सोमवार, 6 मई 2024

 
चर्चाओं में है भाजपा, सपा व बसपा प्रत्याशियों के प्रवासी होने का मुद्दा
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली। पश्चिम उत्तर प्रदेश की हाथरस लोकसभा सीट पर सात मई को होने वाला चुनाव भी हाईप्रोफाइल बना हुआ है। भाजपा का सियासी गढ़ माने जानी वाली इस सीट पर सपा और बसपा के बिछाए गये जाल को देखते हुए भाजपा ने मौजूदा सांसद का टिकट काटकर यहां यूपी सरकार में मंत्री अनूप वाल्मिकी को प्रत्याशी बनाया है। मसलन हाथरस लोकसभा सीट पर भाजपा की इस वर्चस्व की जंग में सीधे तौर पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। सियासी गलियारों में यह चर्चा भी गरमाई हुई कि भाजपा, सपा और बसपा यानी तीनों दलों के प्रत्याशी हाथरस जिले के बाहर के हैं। ऐसे सियासी समीकरण को देखते हुए माना जा रहा है कि इस सीट पर त्रिकोणीय चुनावी मुकाबला होने के आसार बने हुए हैं। 
देशभर में लोकसभा चुनाव में भाजपा ही नहीं अन्य राजनैतिक दल भी खासकर यूपी में जातीय समीकरण साधने में जुटे हुए हैं। यूपी की अनुसूचित जाति के प्रत्याशी के लिए आरक्षित हाथरस लोकसभा सीट पर हरेक राजनैतिक दल सामाजिक आधार पर अपना प्रत्याशी बनाता आ रहा है। भाजपा ने इस बार मौजूदा सांसद राजवीर सिंह दिलेर का टिकट काटकर इस सीट पर योगी सरकार में मंत्री अनूप वाल्मिकि को अपना प्रत्याशी बनाकर दांव खेला है। वहीं विपक्षी गठबंधन से समाजवादी पार्टी ने जसवीर वाल्मिकी तथा बहुजन समाज पार्टी ने हेमबाबू धनगर को इसी जातिगत समीकरण के दृष्टिगत अपने प्रत्याशी बनाकर भाजपा के तिलिस्म को तोड़ने की चुनावी रणनीति को धरातल पर उतारा है। लोकसभा पहुंचने के लिए इस सीट पर कुल दस प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 
हाथरस का चुनावी सफर 
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हाथरस लोकसभा सीट के अस्तित्व में आने के बाद अब तक यहां 15 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। इस सीट पर सबसे ज्यादा सात बार भाजपा के प्रत्याशी जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं, जबकि कांग्रेस ने चार, जनता पार्टी ने दो, जनता दल व रालोद ने एक-एक बार जीत दर्ज की है। साल 1962 में पहली बार हुए चुनाव में कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1967 और 1971 में भी कांग्रेस प्रत्याशी यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे। सत्ता विरोधी लहर में 1977 के चुनाव में जनता पार्टी का प्रत्याशी जीता और उससे अगला चुनाव 1980 में जनता पार्टी ने जीत हासिल की। 1984 में एक बार फिर कांग्रेस ने चौथी जीत दर्ज की। इसके बाद 1989 के चुनाव में यह सीट जनता दल के कब्जे में चली गई। इसके बाद 1991 से अब तक हाथरस लोकसभा सीट पर भाजपा ने सात बार जीत दर्ज की। इस अवधि के बीच साल 2009 राजग गठबंधन में भाजपा के समर्थन से ही रालोद प्रत्याशी ने यहां जीत दर्ज की। भाजपा के लिए विजयश्री की शुरुआत करने वाले किशनलाल दिलेर ने लगातार यहां भाजपा को चार बार जीत दिलाई। उसके बाद राजग गढबंधन से इस सीट पर रालोद की प्रत्याशी सारिका बघेल जीती, जबकि 2014 में यहां राजेश दिवाकर और 2019 में किशनलाल दिलेर के पुत्र राजवीर सिंह दिलेर निर्वाचित होकर लोकसभा पहुंचे। जिनका इस बार टिकट काटकर भाजपा ने योगी कैबिनेट में मंत्री अनूप वाल्मिकि को प्रत्याशी बनाया है। 
निर्णायक होंगी महिला वोटर 
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों में से एक हाथरस मुस्लिम-जाट वोटरों के प्रभाव वाली सीट है। इस सीट पर 8,95,855 पुरुष वोटर और 10,34,392 महिला और 48 थर्डजेंडर समेत कुल 19,30,297 हैं। यदि सीट के जातिगत समीकरण पर नजर डाली जाए, तो सर्वाधिक जाटव 2.75 लाख, ठाकुर 2.25 लाख, जाट 1.80 लाख, ब्राह्मण 1.55 लाख, मुस्लिम 1.45 लाख, वैश्य 1.25 लाख, धनगर व यादव एक-एक लाख, कोरी 85 हजार, धोबी 80 हजार,कुशवाहा 60 हजार वाल्मीकि 40 हजार, अहेरिया 30 हजार तथा अन्य अन्य जातियों के 1,12,929 मतदाता हैं। इस सीट के लिए 2063 मतदान स्थलों पर मतदान कराया जाएगा। 
कौन हैं भाजपा, सपा व बसपा प्रत्याशी 
अनूप प्रधान खैर तहसील क्षेत्र के गांव रकराना के रहने वाले हैं। रकराना धर्मपुर के प्रधान रहे। राजनीति की शुरूआत राष्ट्रीय लोकदल से की। जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में सफलता नहीं मिली। इसके बाद भाजपा में शामिल हो गए। 2012 में भाजपा के टिकट पर खैर विधानसभा क्षेत्र के भाग्य आजमाया। इसमें हार का सामना करना पड़ा। इन्हें मात्र 13.88 प्रतिशत वोट मिले थे। पार्टी में सक्रिय बने रहे। 2017 के चुनाव में पार्टी की टिकट पर जीत कर विधायक बने।र्ष 2022 के चुनाव में अनूप को दूसरी बार विधायक बनने का मौका मिला। इनकी बढ़ती सक्रियता के चलते उत्तर प्रदेश सरकार में राजस्व राज्य मंत्री बनाया गया। सपा प्रत्याशी जसवीर वाल्मीकि सहारनपुर जिले में देवबंद के निवासी और कपड़ा कारोबारी हैं, जो संगठन में प्रदेश सचिव के साथ रामपुर मनिहारन के सपा के विधानसभा प्रभारी भी हैं। पेशे से कपड़ा कारोबारी हैं। जबकि बहुजन समाज पार्टी ने हाथरस लोकसभा सीट से आगरा निवासी सॉफ्टवेयर इंजीनियर हेमबाबू धनगर के पिता जेपी धनगर बसपा के वरिष्ठ नेता रहे हैं। 
इसलिए सुर्खियों में हाथरस 
भाजपा का गढ़ बन चुकी हाथरस लोकसभा सीट राजनीतिक दृष्टि से अहम मानी जा रही है, लेकिन हिंदी जगत के सुविख्यात हास्य कवि काका हाथरसी की जन्मभूमि व कर्मभूमि भी हाथरस ही रही है। यहीं नहीं यहां बनाए जाने वाले मसाले खासतौर से हींग की खूशबू पूरे देश में लोगों के व्यंजनों के स्वाद में जायका पैदा कर रही है। भारत में ही नहीं, बल्कि हाथरस के हींग की सुंगन्ध कई विदेशी राष्ट्रपति के अलावा सऊदी अरब के किंग भी स्वाद के साथ चख चुके हैं। वहीं दूसरी ओर हाथरस की इस विख्यात पहचान पर सितंबर 2020 एक दलित युवती के साथ कथित गैंगरेप के बाद मौत की घटना ने ऐसा कलंकित किया कि उसकी गूंज चुनाव में सुनाई दे रही है। 06May-2024

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें