सोमवार, 20 जनवरी 2014

लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाने में जुटा रालोद!

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गढ़ बचाने की चुनौती
ओ.पी.पाल

मुजफ्फरनगर व आसपास के दंगों से बिखरे अपने वोट बैंक को संजोने के लिए यूपी की सरकार के खिलाफ आंदोलन के जरिए सड़कों पर उतरकर किसानों व गांव की राजनीति के साथ आम आदमी की बुनियादी सुविधाओं के लिए राष्ट्रीय लोकदल ने आंदोलन की रणनीति शुरू की है। इसी रणनीति से रालोद आगामी लोकसभा की चुनावी रणनीतियों को अमलीजामा पहनाने की तैयारी में है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यूपी की सरकार और उसका नेतृत्व कर रही समाजवादी पार्टी की वोट बैंक नीतियों और उसके बाद मुजफ्फरनगर और आसपास हुए दंगों से अपना राजनीतिक वजूद खोता देख रालोद ने चुनावी रणनीति को मजबूत बनाने में सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है। दंगों के कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट-मुस्लिम गठजोड़ के बिखराव से आहत रालोद ने वैसे तो चौधरी चरण सिंह की जयंती पर अपनी राजनीतिक जमीन को संवारने की कवायद शुरू कर दी थी, लेकिन रालोद के गढ़ में सपा के बिछाए जाल से वह अभी उबरती नजर नहीं आई। इसलिए आगामी लोकसभा चुनाव को नजदीक आते देख रालोद ने सूबे की सपा सरकार के खिलाफ किसानों की समस्याओं के साथ आम जनता की मांगों और प्रशासनिक व सपा कार्यकर्ताओं की कथित तानाशाही के खिलाफ सड़कों पर उतरकर आंदोलनों के जरिए आर-पार की लड़ाई को अंजाम दिया। रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह ने हाल ही में नई दिल्ली में उत्तर प्रदेश के पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाकर इस रणनीति को अंतिम रूप दिया। सूत्रों के अनुसार रालोद हाईकमान ने यूपी के सभी सांसदों और विधायकों को इन आंदोलन का नेतृत्व करने का भी फरमान दिया है, ताकि यूपी में सपा कार्यकर्ताओं के इशारे पर प्रशासन के तानाशाह रवैये के खिलाफ सपा की जनविरोधी नितियों को उजागर किया जा सके। रालोद के सामने आम चुनाव में अपने गढ़ को बचाने की भी चुनौती है इसलिए रालोद कार्यकर्ताओं को गांव-गांव जाकर किसानों और ग्रामीणों का दर्द सुनने की हिदायत दी गई है।
उत्पीड़न का आरोप
रालोद के सांसद संजय सिंह चौहान ने आरोप लगाया है कि प्रदेश का किसान सपा सरकार की नीतियों के कारण भुखमरी के कगार पर हैं और दूसरी ओर सपा नेताओं के इशारों पर रालोद कार्यकर्ताओं को किसानों की आवाज बुलंद करने पर उत्पीड़न करने की नीति ही नहीं अपनाई जा रही, बल्कि उन्हें गिरफ्तार तक किया जा रहा है। मुजफ्फरनगर  के जिलाधिकारी पर आरोप है कि रालोद कार्यकर्ताओं के आंदोलन में उनका ज्ञापन तो नहीं लिया , बल्कि रालोद कार्यकर्ताओं को जबरदस्ती जेल भेजा गया। इसी कारण रोलाद को सपा सरकार के खिलाफ आंदोलन करके आर-पार की लड़ाई की रणनीति को अंजाम देना पड़ा है। एमएलसी मुश्ताक चौधरी ने सपा सरकार को किसान व विकास विरोधी बताते हुए चेतावनी दी है कि रालोद आर-पार की लड़ाई को
तैयार है।
20Jan-2014

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