शनिवार, 6 सितंबर 2014

जाली पायलट लाइसेंसों पर कसेगा शिकंजा!

फर्जी फ़लाइंग स्कूलों की भी खैर नहीं
डीजीसीए ने जारी किये नए दिशा निर्देश
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकंजा कसने के लिए वैसे तो कई अहम फैसले किये हैं, इनमें विमानन क्षेत्र में यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चितकरने की दिशा में हो रहे फर्जीवाड़े को रोकने के लिए भी डीजीसीए के जरिए विमानन कंपनियों के लिए नए सिरे से दिशा निर्देश जारी किये गये हैं। खासकर जाली दस्तावेजों के जरिए पायलट लाइसेंस हासिल करने वालों पर शिकंजा कसने की तैयारी जोरो पर है, जिसमें पायलटों को प्रशिक्षण देने वाले फर्जी μलाइंग स्कूलों की भी शामत आना तय है।
नागर विमानन मंत्रालय के सूत्रों की माने तो भारत में परिचालित विमानों पर दस हजार से भी ज्यादा पायलट हैं, जिनके दस्तावेजों की जांच करने की एक प्रक्रिया पहले से ही है, लेकिन पिछले दिनों सामने आए कुछ मामलों में डीजीसीए के अधिकारियों और कर्मचारियों की भी फर्जी पायलट लाइसेंस जारी करने में भूमिका सामने आ चुकी है तो इस प्रक्रिया को और कड़ा किया जा रहा है। हालांकि विमानों के लिए पायलटों की भर्तियां विमानन नीति के तहत की जाती है, फिर विमानों में पायलटों को प्रशिक्षण नागर विमानन अपेक्षाएं विनियमन के अनुसार दिया जाता है। मंत्रालय के अनुसार इस प्रक्रिया के बावजूद पिछले तीन साल में ऐसे तीन दर्जन मामले सामने आए हैं जिसमें जाली दस्तावेजों के आधार पर जाली वाणिज्यिक पायलेट लाइसेंस जारी किये गये,इन मामलों की जांच में डीजीसीए के सहायक निदेशक तक की मिली भगत पाई गई और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी की जा रही है। राजग सरकार ने हवाई मार्ग और हवाई यात्रा में यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए जाली पायलठट लाइसेंसो की उच्च स्तरीय जांच करने के दिशा निर्देश जारी किये हैं, इसमें जाली μलार्इंग स्कूलों के खिलाफ भी कार्यवाही का पैमाना तय किया जा रहा है। नए दिशा निर्देशों के अनुसार नागर विमानन महानिदेशालय यानि डीजीसीए ने लाइसेंस जारी करने से पूर्व दस्तावजों के सत्यापन के लिए ठोस कदम उठाने शुरू कर दिये हैं, जिसमें विदेशों से पढ़ाई करके लौटे भारतीय पायलटों को भी जांच के दायरे में लाया जा रहा है। मसलन विदेशी लाइसेंस को भारतीय लाइसेंस में परिवर्तित करने के लिए पायलट के लाइसेंसों का सत्यापन विदेशी लाइसेंस जारी करने वाले वाले देश के संबधित विनियामक प्राधिकरण से कराना अनिवार्य बना दिया गया है। वहीं विदेश में ली गई उ ड़ान के अतिरिक्त संबन्धित पायलट की अपेक्षित विमान कौशल परीक्षा भी भारत में कराना जरूरी कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार नए दिशा निर्देशों के मुताबिक अब पायलट लाइसेंस प्रक्रिया की जांच एक तीसरा पक्ष करेगा तथा भारत में चल रहे सभी फ़लाइंग स्कूल का आॅडिट करने की प्रक्रिया को तेज करने का निर्णय लिया गया है। सरकार के इस कदम को फर्जी दस्तावेज के सहारे पायलट बनने के मामले को नागरिक और विमान जगत की सुरक्षा के रूप में सरकार के इस कदम को अत्यंत महत्वपूर्ण दृष्टि के रूप में देखा जा रहा है।
प्राथमिकता पर यात्रियों की सुरक्षा

नागर विमान मंत्रालय के अनुसार किसी भी विमान में सवार यात्रियों की सुरक्षा पायलट के कौशल पर निर्भर होती है, इसलिए पिछले सालों में सामने आए हादसों से सबक लेते हुए कुशल और अनुभवी पायलटों की भर्ती करने के लिए विमानन कंपनियों को दिशा निर्देश देकर यात्रियों की सुरक्षा और सुविधाओं को प्राथमिकता पर रखने के लिए केंद्र सरकार का स्पष्ट फरमान है। भारत में विमान क्षेत्र के बढ़ते विस्तार को देखते हुए सुरक्षित हवाई मार्ग और पायलट का कौशल हवाई यात्रियों की सुरक्षा के लिए की जा रही पहल के लिए महत्वपूर्ण है।
बाधाओं से निपटने के प्रावधान
सूत्रों के अनुसार पिछले मार्च 2011 के दौरान जाली पायलट लाइसेंस निरस्त करने और दोषी पायलटों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही के दौरान विमान सेवाएं बाधित भी हुई हैं, जिसके विरोध में अइंडियन कार्मिशियल पायलट एसोसिएशन के बैनर तले पायलटों की लंबी हड़ताल ने विमानन उद्योग खासकर एयर इंडिया की आर्थिक कमर तोड़ दी थी, हालांकि वैकल्पिक व्यवस्था से भी विमानन सेवाएं सुचारू करना एक टेढ़ी खीर बना हुआ था। विमानन मंत्रालय के अनुसार हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के जरिए इस एसोसिएशन की मान्यता को रद्द हुई और कई दर्जन पायलटों के लाइसेंस निरस्त किये गये। तब कहीं जाकर करीब ढाई माह बाद जुलाई में हडताल को समाप्त होने के बाद विमान सेवाएं पटरी पर आई। हालांकि सरकार को अपनी शर्तो पर ज्यादातर पायलटों को बहाल करना भी पड़ा। ऐसी स्थिति भविष्य में न आए इसके लिए डीजीसीए ने नए दिशा निर्देशों में प्रावधान किये हैं।
05Sep-2014

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें