गुरुवार, 14 अगस्त 2014

राष्ट्रीय दल का दर्जा गंवाने के कगार पर तीन दल

अगले सप्ताह तय होगा बसपा, राकांपा व भाकपा का भविष्य
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
सोलहवीं लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय पार्टियों के रूप में चुनाव लड़ने वाली बहुजन समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का अपने निराशाजनक प्रदर्शन के कारण अब राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे से हाथ धोना तय है, लेकिन चुनाव आयोग इन दलों का 19 अगस्त को पक्ष सुनेगा और और नियम व शर्तो के आधार पर उनके भविष्य का फैसला करेगा।
लोकसभा चुनाव 2014 में छह राष्ट्रीय दलों भाजपा, कांग्रेस व माकपा के अलावा बसपा, राकांपा व भाकपा ने हिस्सा लिया लेकिन इनमें केवल भाजपा 282, कांग्रेस 44 और माकपा नौ सीटें जीतकर मानकों को पूरा करते हुए अपनी पार्टी के राष्टÑीय दर्जे को कायम रखने में सफल रही हैं। जबकि बसपा का तो 16वीं लोकसभा के चुनाव में खाता तक नहीं खुल सका है और जबकि राकांपा को छह सीटें और भाकपा को मात्र एक सीट पर ही जीत हासिल हो चुकी है। इस संबन्ध में सोमवार को लोकसभा में ऐसे दलों के बारे में उठे सवाल पर विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि हालिया आम चुनाव के बाद कुछ राजनीतिक दल अपने राष्ट्रीय दर्जे के लिए जरूरी योग्यताओं को भी पूरा करने में नाकाम रहे हैं और निर्वाचन आयोग चुनाव प्रदर्शन के आधार पर राष्ट्रीय दलों में बहुजन समाज पार्टी, भाकपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की मान्यता की समीक्षा कर रहा है, क्योंकि ये पार्टियां राष्ट्रीय राजनीतिक दल के रूप में अपनी मान्यता को बनाए रखने की शर्तों को पूरा नहीं कर रही हैं। फिर भी चुनाव आयोग ने इन दलों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया है, जिसके लिए 19 अगस्त की तिथि तय की गई है। आयोग सुनवाई के बाद इस संबंध में उचित आदेश जारी करेगा। गौरतलब है कि आम चुनाव में खराब प्रदर्शन के चलते आयोग ने बसपा, राकांपा और भाकपा को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि उनका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा क्यों नहीं वापस ले लिया जाए।
राष्ट्रीय दलों के ये हैं नियम
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार राष्टीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए नियमानुसार कम से कम चार राज्यों में छह प्रतिशत मत हासिल करना जरूरी होता है। इसके अलावा दो नियम और भी हैं कि लोकसभा की कुल सीटों में से 2 फीसदी सीटें कम से कम तीन राज्यों से मिले या फिर पार्टी को चार राज्यों में क्षेत्रीय दल का दर्जा हासिल होना चाहिए। यदि इन तीन मानकों में से एक नियम भी कोई पार्टी पूरा करती है तो उसे राष्ट्रीय दल का दर्जा दिया जा सकता है, लेकिन इन तीनों दलों ने इन तीनों में से एक भी मापदंड को पूरा नहीं किया है। लिहाजा इन तीनों दलों के राष्ट्रीय दर्जे को छीनने के लिए केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने पूरी तैयारी कर ली है। चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार इन तीनों दलों के जवाब चुनाव आयोग को संतुष्ट नहीं कर सके जिससे एक भी मानक पूरा होता हो। इसके विपरीत लोकसभा चुनाव में राष्टÑीय दलों में शुमार होने के बावजूद बसपा को 4.1 प्रतिशत, राकांपा को 1.6 प्रतिशत और भाकपा को 0.8 प्रतिशत वोट ही मिल सका है।
 दर्जा खत्म होने का नुकसान
चुनाव आयोग द्वारा सुनवाई के बाद यदि इन तीनों दलों की राष्ट्रीय मान्यता रद्द करता है है तो इन्हें राजनीतिक रूप से कई सुविधाओं से हाथ धोना पड़ेगा। राष्टÑीय मान्यता खत्म होने पर बसपा, राकांपा व भाकपा अब चुनावों के दौरान आॅल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले चुनाव पूर्व प्रसारण और मुμत मतदाता सूची पाने का अधिकार भी खो देंगी। यह सुविधा राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते अभी तक मिल रही थी। इस प्रकार वर्ष 1968 के जारी एक आदेश के अनुसार राष्ट्रीय पार्टी के दायरे से बाहर होने के कारण इन दलों को अपने चुनाव चिन्ह पर पूरे देश में चुनाव नहीं लड़ पाएंगी। नियमानुसार अपने इस मौजूदा चुनाव चिन्ह पर उसी राज्य में ये दल चुनाव लड़ सकते हैं जहां इन्हें क्षेत्रीय दल का दर्जा प्राप्त होगा अन्यथा अलग-अलग राज्य में उनके चुनाव चिन्ह अलग-अलग रूप में आवंटित किये जा सकते हैं। वहीं राष्ट्रीय राजधानी में पार्टी कार्यालय के लिए मिले सरकारी भवन भी इन दलों से खाली कराने के लिए जल्द ही कहा जा सकता है।
12Aug-2014


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