गुरुवार, 4 सितंबर 2014

सौ दिन में ही ‘मजबूत भारत की तस्वीर’ उकेर गए मोदी!

सात समंदर पार तक बजा मोदी मंत्र का डंका!
सौ दिन में किये अहम फैसले, सर्वे में भी मिला बहुमत
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में केंद्र की राजग सरकार के बुधवार को सौ दिन पूरे हो गये हैं। इस दौरान मोदी सरकार के कामकाज और तौरतरीकों का प्रभाव देश के लिए बनाए गये विकास के एजेंडे की तरफ रूख कर रहा है तो वहीं विदेश नीति में भी मोदी सरकार बाजी मारता नजर आ रही, जिसका परिणाम है कि देश में निवेश करने और विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावी समझौतों के लिए दुनिया के दूसरे देशों ने भी भारत की तरफ अपना रुख करना शुरू कर दिया है। मसलन मोदी सरकार के सौ दिन के कामकाज को अपने देश में तो बहुमत के साथ समर्थन मिला है, वहीं विदेशों में भी मोदी मंत्र की गूंज देखने को मिली।
लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल करने के बाद जब सौ दिन पहले नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में राजग सरकार ने शपथ ली थी तो उसमें पडोसी देशों से मधुर रिश्ते वाली विदेश नीति का समावेश रहा और सौ दिन पूरे भी विदेश नीति के साथ ही पूरे हुए जब प्रधानमंत्री मंत्री जापान की पांच दिन की यात्रा में नमो मंत्र की छाप छोड़ने के बाद स्वदेश लौटे। विपक्षी दल भले ही मोदी सरकार के सौ दिन के कार्यकाल को निराशाजन करा दे रहा हो, लेकिन देश की जनता और विभिन्न सेक्टर में मोदी सरकार के कार्यकाल का डंका बजता दिख रहा है। मसलन इन सौ दिनों में मोदी सरकार के आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और विदेश नीति से लेकर किये गये कामकाज का लेखा जोखा देखा जाए तो मोदी सरकार ने ऐतिहासिक बदलाव के साथ देश की व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन के संकेत दिये हैं। देश की विकास दर में आई बढ़ोतरी के बाद औद्योगिक संगठनों ने भी मोदी सरकार के काम का डंका बजाया है, तो वहीं एक एजेंसी के देशभर में किये गये सर्वेक्षण में भी सौ दिन के कामकाज में मोदी सरकार को दो तिहाई बहुमत से उत्तीर्ण किया है यानि देश के हर तीन में से दो यानि 60 प्रतिशत भारतीयों ने मोदी सरकार के सौ दिन के शासन पर संतुष्टि जताई है। यही नहीं देश में लाइलाज होते भ्रष्टाचार रोकने में भी मोदी की नीतियों को 54 अंक मिले हैं। देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की राह बनाने के लिए भी राजग सरकार के तौरतरीकों से लोग संतुष्ट हैं। केंद्र सरकार पर नरेन्द्र मोदी के नियंत्रण की नीति तो 83 फीसदी लोगों को रास आई। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी के राज्यों के साथ समन्वय बनाकर काम करने की नीति को भी इन सौ दिनों में सफल माना गया है।
विदेशनीति का माना गया लोहा
देश ने अरसे बाद केंद्र की किसी सरकार की विदेश नीति का लोहा माना है, जिसका असर सरकार का कामकाज संभालने की पूर्व संध्या पर देखने को मिल गया था। इसी का असर मोदी को वीजा देने से मना करते आ रहे अमेरिका झुकता नजर आया और भारत के दौरे पर आए अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी भी मोदी के मुरीद होते नजर आए तथा मोदी को अमेरिका आने का न्यौता तक देने को मजबूर होना पड़ा। इसी प्रकार ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने ब्राजील गए नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय मंच को भी आकर्षित किया और भारत ब्रिक्स बैंक का अध्यक्ष बना। ब्राजील में ही चीन के राष्ट्रपति के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात हुई, हालांकि इससे पहले भारत की यात्रा पर आए चीनी विदेश मंत्री की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण समझौते किये गये, तो वहीं रूस के रिश्तों को नजदीक लाने के लिए मोदी ने रूस के उप प्रधानमंत्री से मुलाकता कर दो और न्यूक्लियर रिएक्टर बनाने के साथ दोनों देशों के बीच ऊर्जा सुरक्षा समझौते किये। सिंगापुर के विदेश मंत्री की भारत यात्रा में विदेश नीति का असर नजर आया। पिछले महीने ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नेपाल की यात्रा पर अपनी विदेशनीति और पडोसी देशों से संबन्धों को प्रगाढ़ करने की मंशा सामने पेश की। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने भूटान की यात्रा की और सौवें दिन जापान की यात्रा से नई दिल्ली वापस आए, जिनमें सरकार की विदेश नीति कैसी रहने वाली है इसका अहसास दुनिया के अन्य देश भी करने लगे हैं, जो भारत के साथ समझौते करके निवेश के लिए अपनी रूचि दिखाते नजर आ रहे हैं। पाकिस्तान से एनवक्त पर विरोधी गतिविधियों के कारण वार्ता को निरस्त करने का फैसला दूसरे देशों के लिए भी एक सख्त और पारदर्शी संदेश माना गया है।
सौ दिन में ज्यादा उपलब्धियां
मोदी सरकार के सौ दिन के कार्यकाल से देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने और विकास को जनांदोलन बनाने वाली प्रधानमंत्री की घोषणाएं सिरे चढ़ती महसूस की जा रही है। स्वतंत्रता दिवस पर घोषणा के साथ ही प्रधानमंत्री जन धन योजना ने आम जनता के सरकार के प्रति विश्वास को बढ़ाया है, तो वहीं इस दौरान पेट्रोल और गैस के दामों में कमी करने, विकास दर को मजबूत करने के साथ विदेशों में जमा कालेधन पर शासन की बागडौर संभालते ही कार्यवाही को अंजाम देने की मुहिम ने सरकार के भरोसे को बढ़ाया है। दिलचस्प पहलू यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सरकार के कामकाज में तेजी लाने और नौकरशाही के कामकाज के तरीकों में परिवर्तन करके त्वरित कार्यवाही करने की नीति ने उम्मीदें जगाई हैं। विकास के ढांचे को मजबूत करने और आम जनता की पहुंच तक सभी बुनियादी सुविधाओं संबन्धी योजनाओं को गति देने के साथ कृषि, सड़क, उद्योग तथा अन्य सभी सेक्टरों की योजनाओं का खाका तैयार करने वाली योजनाओं ने सरकार के कामकाज और तौरतरीकों के प्रति देश को आकर्षित किया है। इस दौरान सरकार के अनोपयोगी कानूनों का निरस्त करके नए कानूनों को लागू करने के फैसले भी ऐसे हैं जो देश के विकास और आम लोगों के हित में साबित होंगे। कुछ जटिल मुद्दों पर आने वाली चुनौती को सरकार सभी राजनीतिक दलों के साथ बैठकर हल करने की पक्षधर है, जिसमें जमीन अधिग्रहण विधेयक में कुछ और लचीलापन लाने की योजना है। बीमा में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने से जनता को होने वाले लाभ, किसानों और गरीबों के हित में डब्ल्यूटीओ में उठाए गए कड़े कदम और डिजिटल इंडिया संबंधी फैसले इस रणनीति के केंद्र में रहेंगे। मोदी सरकार के बजट सत्र के दौरान आम बजट और रेल बजट में की गई घोषणाओं पर भी सरकार के बढ़ते कदमों ने राजग सरकार के प्रति विश्वास पैदा किया है। हालांकि सरकार का कहना है कि मोदी सरकार का यह एजेंडा सौ दिन का नहीं, बल्कि पूरे पांच साल का तय है, जिसमें दुनिया भारत की तरफ देखेगी।
सुधरेगी अर्थव्यवस्था!
आर्थिक मामलों के जानकारों की राय में विदेशी निवेशक जो देश में पैसा लगाने से परहेज कर रहे थे, वो अचानक खरीदारी पर उतर आए हैं। भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष अजय श्रीराम का कहना है कि नई सरकार ने विकास और सुधार के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई है, जिससे निवेश का माहौल बेहतर हुआ है। हालांकि विशेषज्ञ के मुताबिक देश को नियंत्रण वाली अर्थव्यवस्था से विकासोन्मुख अर्थव्यवस्था की तरफ ले जाने के लिए अभी सरकार को बहुत कुछ करना बाकी है। फेडरेशन आॅफ इंडियन चैंबर्स आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री यानि के अध्यक्ष सिद्धार्थ बिड़ला ने भी मोदी सरकार के कामकाज को सराहते हुए यह विश्वास जताया है कि 'मेक इन इंडिया' और 'मेड इन इंडिया' के सपने को पूरा करने के लिए जरूरी नीतियों और उपायों को लागू करने के लिए मोदी सरकार गंभीर नजर आ रही है।
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