गुरुवार, 16 मई 2024

हॉट सीट रायबरेली: कांग्रेस के सियासी गढ़ को ढ़ाहने की तैयारी में भाजपा!

कांग्रेस प्रत्याशी राहुल गांधी की परिवार की सियासी विरासत बचाने को होगी अग्नि परीक्षा 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की हाई प्रोफाइल रायबरेली लोकसभा सीट पर 20 मई को होने चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच दिलचस्प मुकाबला होने के आसार हैं। गांधी परिवार के परंपरागत गढ़ की विरासत संजोए रखने के इरादे से इस बार यहां से नेहरु-गांधी पांचवी पीढ़ी के राहुल गांधी कांग्रेस ने प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं रायबरेली सीट पर कांग्रेस का सियासी किले में सेंध लगाने के लिए एक ठोस रणनीति के साथ भाजपा ने योगी सरकार में मंत्री दिनेश प्रताप सिंह पर एक बार फिर भरोसा जताया है, जिन्होंने पिछले चुनाव में कांग्रेस की सोनिया गांधी को कड़ी टक्कर दी थी और भाजपा के वोट बैंक में इजाफा किया था। पिछले तीन चुनाव से इस सीट पर लगातार बढ़ते वोट बैंक की वजह से भाजपा को इस बार यहां जीत की उम्मीद है, लेकिन कांग्रेस भी रायबरेली से पांच पीढ़ियों के रिश्तों की दुहाई देकर गांधी परिवार की सियासी विरासत को कायम रखने की दिशा में ठोस रणनीति के साथ चुनावी जंग में कदम रखा है। 
उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट कांग्रेस खासकर गांधी परिवार के लिए सबसे सुरक्षित सीटों में मानी जाती है, जो नेहरु-गांधी परिवार का सियासी गढ़ बना हुआ है। फिरोजगांधी, इंदिरा गांधी, अरुण नेहरु के बाद पिछले पांच चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची सोनियां गांधी इस बार चुनाव नहीं लड़ रही हैं, जो राजस्थान से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हो चुकी है, लेकिन इस परंपरागत सीट खासतौर से मां सोनिया गांधी की सियासी विरासत को बरकरार रखने के लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इस सीट से लोकसभा चुनाव की जंग में ताल ठोक रहे हैं। उधर साल 2019 में यहां से सोनिया गांधी से पराजित होने वाले दिनेश प्रताप सिंह भाजपा के टिकट पर एक बार फिर कांग्रेस के खिलाफ पिछली हार का बदला चुकता करने के प्रयास में है। योगी सरकार में मंत्री रहते हुए वे रायबरेली में लगातार मतदाताओं के बीच में हैं, जिन्हें इस बार इस सीट पर जीत का पूरा भरोसा है। इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस के अलावा बसपा के ठाकुर प्रसाद यादव समेत आठ प्रत्याशी चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 
ये रायबरेली सीट का चुनावी इतिहास 
रायबरेली लोकसभा सीट पर अब तक हुए 20 चुनावों में 17 चुनाव कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीते हैं, जबकि भाजपा को दो तथा जनता दल को एक जीत नसीब हो चुकी है। आजदी के बाद पहले दो चुनाव में कांग्रेस के फिरोज गांधी ने जीते, जिनके निधन के बाद 1960 का उपचुनाव कांग्रेस प्रत्याशी आरपी सिंह के पक्ष में गया। इसके बाद 1962 का चुनाव कांग्रेस के बैजनाथ कुरील ने जीता। तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने 1967 व 1971 के दो चुनावों में लगातार जीत हासिल की, लेकिन आपातकाल में चली कांग्रेस विरोधी लहर में यहां से जनता पार्टी के राजनारायण के सामने इंदिरा गांधी को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 1980 के चुनाव में इंदिरा गांधी ने फिर वापसी की, लेकिन उन्होंने दूसरी सीट से जीत की वजह से इस सीट को छोड़ दिया, जिसके उपचुनाव और फिर 1984 के चुनाव में कांग्रेस के अरुण नेहरु यहां से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। इसके बाद अगले दो चुनाव में कांग्रेस की शीला कौल यहां से जीतकर लोकसभा पहुंची। 1996 और 1998 के चुनाव में यहां से भाजपा के अशोक सिंह ने चुनाव जीता। इसके बाद 1999 में कांग्रेस ने फिर वापसी करते सतीश शर्मा को सांसद बनवाया। कांग्रेस के विजय अभियान को जारी रखते हुए साल 2004 से यहां सोनिया गांधी ने इस विरासत को आगे बढ़ाया और एक उपचुनाव समेत लगातार पांच चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची। 
लगातार बढ़ा भाजपा का वोट बैंक 
भाजपा को इस बार रायबरेली सीट से जीत का पूरा भरोसा है। इसकी वजह ये है कि इस सीट पर 2009 में सोनिया गांधी को 72.23 प्रतिशत मिले थे, तो भाजपा को 3.82 प्रतशत वोट मिला और यह अंतर 68.41 प्रतिशत का था। जबकि 2014 के चुनाव में सोनिया गांधी को घटकर 63.80 प्रतिशत वोट और भाजपा को 21.05 प्रतिशत वोट मिले यानी पांच साल में भाजपा का 17.23 प्रतिशत वोट बढ़ा। जबकि साल 2019 में निर्वाचित होने के बावजूद सोनिया गांधी को वोट प्रतिशत और घटकर 55.78 प्रतिशत रह गया और भाजपा का बढ़कर 38.35 प्रतिशत हो गया। यहां भी भाजपा के वोट शेयर में 17.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और कांग्रेस व भाजपा की हारजीत का अंतर भी महज 17.43 फीसदी था। इसलिए भाजपा ने इस सीट पर अंतर को पाटने के लिए पहले से ऐसी रणनीति बनाई है, ताकि इस सीट पर जीत हासिल हो सके। 
सांसद चुनेंगे 17,84,314 मतदाता 
यूपी की रायबरेली लोकसभा सीटों पर आठ प्रत्याशियों के सामने 17,84,314 मतदाताओं का जंजाल है, जिसमें 9,31,427 पुरुष, 8,52,851 महिला और 36 थर्डजेंडर मतदाता शामिल हैं। इस लोकसभा सीट के दायरे में पांच विधानसभा क्षेत्र शामिल है, जिनमें बछरावां(सु) सीट पर 3,46,856,हरचंदपुर में 3,28,019, रायबरेली में 3,81,521, सरेनी में 378,547 और ऊंचाहार सीट पर 3,49,371 मतदाता हैं। लोकसभा के चुनाव में रायबरेली सीट पर 18-19 साल आयु के 28,197 नए युवा मतदाता पहली बार वोटिंग करेंगे, जिनमें 13,253 महिला वोटर शामिल हैं। रायबरेली लोकसभा सीट के लिए 20 मई को 1236 मतदान केंद्रों के 1867 बूथों पर मतदान किया जाएगा। 
जातीय समीकरण निर्णायक 
रायबरेली लोकसभा की करीब 34 लाख की आबादी में यदि जातीय और सामाजिक समीकरणों पर नजर डालें तो यहां 29 लाख से अधिक हिंदू और 4.13 लाख यानी 12.13 फ़ीसदी मुस्लिम आबादी है। हिंदुओं की आबादी में सबसे ज्यादा 34 प्रतिश दलित और करीब 26 फीसदी पासी हैं। इसके बाद 11 फीसदी ब्राह्मण, 12 फीसदी यादव, 6 फीसदी लोध, 5 फीसदी राजपूत, 4 फीसदी कुर्मी और बाकी अन्य जातियां हैं। 
कांग्रेस ने बनाई ठोस रणनीति 
यूपी की राय बरेली लोकसभा सीट को बचाए रखने के लिए कांग्रेस ने राय बरेली की जनता के नाम‘सेवा के सौ साल’ शीर्षक से एक खत लिखने के अलावा अपने चुनाव अभियान की शुरुआत की है। वहीं कांग्रेस ने यहां राहुल गांधी के पक्ष में चुनाव प्रचार में 103 साल यानी नेहरु-गांधी परिवार के बलिदान की गाथा वाली एक बुकलेट भी जारी की है। पार्टी ने खत और बुकलेट में कांग्रेस प्रत्याशी राहुल गांधी को गांधी-नेहरू परिवार का वारिश बताते हुए नेहरु-गांधी परिवार के बलिदान का हवाला दिया है और राय बरेली की जनता और गांधी परिवार के बीच पांच पीढ़ियों के रिश्ते होने की दुहाई दी गई है। इस बुकलेट में अंग्रेजी शासन काल तक के इतिहास का जिक्र किया गया है। वहीं कांग्रेस ने गांधी परिवार के यहां से प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्वजों द्वारा किये गये विकास कार्यो और दुख सुख में एक साथ खड़े होने का भी बखान शामिल है। इस चुनाव के लिए राहुल गांधी को समर्थन करके रिकार्ड मतों से जिताने की अपील की गई है। 
16May-2024

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