शुक्रवार, 12 सितंबर 2014

मैनपुरी लोकसभा सीट: सपा व भाजपा ने झोंकी ताकत !

भारी  सुरक्षा के साय में होगा उपचुनाव
मैनपुरी से ओ. पी. पाल
उत्तर प्रदेश में एक मात्र लोकसभा सीट मैनपुरी और 11 विधानसभाओं के लिए शनिवार को होने वाले उप चुनाव के लिए गुरूवार को चुनाव प्रचार थम गया है, जहां अंतिम दिन खासतौर से सपा व भाजपा ने अपनी-अपनी ताकत झोंक दी। सपा ने मैनपुरी लोकसभा के चुनाव प्रचार में वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में जुलूस निकाला, तो भाजपा ने मैनपुरी व विधानसभा चुनाव के लिए अद्धैसैनिक बलों की तैनाती पर जोर दिया है, जिसे सपा भाजपा का एक हथकंडा करार दे रही है, जबकि भाजपा इस सुरक्षा व्यवस्था को निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए मतदाताओं को बेखौफ मताधिकार का प्रयोग करने का तर्क दे रही है।
शनिवार को यूपी की मैनपुरी लोकसभा और 11 विधानसभा सीटों पर होने वाले उप चुनाव के लिए भाजपा व सपा में सीधी टक्कर मानी जा रही है। मैनपुरी लोकसभा सीट के लिए चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सपा के सांसद रामगोपाल यादव व धमेन्द्र यादव के अलावा यूपी के कबीना मंत्री शिवपाल यादव आदि अनेक वरिष्ठ सपा नेताओं के नेतृत्व में शहर में जुलूस निकालकर अपनी ताकत दिखाई, तो भाजपा नेताओं ने भी चुनाव प्रचार में हर तरीकें अपनाए, वहीं भाजपा ने गृहमंत्री राजनाथ की रणनीति के तहत चुनाव आयोग के जरिए मैनपुरी लोकसभा सीट के लिए 70 कंपनियां अद्धैसैनिक बलों की अप्रत्याशित फौज को मतदान केंद्रों पर तैनात के लिए उतार दिया है, जबकि विधानसभा सीटों के लिए एक तमतदान केंद्र पर अर्द्धसैनिक बलों के सात जवान तैनात रहेंगे। यूपी में हो रहे उप चुनाव में इतनी बड़ी अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती पर सपा के महासचिव एवं राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा ने सपा को रोकने के लिए खासकर अर्द्धसैनिक बलों की इतनी बड़ी फौज उतारकर मतदाताओं में खौफ का वातावरण बनाने का प्रयास किया है। रामगोपाल ने तर्क दिया कि 11 विधानसभा सीटों पर अर्द्धसैनिक बलों के सात जवान एक बूथ पर रहेंगे, उसके हिसाब से मैनपुरी लोकसभा सीट पर 35 कंपनियां तैनात होनी चाहिए थी,लेकिन राजनाथ के इशारे पर इस लोकसभा सीट पर दो गुना अद्धैसैनिक बल तैनात किये जा रहे हैं। यादव ने कहा कि मैनपुरी लोकसभा सीट पर सपा की जीत को इसके बावजूद भाजपा रोक नहीं पाएगी। उन्होंने हालांकि माना है कि मैनपुरी लोकसभा और विधानसभा सीटों पर सपा व भाजपा के बीच ही सीधा मुकाबला होना है और मैनपुरी लोकसभा सीट पर पिछले ढाई दशक से कोई भी पार्टी सपा को परास्त नहीं कर सकी है, इसलिए सपा के लिए जीत में वोट प्रतिशत बढ़ाने का लक्ष्य है, जहां कांग्रेस व बसपा का प्रत्याशी न होने से इनके हिस्से के वोट बैंक बंटना तय है। दूसरी और मैनपुरी लोकसभा सीट पर बसपा व कांग्रेस का प्रत्याशी न होने का फायदा मिलने का दावा भाजपा भी ताल ठोककर कर रही है, जिनके नेताओं का कहना है कि इस क्षेत्र में निष्पक्ष वोट डालने की परंपरा ध्वस्त होने की आशंका को देखते हुए अद्धैसैनिक बलों की सुरक्षा के बीच चुनाव कराने की चुनाव आयोग से अनुरोध किया गया था, जिसके बाद सुरक्षा के साय में निष्पक्ष चुनाव होने के कारण भाजपा की जीत सुनिश्चित हैं, जहां वोटर बेखौफ वोट कर सकेगा।
आसान नहीं भाजपा की राह
सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में सपा प्रमुख मुलायम सिंह ने आजमगढ़Þ और मैनपुरी दोनों सीटों पर जीत दर्ज की थी और बाद मे मैनपुरी सीट छोड़ दी है, जिसके कारण यहां 13 सितंबर को इस सीट पर उप चुनाव हो रहा है। इस सीट को बचाने के लिए जहां सपा अपने परंपरागत पैंतरे आजमा रही है। मैनपुरी लोकससभा सीट पर मुलायम परिवार का वर्चस्व रहा है जिसे तोड़ने के लिए भाजपा ने हर हालत में उपचुनाव में मैनपुरी संसदीय सीट पर जीत दर्ज करने के लिए प्रतिष्ठा को दांव पर लगा दिया है। हालांकि भाजपा व बसपा या अन्य किसी दल के लिए इस सीट पर ढाई दशक से जारी मुलायम सिंह के सियासी तिलिस्म को तोड़ नहीं सकी हैं।मैनपुरी लोकसभा सीट पर कुल 16 लाख 47 हजार मतदाता हैं। जातिगत आंकड़ों में सबसे ज्यादा मतदाता 4 लाख 40 हजार के करीब यादव हैं। दूसरे नंबर पर 2 लाख 60 हजार के करीब शाक्य वोटर हैं, जबकि 1 लाख 97 हजार के करीब ठाकुर, 1 लाख 60 हजार के आसपास ब्राह्मण, 1 लाख लोधे और 60 हजार के करीब मुस्लिम मतदाता हैं, इसी तरह 2 लाख 70 हजार के आसपास दलित मतदाता भी राजनीतिक दलों की सूची में है। भाजपा नेताओं का दावा है कि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के साथ मात्र पांच लाख मत हैं, जबकि उनके साथ अन्य सभी जातियां हैं।
12Sep-2014

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