बुधवार, 20 अगस्त 2014

अदालतों में लंबित एक लाख से ज्यादा रेप के मामले

उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक बलात्कार के मामले दर्ज
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देशभर में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों में बलात्कार जैसी जघन्य घटनाओं को लेकर बवाल मचा हुआ है, जिसे लेकर पूरा देश महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। वहीं न्यायालयों में भी ऐसे मामलों के निपटरों की गति बेहद धीमी है। यही कारण है कि देशभर की अदालतों में बलात्कार जैसे यौन अपराधों के करीब 1.07 लाख मामले हैं जिन पर निर्णय आने का इंतजार है। इनमें से 32 हजार से ज्यादा तो राज्यों की हाईकोर्ट में न्याय की बाट जोह रहे हैं। बलात्कार के मामलों में पहले पायदान पर उत्तर प्रदेश है।
देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं और आय-दिन हो रही ऐसी घटनाओं पर देशभर खासकर उत्त्तर प्रदेश आज भी सुर्खियों में हैं, जहां महिलाओं की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को लेकर सियासत भी थमने का नाम नहीं ले रही है। संसद के हाल ही में संपन्न हुए बजट सत्र में भी गैंगरेप की घटनाओं और महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के मामलों की गूंज रही है, जिसमें उत्तर प्रदेश में ऐसी घटनाओं की जमकर आलोचना तक हुई। बलात्कार समेत महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामलों पर विधि एवं न्याय मंत्रालय से मिले आंकड़ों पर नजर डाले तो 23 राज्यों के उच्च न्यायालयों में लंबित 32080 मामलों में सबसे ज्यादा 8215 रेप के मामले इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित हैं, इसके बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में 4099 बलात्कार के मामलों पर अदालत का कोई फैसला नहीं आ सका है। असम स्थित गुवाहाटी हाई कोर्ट तीसरे पायदान पर है जहां 3602 मामले लंबित पड़े हुए हैं। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायाल में 3518, राजस्थान 2951 के बाद छत्तीसगढ़ के उच्च न्यायाल में लंबित मामलों की संख्या 1781 है। महानगरों मुंबई में 1145, मद्रास में 219, कर्नाटक में 109 और कोलकाता में 18 मामलों के अलावा दिल्ली उच्च न्यायालय में रेप के मामलों के निपटान की गति जारी होने के कारण फिलहाल 991 मामले ही अनिर्णित हैं। इसके गुजरात में 1035, हिमाचल प्रदेश में 208, उत्तराखंड में हाईकोर्ट में 192 मामले लंबित हैं। मंत्रालय के अनुसार सबसे कम सिक्किम में तीन और मणिपुर में चार मामलों पर फैसला आना बाकी है।
निचली अदालतों में भी यूपी अव्वल
विधि मंत्रालय के अनुसार देशभर में 34 राज्यों के जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में बलात्कार के मामलों पर निर्णय आने की स्थिति अत्यंत दयनीय हैं,जहां देशभर में 74,734 लंबित मामले एक-दो साल से नहीं बल्कि कई अरसों से निर्णय आने का इंतजार कर रहे हैं। इन मामलों में भी सर्वाधिक 15,926 मामले उत्तर प्रदेश की अदालतों में अटके पड़े हैं। पश्चिम बंगाल में 7986 लंबित मामलों के साथ दूसरे पायदान पर है, जिसके बाद बिहार में 6558, महाराष्ट्र में 5663, राजस्थान में 4519, मध्य प्रदेश में 3596, जम्मू-कश्मीर में 2472, दिल्ली में 1633, छत्तीसगढ़ में 1542, हरियाणा में 822, पंजाब में 581, चंडीगढ़ में 38, हिमाचल प्रदेश में 293, उत्तराखंड की अदालतों में 241 बलात्कार के मामले लंबित हैं।
निपटान में तेजी लाने पर जोर
देशभर में अदालतों में लंबित खासकर महिलाओं के प्रति अपराधों के मामलों के निपटान में तेजी लाने के लिए केंद्र सरकार ने संसद में भी भरोसा दिया है कि ऐसे मामलों के शीघ्र निपटान के लिए फास्ट टेÑक न्यायालों की स्थापना को तेज किया जाएगा। वहीं मोदी सरकार ने दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 309 खासकर महिलाओं के खिलाफ अपराधों के शीघ्र निवारण के लिए दंड विधि(संशोधन) अधिनियम-2013 के तहत प्रावधान भी देती है। निर्भया प्रकरण के बाद यूपीए सरकार द्वारा संशोधित कानून में किये गये प्रावधानों के मुताबिक बलात्कार या सामूहिक बलात्कार अथवा साथ में हत्या के मामलों में आरोप पत्र दाखिल होने की तिथि से दो माह के भीतर मामले का निर्णय होना चाहिए। सरकार इस दिशा में गंभीरता से विचार करके ठोस कदम उठाने पर भी विचार कर रही है।
20Aug-2014

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें