बुधवार, 15 जनवरी 2014

हवाई अड्डों के निजीकरण पर उठे सवाल!

आम चुनाव से पहले प्रक्रिया पूरी करने में जुटी सरकार
ओ.पी.पाल

देश के हवाई अड्डों का निजीकरण करने के प्रस्तावों पर संसदीय स्थायी समिति द्वारा बार-बार उठाए गये सवालों को दरकिनार करके केंद्र सरकार ने विमानपत्तनों के निजीकरण की प्रक्रिया में तेजी लाना शुरू कर दिया है और फिलहाल सरकार ने छह बड़े हवाई अड्डों को निजी हाथों में सौंपने का ऐलान कर चुकी है, जिससके लिए सरकार आम चुनाव से पहले प्रक्रिया का निपटान करने के प्रयास में है।
लोकसभा चुनाव से पहले सरकार हवाई अड्डों के निजीकरण प्रक्रिया को पूरा करने की जुगत में हैं। मंगलवार को ही नागर विमानन मंत्री चौधरी अजित सिंह ने स्वयं कहा कि आगामी आम चुनाव के मद्देनजर छह हवाई अड्डों के निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए समय कम बचा है, लेकिन किसी तरह यदि प्रक्रिया पूरी भी न हुई तो लोकसभा चुनाव के बाद यदि यह सरकार भी नहीं रहती तो भी यह प्रक्रिया नहीं रूकेगी। उनका तर्क था कि नागर विमानन मंत्रालय ने निजीकरण के इस प्रस्ताव के मसौदे को पहले ही मंजूरी दे चुका है। लेकिन अभी इस प्रक्रिया को कई समितियों से गुजरना होगा और जल्द होने वाली अंतरमंत्रालयीय समूह में भी इस प्रस्ताव पर विचार होना है। सरकार द्वारा हवाई अड्डों की सेवाओं का निजीकरण करने के प्रस्तावों पर विभाग संबन्धित परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबन्धी संसदीय स्थायी समिति ऐतराज जताकर सवाल भी खड़े कर चुकी है।
समिति ने ऐसे किया था ऐतराज
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान ही दोनों सदनों में इस प्रस्ताव पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपने के बाद संसदीय समिति के अध्यक्ष सीताराम येचुरी ने सवाल उठाए थे कि जब इन हवाई अड्डों के आधुनीकीरण में हजारों करोड़ की धनराशि सरकार खर्च कर चुकी है तो अब किसलिए निजी हाथों में सौँपा जा रहा है? समिति ने विमानन मंत्रालय और उसकी समिति कार्यबल के प्रस्ताव पर असहमत होते हुए तर्क दिया था कि एएआई द्वारा अपनी निहित बाध्यताओं के कारण कार पार्किंग, मालवाही सुविधाओं, होटलों, यात्री सुविधाओं की खरीददारी आदि से गैर वैमानिक राजस्वों हेतु संभावनाओं का पूरी तरह से दोहन नहीं किया जा सकता। समिति ने सिफारिश की थी कि हवाई अड्डों पर सेवाओं के निजीकरण के स्थान पर भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण यानि एएआई इनके प्रबंधन का काम अपने हाथों में रख सकता है। सरकार को निजी हाथों में सौंपने के बजाए चेन्नई और कोलकाता व अन्य हवाईअड्डों का संचालन करने की कुछ वर्षो के लिए एएआई को अनुमति दे। सरकार ने समिति की ऐसी सिफारिशों को ठंडे बस्ते में डालकर आम चुनाव से पहले देश के छह बड़े हवाई अड्डों का निजीकरण करने की प्रक्रिया पूरी करने की पूरी तैयारी कर ली है।
निजीकरण में ये हवाई अड्डे शामिल
नागर विमान मंत्री के अनुसार सरकार ने निजीकरण के लिए चेन्नई, कोलकाता, लखनऊ, जयपुर, अहमदाबाद और गुवाहाटी के छह हवाई अड्डों को शामिल किया है जिनका हाल ही में सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय विमानपत्तन प्राधिकार ने आधुनिकीकरण किया है। मंत्रालय के भारतीय विमानन कंपनियों को विदेश में उड़ानें भरने के नियम में ढील देने या पाबंदी खत्म करने के प्रस्ताव पर नागर विमानन मंत्री अजित सिंह ने स्पष्ट किया कि इसके नियम खत्म कर देने पर कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा। नियम खत्म कर देने पर नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा तय नियम से इसका संचालन होगा। मौजूदा नियम के तहत सिर्फ उन कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय वायुमार्ग पर परिचालन की अनुमति है जिनके पास कम से कम 20 विमानें का बेड़ा है और जो पिछले पांच साल के घरेलू वायुमार्ग पर परिचालन कर रहे हैं।
15Jan-2014

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