शनिवार, 4 मई 2024

 






भाजपा व सपा के बीच बसपा के सियासी दांव ने दिलचस्प बनाया चुनावी मुकाबला 
ओ.पी. पाल
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव मे यूपी की सियासत गर्म है और सभी राजनैतिक दल चुनावी महासमर में व्यस्त हैं। समाजवादी पार्टी का गढ़ बनी मैनपुरी लोकसभा सीट पर मुलायम सिंह यादव की सियासी विरासत को बचाने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव की धर्मपत्नी डिंपल यादव चुनाव मैदान में हैं। तो वहीं भाजपा ने यहां सपा के गढ़ को ध्वस्त करने की जिम्मेदारी योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री जयवीर को प्रत्याशी बनाकर सौंपी है, जिन्होंने मैनपुरी विधानसभा चुनाव सपा का तिलिस्म तोड़कर अपनी सियासी ताकत दिखाई थी। दरअसल इस सीट पर मुद्दों को दरकिनार करके सभी सियासी दल जातियों की बिसात बिछाने की रणनीति के साथ चुनावी जंग में है। इन सबके बावजूद यहां भाजपा और सपा के बीच ही प्रमुख चुनावी मुकाबला होने के आसार नजर आ रहे हैं, लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती ने पूर्व विधायक शिव प्रसाद यादव को प्रत्याशी बनाकर इस सीट की चुनावी जंग को दिलचस्प मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। 
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अंतिम जिला माने जाने वाले मैनपुरी लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी का इसलिए गढ़ बनी हुई है, कि 1989 में समाजवादी पार्टी ने ऐसा सियासी सिक्का जमाया कि तब से अब तक खासकर भाजपा व बसपा के राजनीतिक दांवपेंच सपा के गढ़ को भेदने में नाकाम रहे हैं। हालांकि इस सीट बसपा से ज्यादा भाजपा दूसरे पायदान पर रही है। इसलिए इस बार भाजपा पहले पायदान पर आने के लिए नई रणनीति के साथ यहां चुनावी मैदान में है। वहीं बसपा भी अपने सोशल इंजीनिरिंग की रणनीति से चुनाव मैदान में है। सपा इस बार पीडीए यानी पिछडा, दलित और अल्पसंख्य आधारित रणनीति से अपनी विरासत को बचाने के लिए चुनावी जंग में है। इसलिए लंदन में पढ़ रही अखिलेश यादव की सुपुत्री अदिति यादव भी मम्मी डिंपल यादव के चुनाव प्रचार में गांव गांव घूमकर सहानुभूति बटोरने का प्रयास कर रही है। 
मैनपुरी सीट का सियासी सफर 
मैनपुरी लोकसभा सीट पर 17वीं लोकसभा के लिए 20 चुनाव हो चुके हैं। लेकिन पिछले 35 साल से इस सीट पर सपा यानी मुलायम सिंह यादव परिवार का कब्जा है। उससे पहले हालांकि 1977 और 1980 तक तत्कालीन जनसंघ और अब भाजपा समर्थित जनता पार्टी के प्रत्याशी जीते है, जबकि 1984 में यहां कांग्रेस के बलराम सिंह यादव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। इससे पहले इस सीट पर कांग्रेस ने आजाद भारत के पहले लोकसभा चुनाव की जीत के बाद चार बार ही जीत दर्ज की है। 1996 से अब तक समाजवादी पार्टी ने यहां दस जीत दर्ज की है, जिसमें तीन उप चुनाव भी शामिल हैं। मुलायम सिंह यादव यहां से खुद चार बार और उनके एक एक बार उनके भतीजे तेजप्रताप सिंह यादव व धर्मेन्द्र यादव भी लोकसभा पहुंचे। इस सीट से पहली बार 1996 में यहां से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे मुलायम सिंह यादव केंद्र में जनता पार्टी की वीपी सिंह सरकार में रक्षा मंत्री भी रहे। पिछले चुनाव में मोदी लहर के बावजूद मुलायम सिंह यादव ने शानदार जीत दर्ज की थी, लेकिन बीमारी के कारण उनके निधन के बाद खाली सीट पर उनकी बहू यानी अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव उप चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची, जो इस बार मुलायम सिंह यादव की सियासी विरासत को बचाने के लिए चुनाव मैदान में है। 
जातीय समीकरण 
लोकसभा चुनाव में यादव बाहुल्य मैनपुरी लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा 3.50 लाख से अधिक यादव मतदाता हैं, जिसके बाद 1.50 लाख ठाकुर, 1.40 दलित, 1.20 लाख ब्राह्मण, करीब एक लाख लोध और एक-एक लाख कुर्मी और मुस्लिम मतदाता मौजूद हैं। यादवों के साथ ठाकुर और दलित वोटर भी इस सीट पर निर्णायक भूमिका में है। समाजवादी पार्टी यहां अपने परंपरागत मुस्लिम और ओबीसी के समर्थन पर सियासत की जमीन बोती रही है। मैनपुरी, करहल, भौगांव, किशनी, जसवंतनगर विधानसभाओं को मिलाकर बनी इस लोकसभा सीट पर 17.3 लाख मतदाताओं के चक्रव्यूह को भेदने के लिए इस सीट पर आठ प्रत्याशी चुनावी मैदान में है। 
कौन हैं भाजपा, सपा व बसपा प्रत्याशी 
भाजपा प्रत्याशी जयवीर सिंह ठाकुर फिरोजाबाद के ककहरा निवासी हैं। इसी गांव से ग्राम प्रधानी का चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की थी। 2002 में कांग्रेस और 2007 में बसपा के टिकट पर घिरोर विधानसभा से विधायक चुने गये। जयवीर सिंह 2003 से 2006 तक यूपी सरकार में स्वतंत्र प्रभार के तौर पर स्वास्थ्य मंत्री रहे। जब कि 2007 में बनी मायावती सरकार में सिंचाई राज्य मंत्री बने। इसके बाद वह भाजपा में आए और मैनपुरी विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे, जो योगी सरकार में पर्यटन विभाग का मंत्रालय संभाल रहे हैं। इस सीट पर सपा प्रत्याशी डिम्पल यादव समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की धर्मपत्नी हैं, जो पहली बार 2009 में फिरोजाबाद के उपचुनाव में कांग्रेस के राजबब्बर से हार चुकी हैं। लेकिन कनौज सीट से 2012 में उपचुनाव में निर्विरोध निर्वाचित होकर संसद पहुंची। जबकि दूसरी बार 2014 में चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची। पिछला चुनाव वह कनौज से हार गई, लेकिन अपने ससुर मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी से उपचुनाव जीतकर सांसद बनी। बसपा प्रत्याशी ने पहली बार बसपा के टिकट से भरथना विधानसभा से जीत हासिल की थी। उसके बाद वे भाजपा में आ गए थे, लेकिन उसके बाद 2023 में उन्होंने अपनी खुद की पार्टी सर्वजन सुखाय पार्टी का गठन किया था। लेकिन उन्होंने बसपा में वापसी की और मैनपुरी सीट से प्रत्याशी बने। 
04May-2024

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें