सोमवार, 27 जनवरी 2014

दंगो पर बढ़ने लगी यूपी सरकार की मुश्किलें!

यूपी की हिंसक घटनाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू
ओ.पी.पाल

मुजफ्फरनगर और आसपास के अलावा उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों में हुई हिंसक घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट की गंभीरता और इन दंगों की सुनवाई शुरू कर दिये जाने से राज्य की सपा सरकार की मुश्किलें बढ़ाना शुरू कर दिया है। वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भी दंगों की जांच में यूपी सरकार को कठघरे में खड़ा करती नजर आ रही है।
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और उसके आसपास के जिलों में सितंबर 2013 में हुए दंगों को लेकर जिस प्रकार की सियासत हुई है और उत्तर प्रदेश सरकार ने एक तरफा कार्यवाही करके एक ही वर्ग के दंगा पीड़ितों को आर्थिक मदद व आंसू पौंछने का काम किया है उससे सुप्रीम कोर्ट से यूपी की अखिलेश सरकार को कई बार फटकार भी मिली है। यूपी में सपा सरकार की मुश्किलें इसलिए भी बढ़ना तय माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट इन दंगों की जांच सीबीआई से कराने के साथ-साथ अपना विशेष जांच दल भी गठित करने जैसे आदेश जारी कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अब यूपी में सांप्रदायिक दंगों की अंतिम सुनवाई शुरू कर दी है। प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ इन दंगों की निष्पक्ष जांच के सवाल पर विचार करने के साथ ही दंगा प्रभावित लोगों के लिये राहत और पुनर्वास दायरे की निगरानी भी कर रही है। इस प्रकार की याचिकाएं दंगा प्रभावित क्षेत्रों के वकीलों के अलावा गैर सरकारी संगठनों और दूसरे व्यक्तियों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर कर रखी हैं, जिन्हें स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। न्यायालय ने दंगों की सुनवाई करते हुए कहा कि वह इस समय दंगा प्रभावित जिलों के मुख्य मुद्दे पर विचार केन्द्रित कर रहा है और शीर्ष अदालत के निदेर्शों के कथित उल्लंघन के आरोप में उत्तर प्रदेश सरकार तथा समाजवादी पार्टी के नेतृत्व के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के लिये दायर याचिका पर सुनवाई के बारे में बाद में निर्णय करेगा।
याचिकाओं में की गई मांग
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाके में हुए दंगों में सरकार और प्रशासन पर लगे आरोप लगाते हुए याचिकाओं में यह भी मांग की गई है कि असामाजिक तत्वों को दूर रखने के लिये प्रशासन को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिये जायें और राहत तथा पुनर्वास के उपाय बगैर किसी भेदभाव के सभी दंगा प्रभावित लोगों तक पहुंचाने का निर्देश दिया जाये। याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है कि इस तरह की स्थिति से निबटने में हुई चूक के लिये प्रशासन को जिम्मेदार ठहराने की व्यवस्था भी होनी चाहिए।
सरकार को जारी हुए नोटिस
उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री मो. आजम खां को मुजफ्फरनगर दंगों की बाबत सुप्रीम कोर्ट की ओर से सात नोटिस जारी किये जा चुके हैं। गौरतलब है कि आजम खां पर मुजफ्फरनगर दंगों की साजिश जैसे आरोप लगे हैं और वह एक भी बार मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान या उसके बाद पीड़ितों की सुध लेने भी नहीं गये, लेकिन उन पर आरोप है कि कवाल में दोनों पक्षों की ओर से हुई मौतों में पुलिस द्वारा सबूतों के साथ पकड़े गये आरोपियों को छुड़ाया, जो इन दंगों का कारण बना।
23Jan-2014

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