रविवार, 10 अगस्त 2014

हर घंटे में एक बच्चा लापता!

सरकार की बढ़ी चिंता, सख्त कानून पर मंथन

ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
मोदी सरकार द्वारा मानव तस्करी यानि बच्चों की सुरक्षा एवं सरंक्षा की दिशा में सख्त कानून बनाने की कवायद की जा रही है, लेकिन सरकार के माथे पर चिंता की लकीर इसलिए भी बढ़ गई कि मानवाधिकार के सामने आए आंकड़ों में देश में औसतन हर घंटे एक बच्चा गायब हो रहा है।
राष्टÑीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि देशभर में हर साल करीब 44 हजार बच्चें लापता हो रहे हैं, जिनमें से ज्यादातर का कोई सुराग तक नहीं लग पाता है। एक आंकड़ा इस चिंता को ज्यादा बढ़ा रहा है जिसमें अभी तक लापता करीब 55 हजार बच्चों में 35,615 यानि 64 प्रतिशत नाबालिग लड़कियां शामिल हैं। पिछले आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2009 से 2011 के बीच एक लाख 70 हजार 600 बच्चें लापता हुए थे,लेकिन 1.22 से कुछ ज्यादा का ही पता लग पाया था, बाकी अभी तक लापता हैं। यह मामला शुक्रवार को लोकसभा में भी जोरशोर से उठाया गया। मध्य प्रदेश के भाजपा सांसद वीरेनद्र कुमार ने शून्यकाल के दौरान यह मामला उठाते हुए चिंता जताई और सख्त कानून बनाने की मांग की। सरकार के समक्ष यह मांग भी की गई कि गुमशुदा एवं अनाथ बच्चों के संबन्ध में एक ठोस नीति बनाई जाए। संसद में उठे इस मामले में सरकार के संज्ञान में यह भी लाया गया है कि देश में बच्चों के लापता होने की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और ऐसे बच्चें सड़कों पर भीख मांगने या फिर नक्सलियों के हाथों का खिलौना बनने के लिए मजबूर हो जाते हैं। बच्चों की खरीद-फरोखत खासकर नाबालिग लड़कियों के लापता होने की घटनाएं बेहद चिंताजनक हैं। यह भी दुर्भाग्यवश करार दिया गया कि हर घंटे में एक बच्चा लापता हो रहा है। अस्पतालों से बच्चों की चोरी और खरीद-फरोख्त तथा मानव तस्करी के गोरखधंधे में देश में करीब आठ सौ गिरोह सक्रिय बताये जा रहे हैं। हाल ही में मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मेरठ के खरखौदा की एक लड़की के मामले से यह भी खुलासा हुआ है कि इस गैर कानूनी धंधे में लड़कियों को विदेशों में भी तस्करी के रूप में भेजने वाले गिरोह सक्रिय हैं, तो वहीं हाल ही में दिल्ली के रेड एरिया से बरामद लापता लड़कियों की बरामदगी इस बात की पुष्टि कर रही है कि ऐसे गिरोह लड़कियों की खरीद-फरोख्त करके बच्चों की जिंदगियों को बर्बाद कर रहे हैं।
ठोस रणनीति बनाना जरूरी
हाल ही में केंद्रीय बाल एवं महिला विकास मंत्री श्रीमती मेनका गांधी ने संसद में इस बात की जानकारी दी थी कि सरकार बच्चों की सुरक्षा और संरक्षा के प्रति सख्त कानून बनाने जा रही है जिसका मसौदा तैयार कर लिया गया है और कैबिनेट में मंजूरी के लिए जाने को तैयार है। वहीं बच्चों की खरीद-फरोख्त एवं उनकी तस्करी के मुद्दे पर भी सरकार गंभीर है, जिसके लिए कड़े कानूनों के जरिए अंकुश लगाने की योजना केंद्र सरकार बना रही है। संसद में उठे इस मामले में सरकार से यह भी मांग की गई है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसे आयोगों की सक्रियता बढाने के साथ-साथ गुमशुदा और अनाथ बच्चों के संबंध में एक ठोस नीति बनाने की पहल करने की जरूरत है।
09Aug-2014

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