शनिवार, 25 मई 2024

हॉट सीट आजमगढ़: यादवों के सियासी गढ़ में घिरे भाजपा सांसद दिनेशलाल निरहुआ

बसपा छोड़ गुड्डू जमाली ने सपा का दामन थामकर बढ़ाई भाजपा की मुश्किलें 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। त्तर प्रदेश की आजमगढ़ लोकसभा सीट पर कल शनिवार को मतदान होगा, जहां मौजूदा सांसद एवं भोजपुरी गायक दिनेश लाल यादव निरहुआ को भाजपा ने एक बार फिर चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रुप में एक बार फिर सैफई के मुलायम परिवार के धर्मेन्द्र यादव भाजपा से पिछले उपचुनाव में हार का बदला चुकता करने के इरादे से चुनाव मैदान में है। सपा मुस्लिम-यादव समीकरण अपने इस अपने सियासी गढ़ के रुप में अस्तित्व करने के लिए इस कदर पूरी ताकत के साथ चुनाव प्रचार में जुटी रही, कि पूरा मुलायम परिवार आजमगढ़ में डेरा डाले हुए है। वहीं इसी परिवार की बहू अर्पणा यादव भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल निरहुआ के लिए चुनाव प्रचार करती नजर आ रही है। वहीं भाजपा और सपा के प्रत्याशियों के खिलाफ बसपा ने बड़ा दांव खेलते हुए मुस्लिम चेहरे को चुनावी जंग में उतारा है। हालांकि इस सीट चुनावी इतिहास और सियासी व जातीय समीकरण को देखते हुए इसलिए भी भाजपा प्रत्याशी की राह मुश्किल नजर आ रही है, क्योंकि यहां बसपा के एक बड़ा चेहरा शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली बसपा छोड़कर सपा में आ गये हैं, जिससे सपा का मजबूत होना स्वाभाविक है। फिर भी यहां चुनाव का सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा यह चुनावी नतीजे आने पर तय होगा। 
यूपी में पूर्वांचल क्षेत्र के अहम जिलों में शामिल आजमगढ़ की इस लोकसभा सीट के दायरे में पांच विधानसभाएं आती है और सभी सीटों पर सपा के विधायक हैं। इस लोकसभा सीट पर 20 चुनावों में 14 बार यादव प्रत्याशी ही चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। पिछले चुनाव में साल 2019 में इस सीट से सपा के अखिलेश यादव ने भाजपा प्रत्याशी भोजपुरी सिनेमा के स्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ से चुनाव जीता था, लेकिन साल 2022 में विधायक निर्वाचित होने के बाद उन्होंने यह सीट छोड़ी और उसी साल उपचुनाव में बदांयू से हार चुके मुलायम परिवार के ही धर्मेन्द्र यादव चुनाव लड़े, जहां भाजपा के दिनेशलाल निरहुआ ने उन्हें महज 8,679 मतों से हरा दिया, इस चुनाव में बसपा के गुड्डू जमाली 2,66,210 लेकर तीसरे स्थान पर थे, जो इस बार सपा के पाले में जाकर धर्मेन्द्र यादव को जिताने का प्रयास कर रहे हैं। इस सीट पर भाजपा, सपा के अलावा बसपा के मशहुद अहमद समेत कुल आठ प्रत्याशी चुनाव मैदान में है, लेकिन प्रमुख मुकाबला भाजपा व सपा के बीच ही माना जा रहा है। 
ये है चुनावी इतिहास 
आजमगढ़ लोकसभा सीट पर अभी तक 20 चुनाव और उपचुनावों में कांग्रेस 7, भाजपा और जनता पार्टी 2-2, जनता दल एक, सपा और बसपा 4-4 जीती है। यहां पहले छह चुनावो में कांग्रेस प्रत्याशी जीते हैं। इसके बाद 1977 में जनता पार्टी के रामनरेश यादव चुनाव जीते थे, लेकिन अगले साल ही उपचुनाव में यहां कांग्रेस की मोहसिना किदवई लोकसभा पहुंची। साल 1980 में जनाता पार्टी के चंद्रजीत यादव, तो 1984 में फिर कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा किया। इसके बाद 1989 में यहां पहली बार बसपा को जीत मिली, तो 1991 यहां चंद्रजीत यादव ने फिर जनता दल के टिकट पर जीत हासिल की। साल 1996 में इस सीट पर पहली बार समाजवादी पार्टी ने खाता खोला, लेकिन अगले चुनाव में बसपा के अकबर अली डंपी यहां से सांसद बने। जबकि रमाकांत ने 1999 में सपा और 2004 में बसपा के लिए चुनाव जीता और वे इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गये। इसकारण साल 2008 में यहां उपचुनाव हुआ तो बसपा के अकबर अली डंपी जीतकर फिर लोकसभा पहुंचे। साल 2009 का चुनाव रमाकांत यादव ने भाजपा के टिकट पर लड़ा और भाजपा को पहली जीत दिलाई। साल 2014 में यहां समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव और 2019 में उनके बेटे अखिलेश यादव चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। 
मतदाताओं का चक्रव्यूह 
कुल मतदाता-1868165 
पुरुष मतदाता-9,85,389 
महिला मतदाता- 8,82,739 
  थर्ड जेंडर-37 
जातीय समीकरण 
आजमगढ़ सीट पर जातिगत समीकरण देखा जाए तो यहां 37 प्रतिशत ओबीसी में 25 फीसदी अकेले यादव हैं, जबकि दलित 24 फीसदी, स्वर्ण 19 फीसदी और भूमिहार, ठाकुर, ब्राह्मण, कायस्थ करीब सात फीसदी मतदाता हैं। इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 19 फीसदी हैं। 
  25May-2024

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