सोमवार, 5 अगस्त 2013

विपक्ष की बदलती भूमिका से घिर सकती है सरकार!

संसद का मानसून सत्र आज से
ओ.पी. पाल

सोमवार से आरंभ हो रहे संसद के मानसून सत्र के दौरान राजनीतिक दलों की सरकार को संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने के लिए दिये आश्वासन के बावजूद विपक्षी दलों की भूमिका बदलती नजर आने लगी है, जिसके कारण संसद में कई मुद्दों पर यूपीए सरकार घिर सकती है।
यूपीए सरकार के लिए संकटमोचक की भूमिका में रही समाजवादी पार्टी उसे बाहर से समर्थन देने के बावजूद आईएएस दुर्गाशक्ति नागपाल के मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के तेवरों से भड़क गयी है। नाराज सपा ने कह दिया है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक पर उनकी पार्टी सरकार के समर्थन में वोट नहीं करेगी। प्रमुख विपक्षी दल भाजपा की भूमिका में भी रविवार को पार्टी की कोर कमेटी की बैठक के बाद बदलाव देखा गया। उसने भी कई मुद्दों पर सरकार को संसद में घेरने की रणनीति तैयार कर ली है। उधर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस भी पेट्रोल-डीजल और अन्य आवश्यक वस्तुओं के दामों में बढ़ोतरी के साथ तेलंगाना जैसे राज्यों के गठन की कार्यवाही का विरोध करने का पहले ही ऐलान कर चुकी है। वह सरकार से सदन में यह आश्वासन चाहती है कि देश में किसी नए राज्य के गठन पर विचार नहीं होगा। यही नहीं जैसे जैसे सत्र आगे बढ़ेगा वैसे ही राजनीतिक दलों की भूमिका में सरकार के रवैये को देखकर भूमिकाएं बदलती नजर आएंगी?
62 विधेयक बनाम 16 दिन
मानसून सत्र से पहले आयोजित दो सर्वदलीय बैठकों में प्रमुख विपक्षी दलों ने मानसून सत्र के विस्तार पर विचार करने का यह कहकर अनुरोध किया था कि 16 बैठकों में 62 विधेयकों को संसद में पेश करना नामुमकिन है, जिसमें चार दिन में गैर सरकारी विधेयक भी पेश होने के लिए सामने आएंगे। सरकार के एजेंडे में इस सत्र में 62 विधेयकों में पांच अध्यादेश हैं जिन्हें संसद विधेयक के जरिए कानूनी रूप दिया जाना है, जिसमें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक सरकार की प्राथमिकता में है। जब कि 14 नये विधेयको के अलावा दोनों सदनों में पटल पर लाने के बाद पास कराने वाले 37 बिल ऐसे हैं, जिनमें से राज्यसभा में पास हो चुके तीन बिलों को लोकसभा की मंजूरी का इंतजार है, जबकि इसी प्रकार लोकसभा में पारित हो चुके सात विधेयक ऐसे हैं जिन्हें राज्य सभा में पास कराने के लिए पेश किया जाना है। इसके अलावा चार बिलों को वापस करने के लिए पेश किया जाएगा।
इन बिलों के लटकने के आसार
मानसून सत्र के विधायी कार्यो में सरकार की कार्यसूची में कई ऐसे विधेयक भी शामिल हैं जो पिछले सालों में आयोजित संसद के सत्रों की कार्यसूची में आते रहे और फिर बारी-बारी से ठंडे बस्ते में जाते रहे हैं। इस बार भी उन विधेयकों को सूचीबद्ध किया गया है। एसे प्रमुख बिलों में वर्ष मार्च 2009 में राज्यसभा में पारित हुआ महिला आरक्षण बिल भी शामिल है, इसके अलावा लोकसभा में पारित लोकपाल विधेयक के अलावा किसानों की जमीनों के अधिग्रहण के कानूनी रूप देने वाला भूमि अधिग्रहण विधेयक, विवाह कानून, व्हीसल ब्लोअर बिल, डायरेक्ट टेक्स कोड बिल आदि प्रमुख रूप से शामिल है, जो इस बार भी ठंडे बस्ते में जा सकते हैं। 
05Aug-2013

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