रविवार, 7 सितंबर 2014

आखिर जाली पायलटों पर गिरने लगी गाज!



डीजीसीए रद्द करेगी 131 पायलटों के लाइसेंस
परीक्षा दिये बिना सैकड़ो पायलट उड़ा रहे हैं विमान
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
विमानन क्षेत्र में हवाई यात्रा करने वाले लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पायलटों के फर्जीवाड़े पर लगाम कसने की मोदी सरकार की शुरू की गई कवायद रंग लाने लगी है। मोदी सरकार की पहल पर डीजीसीए ने जाली पायलटों की जांच में जेट एयरवेज पर ऐसा चाबुक चलाया है कि उसकी विमानन कंपनी के विमानों को बिना किसी योग्यता परीक्षा दिये विमानों को उड़ा रहे 131 पायलटों के लाइसेंस निरस्त करने की तैयारी कर ली, जिन्हें नोटिस जारी किये गये हैं।
मोदी सरकार के जाली पायलटों के खिलाफ कार्यवाही करने संबन्धी खबर हरिभूमि ने ‘जाली पायलट लाइसेंसों पर कसेगा शिकंजा’ नामक शीर्षक से प्रकाशित की थी, जिसका असर एक दिन बाद ही सामने नजर आया। विमानन मंत्रालय के अनुसार डीजीसीए ने जेट एयरवेज के 131 पायलटों के अलावा कंपनी के प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंकेक्षण के आधार पर पायलटों के अलावा जेट के मुख्य परिचालन अधिकारी और प्रशिक्षण प्रमुख को भी नोटिस जारी किए गए हैं। इन कारण बताओ नोटिस में हर छह महीने में होने वाली पायलट दक्षता जांच (पीपीसी) परीक्षण जैसी कौशल परीक्षा (प्रोफिशिएंसी टेस्ट)दिये बिना विमानों की उड़ान भरने पर टिप्पणी टिप्पणी की गई है। डीजीसीए ने विमानन कंपनी से पूछा है क्यों न इन पायलटों के उड़ान लाइसेंस रद्द कर दिये जाएं। डीजीसीए द्वारा विमानन क्षेत्र में अभी तक की किसी विमानन कंपनी के खिलाफ यह सबसे बड़ी कार्यवाही करने का मामला माना जा रहा है। डीजीसीए ने जेट एयरवेज को यह भी आदेश दिया है कि वह वह अपने पायलट प्रशिक्षक प्रमुख, मुख्य परिचालन अधिकारी को भी तत्काल हटाने की कार्यवाही अमल में लाये। सूत्रों के अनुसार डीजीसीए ने जेट एयरवेज की मुंबई-ब्रुसेल्स μलाइट के दौरान पायलट के सो जाने की शिकायत मिलने के बाद विमानन करंपनी में पायलटों को दिये जाने वाले प्रशिक्षण की जांच की, जिसमें डीजीसीए ने जेट एयरवेज में पायलट प्रशिक्षण देने के मामले में गंभीर अनियमितताएं और लापरवाही बरतना पाया। इसके लिए डीजीसीए ने जेट के चीफ आॅपरेटिंग आॅफिसर को भी कारण बताओ नोटिस जारी कर सवाल किया है कि कंपनी के खिलाफ ट्रेनिंग में कमी के लिए उनके खिलाफ क्यों ने कार्रवाई जाए। डीजीसीए के सूत्रों के अनुसार जेट एयरवेज के उक्त पायलटों ने विमानन नियामक के नियमों के अनुसार द्विवार्षिक पायलट की परीक्षा भी उत्तीर्ण नहीं की, जिससे हवाई यात्रा करने वालों के सामने सुरक्षा का खतरे से निपटने में ये पायलट सक्षम नहीं हो सकते। गौरतलब है कि मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकंजा कसने के लिए वैसे तो कई अहम फैसले किये हैं, इनमें विमानन क्षेत्र में यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में हो रहे फर्जीवाड़े को रोकने के लिए भी डीजीसीए के जरिए विमानन कंपनियों के लिए नए सिरे से दिशा निर्देश जारी किये गये थे।
क्या है नए दिशा निर्देश
नागर विमानन मंत्रालय के सूत्रों की माने तो पिछले दिनों सामने आए कुछ मामलों में डीजीसीए के अधिकारियों और कर्मचारियों की भी फर्जी पायलट लाइसेंस जारी करने में भूमिका सामने आ चुकी है तो इस प्रक्रिया को और कड़ा किया जा रहा है। विमानों में पायलटों को प्रशिक्षण नागर विमानन अपेक्षाएं विनियमन के अनुसार दिया जाता है। राजग सरकार ने हवाई मार्ग और हवाई यात्रा में यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए जाली पायलट लाइसेंसो की उच्च स्तरीय जांच करने के दिशा निर्देश जारी किये हैं, इसमें जाली μलार्इंग स्कूलों के खिलाफ भी कार्यवाही का पैमाना तय किया जा रहा है। नए दिशा निर्देशों के अनुसार नागर विमानन नियामक डीजीसीए ने लाइसेंस जारी करने से पूर्व दस्तावजों के सत्यापन के लिए ठोस कदम उठाने शुरू कर दिये हैं,जिसमें विदेशों से पढ़ाई करके लौटे भारतीय पायलटों को भी जांच के दायरे में लाया जा रहा है। मसलन विदेशी लाइसेंस को भारतीय लाइसेंस में परिवर्तित करने के लिए पायलट के लाइसेंसों का सत्यापन विदेशी लाइसेंस जारी करने वाले वाले देश के संबधित विनियामक प्राधिकरण से कराना अनिवार्य बना दिया गया है। वहीं विदेश में ली गई उ ड़ान के अतिरिक्त संबन्धित पायलट की अपेक्षित विमान कौशल परीक्षा भी भारत में कराना जरूरी कर दिया गया है।
07Sep-2014

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