बुधवार, 7 अगस्त 2013

दो सांसदों के आगे यूं बेबस दिखा उच्च सदन!

तेलंगाना मुद्दे पर बार-बार स्थगित हुई कार्यवाही
ओ.पी. पाल

संसद के मानसून सत्र में दूसरे दिन भी राज्यसभा में पृथक तेलंगाना के विरोध में तेदेपा के मात्र दो सांसदों का आसन के करीब नारेबाजी के साथ हंगामा जारी रहा। इन दो सांसदों के सामने उच्च सदन इतना बेबस दिखा कि सदन की कार्यवाही को सुचारू करने के प्रयास में बार-बार स्थगित करना पड़ा।
उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होते ही में तेलंगाना के विरोध में ‘सेव आंध्र प्रदेश’ और ‘वी वांट जस्टिस’ के नारे लगाते हुए हाथों में अपनी मांग का पोस्टर लेकर तेलगू देशम पार्टी के दो सांसद सीएम रमेश और वाईएस चौधरी आसन के करीब वेल में आ गये। हालांकि उस समय पुंछ में पाक की गोलाबारी में शहीद हुए पांच सैनिकों के मामले पर प्रमुख विपक्षी दलो के साथ अन्य दल भी सदन में प्रधानमंत्री के बयान की मांग कर हंगामा कर रहे थे। तेदेपा सदस्यों को अपनी मांग के अलावा अन्य किसी मुद्दे से कोई सरोकार नहीं था, जिसका कारण था जब भी सदन की कार्यवाही शुरू हुई वे अपनी मुहिम पर अडिग रहे। पीठ से बार बार उन्हें शांत होकर सीट पर जाने को भी कहती रही और उनके खिलाफ संसदीय नियमों के तहत कार्यवाही की भी चेतावनी देती रही, लेकिन वे टस से मस नहीं हुए और लगातार सदन की कार्यवाही के दौरान बाधक बने रहे। सदन में उत्तराखंड त्रासदी पर चर्चा के समय सत्ता और विपक्ष के सभी डिस-आर्डर सदन को आर्डर में लाने की पीठ से मांग भी करते रहे, लेकिन सदन तेदेपा के दोनों सांसदों के सामने बेबस नजर आया।
लगातार चलती रही मंत्रणा
तेलंगाना मुद्दे की इस गूंज के कारण उच्च सदन की आठ बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। खास बात यह देखी गई पहली बार 45 मिनट के स्थगन और भोजनावकाश के एक घंटा पांच मिनट के अलावा ज्यादातर समय सदन की कार्यवाही को दस या 15 मिनट के लिए ही स्थगित किया गया है। इस अल्प अवधि के स्थगन का कारण उपसभापति और केंद्रीय मंत्रियों व विपक्षी दलों के साथ सदन की कार्यवाही को सुचारू करने के लिए तेदेपा सदस्यों को हंगामे से रोकने के लिए मंत्रणा के लिए होता रहा, लेकिन जब इस समस्या का समाधान नहीं निकला तो उप सभापति प्रो.पीजे कुरियन ने संसदीय नियमों को सहारा लेने का फैसला कर लिया। जब सदन की कार्यवाही दस मिनट के स्थगन के बाद 2.33 पर शुरू हुई तो सदन में दाखिल हो चुके संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ सख्त मूड में दिखे, जिन्होंने बोलते हुए सदन को बताया कि कल से लगातार इन सांसदों के कारण विधायी कार्य नहीं हो रहे हैं ऐसे में इन दोनों के खिलाफ नियम 255 के तहत कार्यवाही लागू होनी चाहिए, जो पीठ के अधिकार क्षेत्र में हैं।
सरकार के खिलाफ ऐसे एकजुट दिखा विपक्ष
तेदपा के दोनों सांसदों के खिलाफ नियम 255 के तहत कार्यवाही कराने की सरकार की मंशा पर उस समय पानी फिरा, जब इस तेदपा सदस्यों पर कार्यवाही के खिलाफ समूचा विपक्ष एकजुटता के सामने खड़ा नजर आया। प्रतिपक्ष नेता अरुण जेटली ने केंद्रीय मंत्री कमलनाथ को नसीहत दी कि पहले कांग्रेस अपने घर को नियंत्रित करे और इन सांसदों के खिलाफ इस कार्यवाही को करने से पहले उन नौ कांग्रेस के सांसदों पर कार्यवाही करे, जो तेलंगाना के विरोध में कल सोमवार को पूरे दिन तेदपा के साथ मिलकर लोकसभा में इसी प्रकार का हंगामा करते रहे। जेटली की इस नसीहत का सदन में उन सभी दलों ने समर्थन किया, जो तेलंगाना जैसे छोटे राज्य बनाने के पक्षधर भी हैं। मसलन तेदपा के इन दोनों सांसदो के सामने यहां भी सरकार को मुहं की खानी पड़ी। इस मसले को लेकर हंगामा होता देख फिर सदन की कार्यवाही को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया और इन सांसदों के वेल में अपनी नारेबाजी जारी रखने के बावजूद उत्तराखंड त्रासदी पर अधूरी अल्पकालिक चर्चा को पूरा कराया गया।
आपस में भिड़े कांग्रेसी सांसद
आंध्र के साथ न्याय की मांग को लेकर जब जब तेदेपा सदस्यों की लगातार नारेबाजी जारी रही तो आंध्र प्रदेश के ही तेलंगाना के समर्थक कांग्रेस सांसद पी. गोवर्धन रेड्डी ने उनके खिलाफ सीमांध्र सदस्यों को तेलंगाना से बाहर चले जाना चाहिए जैसी टिप्पणी कर दी। इस टिप्पणी पर आपत्ति जताने वाले कांग्रेस के ही केंद्रीय मंत्री जेसुदासु सीलम और गोवर्धन रेड्डी के बीच तीखी झड़पों के साथ बहस शुरू हो गई। सीलम की आपत्ति का कांग्रेस की ही रेणुका चौधरी ने भी समर्थन किया। बाद में अंबिका सोनी समेत सत्तापक्ष के सदस्यों ने हस्तक्षेप करके मामला शांत कराया
07Aug-2013

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