गुरुवार, 9 जनवरी 2014

खाड़ी देशों में भारतीय कामगारों को समर्पित हैं बिलाल?

ओ.पी.पाल
कहते हैं कि घर में दुश्मन भी बाहर संकट में भगवान नजर आता है। ऐसी ही कहावत कतर में रहने वाले मोहम्मद बिलाल खान के लिए चरितार्थ होती है, जहां कतर जैसे खाड़ी देशों में रोजगार करने वाले भारतीयों पर संकट की घड़ी में हर भारतीय के लिए बिलाल नामक भारतीय भगवान के रूप में खड़ा नजर आता है।
प्रवासी भारतीयों के साथ विदेशों में दुर्व्यवहार और उत्पीड़न के पिछले दिनों बढ़े मामलों को भारत सरकार ने भी गंभीरता से लेते हुए उचित कदम उठाए हैं, लेकिन भारतीयों के साथ लंबे अरसे से खाड़ी देशों में रह रहे भारतीय भी चिंतित हैं इसीलिए बिहार के जहानाबाद के मूल निवासी मोहम्मद बिलाल ने भारतीय समूह का गठन करके सामाजिक सेवा को भी अंजाम देना शुरू किया। पिछले करीब 18 साल से रियाद और अब कतर में एक कंपनी में बड़े ओहदे पर तैनात मोहम्मद बिलाल खान यहां चल रहे प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में शिरकत करने आए हुए हैं, जिनसे हरिभूमि संवाददाता की विस्तार से बातचीत हुई। उनका कहना था कि अरब देशों में भारतीयों के प्रति सम्मान है,लेकिन भारतीय ही अनिवासी कामगारों के संकट का कारण बने हुए हैं। मसलन रोजगार के लिए विदेश भेजे जाने वाले लोगों को ठगने का एक बड़ा जंजाल बुना हुआ है, जिस पर विदेश जाने वाले व्यक्ति गौर नहीं कर पाते और उन्हें किसी भी देश के कानून के तहत संकट के दौर से गुजरना पड़ता है। बिलाल खान का कहना है कि उन्होंने भारतीयों की मदद के लिए समाजसेवा करने का जिम्मा लिया और वह भारतीय दूतावास और भारत सरकार के अलावा खाड़ी देशों की सरकार के संपर्क में रहकर प्रताड़ित भारतवंशियों को स्वदेश भेजने तक का काम कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने भारतीय सरकार की नीतियों और विदेश जाने के इच्छुक लोगों को भी जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि रोजगार की तलाश में विदेश जाने वाले व्यक्ति को यह मालूम नहीं होता कि वह जॉब वीजा या अमल वीजा अथवा जियारत वीजा पर है, जिसकी पुष्टि विदेश मंत्रालय को करनी चाहिए। यही अनदेखी विदेश में प्रवासियों के लिए संकट पैदा कर देती है। बिलाल खान की समाजसेवा की पुष्टि मेरठ के सुभाष कुमार ने भी की, जिन्होंने टेलीफोन पर हरिभूमि को बताया कि बिलाल खान खाड़ी देशों में प्रवासी कामगारों के लिए मदद ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि वहां भारतवंशियों के भगवान बने हुए हैं। मोहम्मद बिलाल खान ने बताया कि खाड़ी देशों में वे भारतीय श्रमिकों को न्याय दिलाने के लिए श्रम अदालतों या किसी भी कार्यवाही तक पहुंचने में पीछे नहीं हैं। वहीं भारतवंशियों के लिए स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन भी लगातार किया जाता है, जिसमें भारतीय दूतावास, मिशन और भारतीय मेडिकल संघ का लगातार सहयोग भी मिल रहा है। उनका कहना है कि विदेशों में रोजगार के लिए जाने वाले भारतीयों को अपने वीजा की पुष्टि विदेश मंत्रालय से कराने की आवश्यकता है। इसके लिए सरकारें भी गंभीर हुई हैं जो खाड़ी देशों और भारत के प्रगाढ़ संबंधों का द्योतक है।
भारत सरकार का तर्क
भारतीय कामगारों के विदेशों में उत्पीड़न के बारे में प्रवासी मामलों के मंत्री व्यालार रवि का कहना है कि जब खासकर खाड़ी देशों में भारतीय कामगार के उत्पीड़न की शिकायत वहां बने मिशन या दूतावास को मिलती है तो सरकार भारतीय मिशन के जरिए समस्याओं का समाधान करने के लिए मामले को विदेशी नियोक्ता या संबन्धित प्राधिकरण के साथ उठाया जाता है। सरकार असुरक्षित वर्गो के कामगारों के हितों की रक्षा के लिए विदेशों में स्थित भारतीय मिशनो द्वारा रोजगार दस्तावेजों का पूर्व सत्यापन कराने की व्यवस्था करता है। मंत्रालय के अनुसार खाड़ी देशों में खासकर कतर और संयुक्त अरब अमीरात से बीते साल ऐसे उत्पीड़न की कोई शिकायत नहीं मिली, जबकि उससे पहले तीन सालों में तीन-तीन हजार से ज्यादा उत्पीड़न की शिकायतें सामने आई थी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें