सोमवार, 18 अगस्त 2014

कहां गायब हो गये डेढ़ लाख से ज्यादा लोग!

इस साल महाराष्ट्र में सर्वाधिक 24 हजार लापता
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
देशभर में हर दिन बच्चों समेत आधा दर्जन से ज्यादा लोगों के लापता होने की घटनाएं बेहद चिंता का विषय बनती जा रही हैं, जिसमें मानव तस्करी का गोरखधंधे करने वाले सक्रिय गिरोह के शामिल होने की पुष्टि भी हो रही है, लेकिन ऐसी घटनाओं पर लगाम न लगने का ही नतीजा है कि मौजूदा वर्ष के पहले छह माह में ही डेढ़ लाख से भी ज्यादा लापता हुए लोगों का सुराग तक नहीं लग पाया है, जिसमें करीब आधी संख्या महिलाओं की भी शामिल हैं।
केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के तकनीकी इंतजामों के बावजूद लोगों के लापता होने की घटनाओं में कमी आने का नाम नहीं है और हर साल चार लाख से भी ज्यादा लोग लापता हो जाते हैं, यह आंकड़ा नाबालिग बच्चों के अलावा है। देश में सक्रिय मानव तस्कर के चलते तो हर घंटे एक बच्चा लापता होने की रिपोर्ट स्वयं सरकार पुष्टि कर चुकी है। बच्चों के अलावा देशभर में इस साल के पहले छह माह में 156418 व्यस्क लोग लापता हुए हैं, जिनमें 78200 महिलाओं की संख्या है। मौजूदा साल के पहले छह माह में महाराष्ट्र ऐसा राज्य है जहां सबसे ज्यादा 23892 लोग लापता हुए, जिनमें 13512 महिलाएं शामिल हैं। गृहमंत्रालय के सूत्रों की माने तो वर्ष 2013 में करीब 4.41 लाख लोग लापता हुए थे, जिनमें करीब 2.21 लाख महिलाएं शामिल थी। मसलन इससे पिछले सालों के आंकड़े भी यही गवाही दे रहे हैं। गृहमंत्रालय के अनुसार मोदी सरकार मानव तस्करी को रोकने की दिशा में कानूनों में सुधार करने की कवायद कर रही है। हालांकि गृहराज्यमंत्री किरण रिजीजू की माने तो सरकार ने देश में बच्चों या बड़ों को लापता करने वाले गिरोह और अपराधियों को पकड़ने के लिए केंद्र व राज्य स्तर पर डीएनए प्रोफाइलिंग प्रौद्योगिकी तक स्थापित की हुई है, जिसमें सुधार करने के लिए सरकार योजना बना रही है। हालांकि केंद्र सरकार संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत पुलिस और लोक व्यवस्था को राज्यों का विषय मानती है, लेकिन इस दिशा में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार ठोस एवं सख्त कानून बनाकर मजबूत तंत्र स्थापित करने के लिए भी कटिबद्ध है। वहीं लापता बच्चों के संरक्षण के बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक कैलाश सत्यार्थी का कहना है कि इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि मानव तस्करी के गोरखधंधा करने वाले गिरोह बच्चों को गायब करके उनसे खतरनाक औद्योगिक इकाइयों में काम लेने, वेश्यावृत्ति, भीख मांगवाना, नशीली वस्तुओं की बिक्री जैसे काम कराकर उनकी जिंदगियों के साथ खिलवाड़ करते हैं, इसके बावजूद सरकार इस गोरखधंधे पर शिंकजा नहीं कस पाई हैं, जो एक बेहद चिंता का विषय है। सत्यार्थी ने केंद्र की नई सरकार की गंभीरता से उम्मीद जताई है कि सख्त कानून के जरिए ऐसी चुनौतियों से निपटा जा सकता है।
39 हजार शवों की पहचान नहीं
देशभर में बरामद किये जा रहे अज्ञात शवों की संख्या भी कम नहीं है, लेकिन वर्ष 2013 में महिलाओं समेत 38821 शव ऐसे रहे जिनकी शिनाख्त नहीं हो सकी है। वर्ष 2012 में यह संख्या 37838 और वर्ष 2011 में 37193 थी। वर्ष 2013 सबसे ज्यादा 7216 शव महाराष्ट्र में बरामद हुए जिनकी शिनाख्त नहीं हो पाई। दूसरे पायदान पर तमिलनाडु रहा जहां ऐसे शवों की सख्यां 5570 रही, जबकि तीसर स्थान पर उत्तर प्रदेश में 4010 शवों की शिनाख्त नहीं की जा सकी। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 2749, छत्तीसगढ़ में मात्र 44, मध्य प्रदेश में 983, हरियाणा में 1456, चंडीगढ़ में 131, पंजाब में 752, राजस्थान में 1193 तथा हिमाचल प्रदेश में 325, उत्तराखंड में यह संख्या 455 रही।
इस साल इन राज्यों में लापता लोगों की संख्या
दिल्ली:- वर्ष 2014 के पहले छह माह में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 2667 महिलाओं समेत 5167 लोग लापता हुए।
छत्तीसगढ़:-नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ में मौजूदा वर्ष के पहले छह में में 3633 लोग लापता हुए, जिनमें 2344 महिलाएं शामिल हैं।
मध्य प्रदेश:- मौजूदा वर्ष के छह माह के दौरान राज्य में 5376 महिलाओं समेत 8387 लोगों के लापता होने की सरकार ने पुष्टि की है।
हरियाणा:-राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सटे हरियाणा में भी इन छह माह के दौरान 907 लोग गायब हुए, जिनमें पुरुषों से ज्यादा 496 महिलाएं शामिल हैं।
पंजाब:-पंजाब में इस साल के पहले छह माह में लापता लोगों की संख्या 859 रही, जिनमें 333 महिलाएं शामिल हैं।
चंडीगढ़:-पंजाब व हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में मौजूदा साल की इस अवधि में 113 महिलाएं और 74 पुरुष लापता हुए हैं।
18Aug-2014

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