शनिवार, 3 अगस्त 2013

डीजीसीए की जगह जल्द लेगा नागर विमानन प्राधिकरण!

मानसून सत्र में पेश होगा नागर विमानन प्राधिकरण विधेयक
ओ.पी. पाल

केंद्र सरकार की नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) की जगह नए नियामक के रूप में नागर विमानन प्राधिकरण यानि सीएए के गठन संबन्धी विधेयक मानसून सत्र में पेश किया जाएगा, जिसे सरकार ने विधायी कार्यो की सूची में भी शामिल कर लिया है। मसलन डीजीसीए से कहीं ज्यादा शक्तियों वाला नया नियामक सीएए जल्द ही अस्तित्व में आ जाएगा,ऐसी उम्मीद नागर विमानन मंत्रालय ने भी जताई है।
आगामी पांच अगस्त से आरंभ होने वाले संसद के मानसून सत्र में विमानन क्षेत्र के बेहतर विनियमन के लिए एक शक्तिशाली नागर विमानन प्राधिकरण गठित करने वाले नागर विमानन प्राधिकरण विधेयक-2013 को सरकार के एजेंडे में वरीयता क्रम के पांचवे स्थान पर सूचीबद्ध किया गया हैं। मौजूदा डीजीसीए के पास वित्तीय अधिकार सीमित होने के कारण वह गतिशील नागर विमानन क्षेत्र की मांगों को पूरा करने में असमर्थ है। इसीलिए पिछले कई सालों से सरकार की डीजीसीए के स्थान पर नया नियामक बनाने की जारी कवायद कर रहा था, जिसके प्रस्तावित मसौदे को पिछले महीने जुलाई में ही केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दी है। नागर विमानन मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि से बातचीत के दौरान बताया कि इस नये नियामक को गठित करने का मकसद विमानन क्षेत्र के ढांचे को मजबूत करना है, क्योंकि नए नियामक के पास कामकाज और वित्तीय मामले में पूर्ण स्वायतत्ता होगी। सीएए हवाई परिवहन आपरेटरों, हवाई सेवा निगरानी एवं अन्य नागर विमानन सुविधाओं के आलावा आपरेटरों की व्यवस्था पर निगरानी जैसे प्रबंध करने के साथ नागर विमानन सुरक्षा का नियमन भी करेगा। वहीं इस विधेयक में उपभोक्ता संरक्षण और नागर विमानन क्षेत्र में पर्यावरण नियमन संबंधी मामलों को देखने के लिए सीएए को अधिकार देने का प्रावधान किया गया है। इस प्राधिकरण के गठन के साथ ही सरकार एक ऐसे स्वतंत्र विमान दुर्घटना जांच बोर्ड का भी गठन करेगी, जिससे विमान यात्रियों के हितों की रक्षा के उपाय कर सके।
ऐसा होगा सीएए का ढांचा
नागर विमानन मंत्रालय के अनुसार इस नए नागर विमानन प्राधिकरण में एक चेयरपर्सन, एक महानिदेशक और सात से नौ सदस्यों के अलावा पांच पूर्णकालिक सदस्य भी शामिल किये जाएंगे। सूत्रों के अनुसार नागर विमानन प्राधिकरण के गठन पर करीब 112 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। वहीं इस प्राधिकरण का एक अलग से कोष होगा, जिसका इस्तेमाल कर्मचारियों के वेतन सहित उसके कार्य संचालन संबधी सभी खर्चो के लिए किया जा सकेगा। इस प्राधिकरण को ऐसी शक्तियां दी जाएंगी, जिसमें वह आदेशो और निदेर्शों का पालन न करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों, आॅपरेटरों, कंपनी और सरकारी विभाग को भी दंडित कर सके। 
03Aug-2013

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