ओ.पी.पाल
जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं वैसे ही राजनीतिक दलों में मुजफ्फरनगर व आसपास हुए दंगों के कारण टूटे जाट-मुस्लिम गठजोड़ का सियासी लाभ लेने की नीयत से मुस्लिमों को लेकर खींचतान करने की राजनीति तेज होती जा रही है। ऐसे में खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में टूटे गढ़ को संभालने के लिए राष्ट्रीय लोकदल भी मुस्लिमों की सियासत को तेज करने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहता।
रालोद अपने राजनीतिक गढ़ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इन बिगड़े सियासी समीकरणों को संवारने का प्रयास करने में जुटा है। सिर पर लोकसभा चुनाव को देखते हुए रालोद ने मुजμफरनगर व आसपास हुए दंगों को सपा और भाजपा की सियासी साजिश करार देते हुए मुस्लिमों को जाटों के साथ रहने का वास्ता देने वाली अपनी रणनीति खुद के चुनावी क्षेत्र बागपत जिले से शुरू की। सोमवार को बागपत जिले के मुस्लिमों को दोपहर के भोज पर बुलाकर उनकी नाराजगी दूर करने और उनके मनो को जीतने की भरसक कोशिश की। रालोद नेता कोकब हमीद तथा सलीम चौधरी के नेतृत्व में आए बागपत जिले के मुस्लिमों ने एकजुटता का आश्वासन देकर रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह की इस सियासी मुहिम को राहत अवश्य दी। इससे पहले चौधरी चरण सिंह की जयंती पर भी रालोद ने कांग्रेस और जदयू के साथ मिलकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खिसकी राजनीतिक जमीन को हासिल करने के लिए जाट-मुस्लिम गठजोड़ की दुहाई देने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
मुस्लिमों वोट बैंक पर सबकी नजरें
किसी को नहीं मिलेगा बहुमत
यूपीए के घटक दल राष्ट्रीय लोक दल प्रमुख चौधरी अजित सिंह दंगों के कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सियासी जमीन कमजोर होने की बात तो स्वीकारते हैं। वहीं उन्होंने यह भी दावा किया है कि राजनीतिक दंगे कराकर भी भाजपा और सपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कोई राजनीतिक लाभ मिलने वाला नहीं है। उन्होंने इस बात को तो माना कि भाजपा का ग्राफ बढ़ा है, लेकिन चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों को पूरी तरह खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि आने वाले लोकसभा चुनाव में जहां यूपीए को बहुमत नहीं मिल पाएगा, तो वहीं भाजपा भी सत्ता में आने की स्थिति में नहीं होगी। उनका कहना था कि इन चुनाव में खंडित जनादेश के ज्यादा आसार हैं। एक सवाल के जवाब में अजित सिंह ने कहा कि दंगों के कारण लोगों की नाराजगी स्वाभाविक है, लेकिन उनका जनाधार कायम रहेगा।
28Jan-2014
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