बुधवार, 29 मई 2024

चंडीगढ़: लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच वर्चस्व की जंग

शिरोमणि अकाली दल प्रत्याशी के मैदान छोड़ने से दिलचस्प हुआ चुनाव 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के सातवें एवं अंतिम चरण में चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर एक जून को मतदान होगा। इस बार इस सीट पर बदले सियासी समीकरणों के बीच भाजपा और कांग्रेस दोनों राष्ट्रीय दलों ने ही अपने प्रत्याशी बदल दिये हैं। भाजपा ने यहां लगातार दो बार से चुनाव जीतने वाली किरण खेर का टिकट काटकर संजय टंडन को प्रत्याशी बनाया है। जबकि इंडी गठबंधन की ओर से यहां चुनाव लड़ रही कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल के बजाए मनीष तिवारी पर दांव खेला है। जबकि शिरोमिण अकाली दल के घोषित प्रत्याशी हरदीप सिंह बुटरेला के अपनी पार्टी से ऐनवक्त पर इस्तीफा देकर टिकट वापस करने की वजह से चंडीगढ़ सीट के लोकसभा चुनाव के सियासी समीकरण दिलचस्प बनते नजर आ रहे हैं, जहां अब भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच सीधी टक्कर है, लेकिन यहां पैराशूट से उतारे प्रत्याशी को लेकर कांग्रेस पार्टी में भीतराघात पनपने से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती है। हालांकि यह तो चुनावी नजीजो से ही तय होगा कि इस सीट की चुनावी जंग जीतकर किसी दल का प्रत्याशी लोकसभा पहुंचेगा? 
पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ एक केंद्र शासित प्रदेश है। भाजपा ने इस बार मौजूदा सांसद किरण खेर का टिकट काटकर भाजपा ने यहां स्थानीय दिग्गज नेता संजय टंडन पर दांव खेला है। जबकि इंडी गठबंधन की ओर से कांग्रेस ने पिछले दो चुनाव में हार चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल का टिकट काटकर दिग्गज नेता एवं पंजाब की आनंदपुर साहिब के मौजूदा सांसद मनीष तिवारी को यहां प्रत्याशी बनाया है। पवन बंसल का टिकट काटने से यहां स्थानीय कांग्रेस संगठन में भीतर घात बढ़ता नजर आ रहा है। कांग्रेस की इस सीट के लिए तैयार की गई यह चुनावी रणनीति घाटे का सौदा हो सकता है। दूसरी ओर इस सीट पर पिछले चुनाव में भाजपा की सहयोगी रही शिरोमणि अकाली दल के प्रत्याशी हरदीप सिंह बुटरेला ने चुनाव मैदान छोड़कर पार्टी से इस्तीफा दे दिया है, जिसका फायदा भाजपा को मिलने की संभावना बताई जा रही है। बुटरेला चंडीगढ नगर निगम के पार्षद भी हैं। इस सीट पर बसपा ने भी महिला प्रत्याशी रीतू सिंह पर दांव खेला है, जो भाजपा व कांग्रेस के मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की फिराक में है। यहां चुनाव मैदान में कूदे 19 प्रत्याशियों में एक दर्जन प्रत्याशी निर्दलीय रुप से चुनाव लड़ रहे हैं। 
क्या है चुनावी इतिहास 
केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ के इतिहास में कहावत है कि इस सीट से जिस दल का प्रत्याशी निर्वाचित होता है, तो केंद्र में उसी दल की सरकार बनती है। ऐसी कहावत के बीच 18वीं लोकसभा चुनाव हो रहा है। लोकसभा के रुप में अस्तित्व में आए चंडीगढ़ सीट पर साल 1967 के पहले चुनाव में यहां भारतीय जनसंघ ने चुनाव जीता था, जिसके बाद 1971 में यहां काग्रेस और 1977 में जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी। 1980 और 1984 के चुनाव में यहां लगातार कांग्रेस के जगन्नाथ कौशल विजयी होकर लोकसभा पहुंचे, लेकिन 1989 में फिर यहां कांग्रेस की वापसी कराने में पवन बंसल सफल रहे, लेकिन 1996 और 1998 के चुनाव में यहां भाजपा के सत्यपाल जैन ने भगवा फहराया। इसके बाद 1999 से 2009 के तीन चुनाव में कांग्रेस के पवन कुमार बंसल लोकसभा पहुंचे और यूपीए सरकार में मंत्री भी बने। जबकि मोदी लहर में 2014 और 2019 का चुनाव भाजपा की किरण खेर ने जीतकर कांग्रेस को पीछे धकेल दिया, लेकिन इस बार भाजपा और कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी बदलकर चुनावी समीकरण को नया मोड़ दे दिया है। 
मतदाताओं का चक्रव्यूह 
केंद्र शासित चंडीगढ़ की एक मात्र लोकसभा सीट पर एक जून को होने वाले मतदान के लिए कुल 6,47,291 मतदाता हैं। जिनमें 3,35,060 पुरुष, 3,12,198 महिला और 33 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल है। इनके अलावा 85 साल से अधिक आयु वर्ग के 11,547 और दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 3,735 है। चंडीगढ लोकसभा सीट के लिए इस बार 18-19 आयुवर्ग के 15,006 नए युवा मतदाता पहली बार अपना वोट डालेंगे। 2019 के चुनाव में यहां 3,04,507 महिलाओं समेत कुल 6,46,708 थे। इस प्रकार पिछले पांच साल में केवल 583 मतदाताओं का इजाफा देखा गया है। नई मतदाता सूची में जहां पुरुष मतदाताओं की संख्या में 7141 की कमी आई, तो वहीं महिला मतदाताओं में 7691 की बढ़ोतरी भी हुई। 
युवा मतदाता होंगे निर्णायक 
केंद्र शासित राज्य की चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर 18 से 39 वर्ष आयु वर्ग के मतदाता किसी भी सांसद का चुनाव करने के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं, जिनकी 3,02,851 यानी 47 फीसदी है। इनमें 15006 की उम्र 18-19 तथा 1,40,212 मतदाताओं की उम्र 18 से 29 तक की है। खास बात ये भी है कि इस सीट पर 70-79 आयु वर्ग के 29960 मतदाताओं में 15152 महिला मतदाताओं की संख्या 14808 पुरुष वोटरों से ज्यादा है। 
इन्होंने डाला अपना वोट 
चुनाव आयोग ने इस बार बुजुर्गो और दिव्यांगों को फॉर्म 12डी के माध्यम से घर से मतदान का विकल्प दिया था, जिसके तहत 633 पात्र मतदाताओं ने आवेदन किया था, जिनका मतदानकर्मियों ने उनके घर जाकर उनका मतदान कराने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। 
जातीय समीकरण 
यदि चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण पर गौर की जाए, तो यहां की 97 फीसदी जनसंख्या शहरी है और तीन फीसदी ग्रामीण आबादी है। इनमें करीब 80 फीसदी आबादी हिंदू और करीब 20 फीसदी सिख समुदाय की आबादी हैं। हिंदू आबादी में 18.9 फीसदी अनुसूचित जाति के मतदाता भी शामिल है। जबकि मुस्लिम और ईसाई जनसंख्या 5 फीसदी के आसपास है। 
कौन है भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशी 
भाजपा प्रत्याशी संजय टंटन लंबे समय तक चंडीगढ़ के प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं और उन्हीं के इस कार्यकाल में भाजपा ने पिछले दोनों लोकसभा चुनाव और नगर निगम चुनाव में जीत हासिल की थी। टंडन भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दिग्गज नेता एवं पूर्व राज्यपाल बलराम टंडन के सुपुत्र हैं। भाजपा प्रत्याशी पेशे से चार्टेड अकाउंटेंट हैं। पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशी किरण खेर की जीत में उनकी सक्रीयता का बड़ा योगदान माना गया है। 
29May-2024

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें