रविवार, 19 जनवरी 2014

प्रवासी दुल्हनों की सुध लेगी सरकार!

'मैरिजिस टू ओवरसीज इंडियन' नामक एक निर्देश पुस्तिका जारी
ओ.पी.पाल

भारतीय युवतियों से छल करके विदेश में रह रहे भारतवंशियों द्वारा शादी करने और बाद में उनसे संबन्ध विच्छेद करने या तलाक लेने से परेशान प्रवासी दुल्हनों की रक्षा के लिए केंद्र सरकार ने उनकी सुध लेते हुए कठोर कदम उठाने का दावा किया है। प्रवासी मामलों के मंत्रालय ने 'मैरिजिस टू ओवरसीज इंडियन' नामक एक निर्देश पुस्तिका जारी करके जागरूकता फैलाने की कोशिश की है, लेकिन विदेशों में स्थापित भारतीय मिशनों में तलाकशुदा महिलाओं की शिकायतें इस बात की गवाह है कि प्रवासी भारतीयों के विवाह पंजीकरण को अनिवार्य करने के बावजूद ऐसी तलाकशुदा महिलाएं न्याय पाने के लिए संघर्ष करने को मजबूर हैं।
विदेशों में रह रहे भारतवंशियों द्वारा भारत की युवतियों से शादी करने का ज्यादा क्रेज देखा गया है, लेकिन शादी के बाद विदेश जाने के बाद भारतीय दुल्हनों को उनके साथ किये गये छल का आभास हुआ तो वे न्याय पाने के लिए संघर्ष करती नजर आई और विदेशों में स्थापित भारतीय मिशनों में न्याय के लिए शिकायतों का अंबार लगने लगा तो भारत सरकार के प्रवासी मामलो के मंत्रालय ने पिछले दिनों ऐसी तलाकशुदा महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रवासी भारतीयों के विवाह के लिए पंजीकरण अनिवार्य करके योजनाओं में संशोधन भी किया। सरकार के दावों के बावजूद अनिवासी पतियों द्वारा छोड़ी गई भारतीय दुल्हनों की दुर्दशा को लेकर विभाग संबन्धित संसदीय समिति ने भी सरकार की प्रवासी मामलों की योजनाओं पर लगातार सवाल खड़े किये हैं। संसदीय समिति के रिकार्ड बताते हैं कि पिछले पांच साल में विदेशों में स्थापित भारतीय मिशनों को चार सौ से भी ज्यादा ऐसी शिकायतें मिली हैं जबकि एक चौथाई तलाकशुदा महिलाओं को ही वित्तीय सहायता मिलने की बात सामने आई। समिति की रिपोर्ट के बावजूद सरकार इस दिशा में संबन्धित अन्य मंत्रालयों व विभागों में समन्वय बनाने का कोई प्रयास नहीं हुआ। यही कारण है कि राष्ट्रीय महिला आयोग के पृथक गठित एनआरआई प्रकोष्ठ में आए पांच सौ से ज्यादा मामलों में किया गया निपटारा ऊंट के मुहं में जीरा के समान है। हालांकि प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय ने विदेशों में परित्यक्त भारतीय महिलाओं को कानूनी सहायता प्रदान करने की योजना लागू करने का दावा किया है। इस योजना के अंतर्गत भारतीय दूतावासों की सूची में शामिल गैर सरकारी संगठनों द्वारा विकसित देशों में 3000 डॉलर और विकासशील देशों में 2000 डॉलर की वित्तीय सहायता और कानूनी सहायता प्रदान की जायेगी।
प्रवासी सम्मेलन में उठा मुद्दा
हाल ही में संपन्न हुए प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में भी तलाकशुदा दुल्हनों की दुर्दशा का मामला सामने आया, जिसमें केंद्र सरकार ने विदेशों में भारतीय मिशनों को इस संबन्ध में गंभीरता से कार्यवाही करने के जारी दिशा निर्देशों का हवाला दिया और आश्वासन दिया कि ऐसे मामलों के प्रति भारत सरकार गंभीर है और विदेशों में महिलाओं को तलाक देने या छोड़ने के दोषी प्रवासी भारतीयों के खिलाफ कार्यवाही को अमल में लाना सुनिश्चित किया जा रहा है। इसके तहत आरोपी प्रवासी पतियों पर वारंट या सम्मन जारी होने पर न्यायालय के समक्ष उपस्थिति होकर कार्रवाही में सहयोग के लिए बाध्य करने की दिशा में उनके पासपोर्ट कानूनों के प्रावधान के तहत जब्त या निरस्त करने जैसी योजना भी लागू की जा रही है।
जागरूकता पर बल
प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय ने प्रवासी भारतीयों से शादी करने वाली भारतीय दुल्हनों के लिए एक शैक्षणिक कम जागरूक अभियान शुरू किया है। जिसके तहत 'मैरिजिस टू ओवरसीज इंडियन'' नामक अंग्रेजी, हिन्दी, तेलगू, मलयालम और पंजाबी भाषा में एक निर्देश पुस्तिका प्रकाशित की है। इस पत्रिका में प्रवासी भारतीयों द्वारा परित्यक्त महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित जानकारी, कानूनी सलाह, शिकायतों का निवारण करने वाले प्राधिकारी वर्ग तथा गैर सहायता प्राप्त संगठनों से संपर्क करने से संबंधित जानकारी दी गई है।
17Jan-2014

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