बुधवार, 6 अगस्त 2014

अब बीमा विधेयक पर संसद में बढ़ा तकरार!

प्रवर समिति के पास भेजने के पक्ष में नहीं सरकार
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
मोदी सरकार द्वारा बीमा क्षेत्र में एफडीआई का दायरा बढ़ाने के फैसले के विरोध में विपक्ष बीमा विधेयक के विरोध में लामबंद होता नजर आ रहा है। बीमा विधेयक पर सर्वदलीय बैठक भी बेनतीजा साबित होने के बाद हालांकि सरकार ने कड़ा रूख अख्तियार करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि सरकार इस विधेयक को प्रवर समति के पास नहीं भेजेगी, भले की विधेयक सदन में गिर जाए।
राज्यसभा में सोमवार को विचार और पारित करने के लिए पेश किये जाने वाले बीमा विधेयक पर विपक्ष के विरोधी स्वर सामने आने के बाद इसे कार्यवाही से अलग रखा गया और इस मुद्दे पर सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाकर आम सहमति बनाने का प्रयास किया, लेकिन गतिरोध समाप्त होने के बजाए तकरार बढ़ता ही नजर आया। हालांकि यूपीए में इस मुद्दे पर बिखराव सामने आ चुका है जिसका मुख्य दल राकांपा सरकार के साथ है, जबकि सपा और बसपा अभी तक तटस्थ नजर आ रहे और आमसहमति बनाने की बात कर रहे हैं। बीमा विधेयक पर आम सहमति न बनने और विपक्षी दलो खासकर कांग्रेस के अड़ियल रवैये के सामने सरकार ने भी कड़ा रूख अख्तियार कर लिया है। सरकार और विपक्ष के बीच तकरार के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ कर दिया है कि सरकार इस विधेयक को सलेक्ट कमेटी यानि राज्यसभा की तदर्थ समिति के पास भेजने के कतई पक्ष में नहीं है, भले ही सदन में यह विधेयक गिर जाए या संशोधित ही क्यों न कर दिया जाए। सूत्रों के अनुसार राकांपा द्वारा इस बिल का समर्थन करने से उन्हें एक नया साथी मिल रहा है और सरकार को उम्मीद है कि इसी प्रकार अन्य कुछ दलों का भी इस मुद्दे पर सरकार को समर्थन मिलेगा।
नौ दलों का विरोध

सोमवार को इस विधेयक पर सर्वदलीय बैठक बुलाकर सरकार ने पहल तो की, लेकिन इससे पहले ही नौ दलों ने इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजने के लिए सभापति हामिद अंसारी को नोटिस दे चुके हैं, जिनमें कांग्रेस, माकपा, भाकपा, सपा, बसपा, द्रमुक, जदयू, तृणमूल कांग्रेस और राजद ने इस विधेयक को एक प्रवर समिति को भेजने की मांग की है। सरकार चाहती है कि वह देश की आर्थिक सुधार की दिशा सभी की सहमति से आगे बढ़े। दरअसल उच्च सदन में सत्तारढ़ राजग बहुमत में नहीं है, इसलिए ऐसे विधेयक को पारित कराने के लिए उसे अन्य दलों के सहयोग की जरूरत होगी। सरकार चाहती है कि ऐसे बिलों पर आम सहमति बनाकर उन्हें आगे बढ़ाया जाए। ऐसे में राकांपा कांग्रेस से इस बिल का यह कहकर समर्थन करने को कह रही है कि वर्ष 2008 में यूपीए ही इसे लेकर आई थी तो विरोध करने के बजाए संशोधन पर ध्यान देकर समर्थन करना चाहिए। हालांकि सरकार फिर से सर्वदलीय बैठक बुलाने की योजना बना रही है।
क्या हैं प्रावधान

केंद्र में आई मोदी सरकार के आम बजट में बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी करने का ऐलान किया गया है इस विधेयक में बीमा क्षेत्र की निजी कंपनियों में विदेशी हिस्सेदारी को 49 फीसदी तक करने की छूट के प्रावधान के साथ यह शर्त रखी गई है कि इनका प्रबंधकीय नियंत्रण भारतीय भागीदारों के ही हाथ में होगा। अभी बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी भागीदारी (एफडीआई) की अधिकतम सीमा 26 फीसदी है। उसी के अनुसार इस विधेयक में प्रावधान किये गये हैं, जिसके साथ अन्य संशोधनों के साथ सरकार इस विधेयक को पारित कराना चाहती है। विपक्षी दलों का सहयोग लेने के लिए ही सरकार ने सोमवार के लिए इस बिल का टाला और सर्वदलीय बैठक बुलाने की पहल की। उधर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस का तर्क है कि इस विधेयक में 11 संशोधन किये हैं इसलिए इसे अध्ययन के लिए प्रवर समिति के समक्ष भेजा जाना चाहिए। इसी वजह से विपक्षी दलों ने सभापति को नोटिस भेजे हैं। संसदीय कार्यमंत्री एम. वेंकैया नायडू ने इस विधेयक को पारित करने में विपक्ष से सहयोग करने की अपील करते हुए कहा है कि सरकार विपक्ष के किसी भी अर्थपूर्ण सुझाव पर गौर करने के लिए तैयार है।
05Aug-2014

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