मंगलवार, 7 मई 2024

हॉट सीट विदिशा: साढ़े तीन दशक का सूखा खत्म करना कांग्रेस के लिए नहीं आसान

भाजपा के शिवराज को चुनौती देने उतरे पुराने कांग्रेस दिग्गज प्रताप भानु शर्मा 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की विदिशा लोकसभा सीट पर तीसरे चरण में मंगलवार सात मई को मतदान हो रहा है। विदिशा ऐसे महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्रों में शामिल है, जो खासतौर से भाजपा के लिए किसी प्रयोगशाला से कम भी नहीं है। मसलन इस सीट से भाजपा या उसके अनुसांगिक राजनीतिक दलों के जो भी यहां चुनाव मैदान में उतरे, उनमें अधिकांश प्रत्याशी यहां से जीत हासिल करके लोकसभा पहुंचे है। ऐसे दिग्गजों में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व विदेश मंत्री स्व. सुषमा स्वराज के अलावा मध्य प्रदेश के चार बार मुख्यमंत्री रहे खुद शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हैं, जिन्हें भाजपा ने एक बार फिर इस सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। भाजपा का गढ़ बन चुकी इस सीट पर कांग्रेस केवल दो बार जीत का स्वाद चख पाई है। इस बार कांग्रेस ने साढ़े तीन दशक के सूखे को खत्म करने के इरादे से इस सीट से दो बार सांसद रहे प्रताप भानु शर्मा को ही चुनावी जंग में उतार कर बड़ा दांव खेला है। हालांकि कांग्रेस के दावों के बावजूद कांग्रेस के लिए इस चुनौतीपूर्ण चुनावी जंग में भाजपा का अभेद किला भेदना कोई आसान राह नजर नहीं आती। बहरहाल यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला माना जा रहा है। 
मध्य प्रदेश की इस खास विदिशा लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी शिवराज सिंह चौहान ने अपने डेढ़ दशक से ज्यादा के अपने मुख्यमंत्री काल में उपलब्धियों को लेकर हर वर्ग के मतदाताओं को आकर्षित करने में जुटे हैं और एक लाडली बहना तथा मोदी की गारंटी के विशवास के साथ चुनाव जीतने की तैयारी में है। दूसरी ओर पांच बार सांसद और छह बार विधायक रह चुके भाजपा प्रत्याशी शिवराज सिंह चौहान को 33 साल बाद 77 वर्षीय प्रताप भानु शर्मा भाजपा शासनकाल और केंद्र सरकार की नाकामी गिनाने के साथ कांग्रेस की गारंटी के सहारे अपनी सियासी वैतरणी को पार लगाने की जुगत में हैं। इस सीट पर भाजपा इस बार जीत के अंतर का रिकार्ड बनाने की चुनावी रणनीति के साथ चुनाव मैदान में हैं। भाजपा और कांग्रेस की इस रणभूमि में इंडिया गठबंधन से बगावत करके समाजवादी पार्टी की सीमा वर्मा और बसपा के किशनलाल लड़िया समेत कुल 13 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 
विदिशा सीट का इतिहास 
मध्य प्रदेश की अस्तित्व में आई विदिशा लोकसभा सीट पर अब तक हुए 16 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस केवल दो बार ही जीत सकी है, जबकि 14 बार यहां आरएसएस विचारधारा के राजनीतिक दलों भारतीय जनसंघ, जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी जीत दर्ज की है । पहला चुनाव 1967 में भारतीय जनसंघ के पंडित शिव शर्मा जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। जबकि 1971 के चुनाव में सुविख्यात पत्रकार रामनाथ गोयनका ने जीत दर्ज कर जनसंघ का कब्जा बरकरार रखा। जबकि 1977 में जनता पार्टी के राघव ने चुनाव जीता, लेकिन उसके बाद 1980 और 1984 के चुनाव में कांग्रेस के प्रताप भानु शर्मा ने लगातार जीत हासिल की, लेकिन 1989 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रुप में राघव जी ने कांग्रेस पर पलटवार करके दूसरी बार चुनाव जीता और उसके बाद अब तक यहां भाजपा के सामने कांग्रेस लगतार परास्त होती आ रही है। 1991 के चुनाव में यहां से भाजपा प्रत्याशी के रुप में अटल बिहारी वाजपेयी रिकार्ड मतों से जीते, लेकिन लखनऊ लोकसभा सीट से भी निर्वाचित हुए वाजपेयी ने यह सीट छोड़ दी, जहां इसी साल हुए उपचुनाव में पहली बार शिवराज सिंह चौहान ने जीत हासिल की और इस सीट से लगातार पांच बार चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचते रहे। साल 2005 में भाजपा ने उन्हें मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया, तो उनके इस्तीफे के बाद यहां 2006 में उप चुनाव हुआ, जिसमें भाजपा के रामपाल सिंह ने भगवा लहराया। इसके बाद इस सीट से भाजपा ने 2009 के चुनाव में सुषमा स्वराज को प्रत्याशी बनाया, जो लगातार दो बार जीतकर लोकसभा पहुंची और केंद्र में मोदी सरकार में विदेश मंत्री भी बनी। पिछला चुनाव यहां से भाजपा के रमाकांत भार्गव ने जीता था, जिनके स्थान पर केंद्र की सियासत में लाने के लिए एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है।
ऐसा है कुछ जातीय समीकरण 
इस सीट पर कुल मतदाता 19,38,383 है, जिनमें 10,04,254 पुरुष और 9,34,046 महिला मतदाता शामिल है। चार जिलों की आठ विधानसभा क्षेत्रों से घिरी इस लोकसभा सीट पर 81.39 प्रतिशत ग्रामीण और 18.61 प्रतिशत शहरी आबादी की है। इस सीट के जातीय समीकरण में करी 38 प्रतिशत ओबीसी, 19 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 10 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति, 7 प्रतिशत मुस्लिम आबादी के अलावा बाकी सामान्य जातियों की आबादी है। इसके अलावा कुशवाह, दांगी, जैन मतदाता भी चुनावों में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। 
आठ विधानसभा में सात पर भाजपा काबिज 
विदिशा लोकसभा सीट 4 जिलों रायसेन, विदिशा सीहोर और देवास की 8 विधानसभा सभा क्षेत्रों से बनी है, जिसमें विदिशा जिले की विदिशा व बासौदा, रायसेन जिले की भोजपुर सांची(सु) व सिलवानी, सिहोर जिले की बुधनी व इच्छावर तथा देवास जिले की खाटेगांव विधानसभा क्षेत्र शामिल है। इन आठ विधानसभा सीटों पर भाजपा काबिज है, जबकि एक सीट पर कांग्रेस का विधायक है। विदिशा लोकसभा की बुधनी विधानसभा सीट से ही शिवराज सिंह चौहान खुद 6 बार विधायक भी रह चुके हैं। 
भाजपा व कांग्रेस का सियासी सफर 
इस सीट से भाजपा प्रत्याशी शिवराज सिंह चौहान किसी परिचय से मोहताज नहीं है, जो एबीवीपी से राजनीति की शुरुआत करते हुए भाजपा के संगठन में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर रहे और मध्य प्रदेश में चार बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर शासन भी किया, जहां महिलाओं के लिए लागू योजनाओं के कारण मामा होने का खिताब भी पा चुके हैं। पांच बार सांसद रहे शिवराज चौहान शिक्षा दीक्षा के साथ पूरा जीवन मध्य प्रदेश को ही समर्पित रहा है। आरएसएस के स्वयंसेवक शिवराज चौहान आपातकाल के दौरान वे भोपाल जेल में भी बंद रहे। विदिशा सीट पर कांग्रेस को लगातार दो बार जीत दिलाने वाले इकलौते दिग्गज प्रताप भानु शर्मा मैकेनिकल इंजीनियर, उद्योगपति और शिक्षाविद् होने के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। इस सीट पर वह कई बार चुनाव लड़े लेकिन कई बार हार का सामना करना पड़ा। शर्मा मध्य प्रदेश कांग्रेस, जिला लघु उद्योग संगठन और जिला चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष भी रहे हैं। अब 33 साल बाद एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। 
07May-2024

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