सोमवार, 22 सितंबर 2014

अल्पसंख्यकों को बिना ब्याज मिलेगा शिक्षा ऋण!

ब्याज को वहन करेगी केंद्र सरकार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाल में सामने आये बयान ने केंद्र सरकार की मंशा को जाहिर कर दिया है कि वह देश में अल्पसंख्यकों की सोच को बदलना चाहती है, तभी तो सरकार ने अल्पसंख्यकों के विकास और कल्याणकारी योजनाओं के तौर तरीके बदलकर उन्हें ज्यादा से ज्यादा बुनियादी सुविधाएं देने का खाका तैयार किया है। मोदी सरकार की इसी नीति में अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों को बिना ब्याज के उच्च शिक्षा ऋण देने का महत्वपूर्ण फैसला किया गया है यानि ब्याज को सब्सिडी के रूप में स्वयं केंद्र सरकार वहन करेगी।
प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी को लेकर अल्पसंख्यक समुदाय में बेचैनी थी कि राजग सरकार अल्पसंख्यक मामले के मंत्रालय को बंद कर देगी, लेकिन सरकार ने इस मंत्रालय के अधिकार और भी ज्यादा बढ़ाकर अल्पसंख्यक वर्ग के लिए चल रही पहली योजनाओं की समीक्षा की, जिनमें खामियों को दूर करके नई योजनाओं को कार्यान्वित किया गया है। अल्पसंख्यक मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ने मदरसों की पढ़ाई को तरजीह देते हुए सभी मदरसों को आधुनिक रूप से विकसित करने की योजना बनाई है। सरकार ने मदरसों से निकलने वाले लड़के-लड़कियों को दुनिया की तालीम देने के लिए नई मंजिल कार्यक्रम शुरू किया है, जिसमें देश-विदेश में उच्च शिक्षा पाने के इच्छुक अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को बिना ब्याज शिक्षा ऋण मुहैया कराने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। मंत्रालय के अनुसार खासकर मुस्लिम बच्चों को उच्च शिक्षा के प्रति प्रोत्साहन देने की दृष्टि से केंद्र सरकार ने उन्हे शिक्षा ऋण देने का फैसला किया है जिसके ब्याज को सब्सिडी के रूप में केंद्र सरकार स्वयं वहन करेगी। वहीं सरकार ने विदेशों में उच्च शिक्षा के लिए अल्पसंख्यक छात्रों को इसी प्रकार से शिक्षा ऋण की सुविधा देने का भी निर्णय लिया है। इसके लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय ने क्रियान्वयन एजेंसी के रूप में केनरा बैंक से करार किया है, जिसमें शिक्षा ऋण देने के लिए योग्यता के आधार पर चयनित अल्पसंख्यक वर्ग के छात्र-छात्राओं शिक्षा ऋण मुहैया कराया जाना है। मंत्रालय ने बताया कि पांच सितंबर तक एक 48 बच्चों को बिना ब्याज के शिक्षा ऋण देने की मंजूरी दी गई है जिन्हें 19.22 लाख रुपये की सब्सिड़ी यानि ब्याज की छूट दी गई, इससे पहले ऐसे शिक्षा ऋण को तीन प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर पर दिये जाने का प्रावधान था।
पारदर्शी बनाई छात्रवृत्ति योजना
अल्पसंख्यक मंत्रालय के अनुसार अभी तक देश में अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों को दी जाने वाली छात्रवृत्त्ति की राशि में 25 प्रतिशत राज्य का हिस्सा होता था, लेकिन राजग सरकार की समीक्षा के बाद पाया गया कि राज्य अपने हिस्से की राशि न देने के कारण केंद्र द्वारा जारी छात्रवृत्ति योजना की राशि को खर्च नहीं कर पाते थे और उस धनराशि का अन्य रूप से दुरूपयोग होने के मामले भी सामने रहे, जिसके कारण कई राज्यों पर केंद्र की करोड़ो रुपये की धनराशि बकाया है। मोदी सरकार ने छात्रवृत्ति योजना को पारदर्शी बनाते हुए निर्णय लिया है कि केंद्र सरकार अब शतप्रतिशत राशि सीधे लाभार्थी के खाते में भेजेगी और राज्य सरकार का हिस्सा खत्म कर दिया गया है। 
22Sep-2014

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