------------------------------------- 
पहली बार मतदान करेंगे युवा 
हिमाचल प्रदेश की चार लोकसभा सीटों पर 18-19 साल की आयुवर्ग के 1,38,918 नये युवा मतदाता पहली बार मतदान करेंगे, जिनमें 63916 महिलाएं और एक थर्डजेंडर भी शामिल है। इनके अलावा हिमाचल में 1641 महिलाओं समेत 66,390 सर्विस और नौ महिलाओं समेत 34 भारतीय प्रवासी मतदाता भी पंजीकृत हैं। 
मतदान केंद्रों का कठिन गणित 
लोकसभा चुनाव में मतदान के लिए 7990 मतदान केंद्र बनाए गये हैं, जिनमें से 425 मतदान केंद्र क्रिटिकल हैं। तीन विधानसभा क्षेत्रों में चार ऐसे मतदान केंद्र हैं, जो समुद्रतल की दस हजार से 15 हजार से ज्यादा फीट की ऊंचाई पर होंगे। इनमें लाहौल व स्पिति विधान क्षेत्र का टाशीगंग के मतदान केंद्र की ऊंचाई 15256 फीट और नाको के मतदान केंद्र की ऊंचाई 12010 फीट है। इसके अलावा भरमौर विधानसभा क्षेत्र के चस्क भटौरी के मतदान केंद्र 11302 तथा मनाली विधानसभा के काथी में बने मतदान केंद्र की ऊंचाई 10 हजार फीट है। भरमौर विधानसभा क्षेत्र के ऐहलमी केंद्र पर 183 और और भटीयात विधानसभा के चक्की मतदान केंद्र पर 135 मतदाताओं का मतदान करने के लिए मतदानकर्मियों को 13-13 किमी पैदल चलना पड़ेगा। सबसे ज्यादा 1410 मतदाता डलहौजी विधानसभा क्षेत्र के मनोला मतदान केंद्र पर वोटिंग करेंगे। जबकि शिमला विधानसभा क्षेत्र के समरहिल पर 34 तथा किन्नौर सीट के का मतदान केंद्र पर महज 16 मतदाता वोटिंग करने के लिए अधिकृत हैं। छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव पिछले दिनों हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष द्वारा दल बदल करने वाले छह विधायकों को अयोग्य घोषित करने के कारण खाली हुई धर्मशाला, लौह स्पिति, कुटलैहड, गगरेट, बड़सर और सुजानपुर विधानसभा सीटों पर भी लोकसभा चुनाव के साथ ही मतदान होगा। इन सभी सीटों पर कुल 25 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, जिनमें 12 निर्दलीय प्रत्याशी भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 
जातीय समीकरण साधने में जुटे दल 
हिमाचल प्रदेश की राजनीति में जातीय से लेकर क्षेत्रीय समीकरणों को साधते हुए राजनीतिक दल अपने प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारते रहे हैं। यदि इस पहाड़ी राज्य में जातीगत समीकरण पर गौर करें तो सबसे ज्यादा 50.72 प्रतिशत स्वर्ण वर्ग के मतदाता हैं, जिनमें 32.72 प्रतिशत राजपूत और 18 प्रतिशत ब्राह्मण हैं। जबकि राज्य के मतदाताओं में 25.22 अनुसूचित जाति, 13.52 प्रतिशत ओबीसी, 5.7 अनुसूचित जाति और 4.83 अलपसंख्य यानी सिख, ईसाई, जैन और मुस्लिम जाति के मतदाता हैं। 
27May-2024

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें