शनिवार, 10 अगस्त 2013

जांच के चक्रव्यूह में फंसे 21 विमानन अधिकारी!

दो अधिकारियों के गले में पड़े हैं दो-दो मामले
ओ.पी. पाल

नागर विमानन महानिदेशालय के ऐसे 21 अधिकारी अभी भी जांच के चक्रव्यूह में फंसे हुए है, जिन पर नियमों के दायरों से बाहर जाकर सरकारी खजाने को करोड़ो की चपत लगाने ,अपने पदों का दुरूपयोग करते हुए परिजनों को रोजगार देने के अलावा फर्जी दस्तावेजों पर पायलट लाइसेंस जारी करने के आरोप हैं।
नागर विमानन क्षेत्र में फर्जी दस्तावेजों के जरिए कार्मशियल पायलट लाइसेंस और एयरलाइन ट्रांसपोर्ट पायलट लाइसेंस पाने वालों के गोरखधंधे पिछले सालों में सार्वजनिक हो चुके हैं और जांच में यह भी साबित हो चुका है कि इस गोरखधंधे में नागर विमानन महानिदेशालय के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत रही है। नागर विमानन मंत्रालय के एक अधिकारी ने ऐसे हवाई फर्जीवाड़े के बारे में बताया कि डीजीसीए के कुछ अधिकारियों ने सरकार की अनुमति के बिना अपने परिवार के सदस्यों को विमानन क्षेत्र में नौकरियां दी हैं तो कुछ अधिकारियों पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पायलट लाइसेंस जारी करने का आरोप है, जिसके कारण सरकारी खजाने को करोड़ों के राजस्व की चपत लगाई जा चुकी है। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार ऐसे अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले भी दर्ज हैं जिनकी जांच केंद्रीय सर्तकता आयोग, मंत्रालय के सर्तकता विभाग और क्राइम ब्रांच व अन्य विशेषज्ञ जांच एजेंसियों से भी कराई जा रही है। नागर विमानन मंत्रालय के अनुसार फिलहाल डीजीसीए में 19 अधिकारियों की जांच सतर्कता विभाग व अन्य एजेंसी कर रही हैं, जिनमें आठ मामलों की जांच रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी गई हैं और इन अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त दंडनात्मक कार्यवाही की सिफारिश की गई है। जबकि दस मामलों में अभी जांच एजेंसियों की जांच जारी है। डीजीसीए में निजी सचिव टीके गोपीनाथ ने अपनी पत्नी के लिए मुμत टिकट हासिल करने के लिए नियमों का उल्लंघन करने के आरोप को स्वीकार कर लिया था, जिसके कारण उसके खिलाफ जांच नहीं की गई और भारी जुर्माना लगाकर निपटान किया गया।
ऐसे उड़ी नियमों की धज्जियां
मंत्रालय के अनुसार डीजीसीए के जांच के चक्रव्यूह में फंसे अधिकारियों में संयुक्त महानिदेशक चरणदास, निदेशक वीपी मैसी, सहायक निदेशक एमएम कौशल, राजीव गौड, सहायक निदेशक जेम्स जॉर्ज व आरके यादव के अलावा उप निदेशक आरएस पासी, कनिष्ठ पायलट कैप्टन वीएस नेहरा पर सरकार से अनुमति लिये बिना विमानन क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने का आरोप है। जबकि जांच के दायरे में शामिल उप निदेशक ए के भारद्वाज पर डीजीसीए के एक अधिकारी की पुत्री को उड़ान घंटों के बिना समुचित सत्यापन के लाइसेंस देने में मदद करने, उप महानिदेशक बीर सिंह राय व संयुक्त महानिदेशक ए के शरण पर 28 प्लाइंग स्कूलों को नियमों से बाहर जाकर मदद करने तथा बिना सत्यापन के एआईसी जारी करके करोड़ो का चूना लगाने का आरोप है। इसके अलावा निदेशक सीपीएमपी राजू अपने परिजनों के साथ निजी यात्रा के लिए निशुल्क टिकट और एयरलाइंस का मोबाइल फोन इस्तेमाल करने के मामले की जांच झेल रहे हैं। इसी प्रकार उप महानिदेशक आरके खन्ना, निदेशक सुदीप्ता दत्ता, उड़ान योग्यता नियंत्रक व उप निदेशक राजू भटनागर जांच के दायरे में हैं।
शरण की बहाली पर सवाल
केंद्रीय सतर्कता आयोग की भारी दंडात्मक कार्यवाही करने की सिफारिश के बाद डीजीसीए में संयुक्त महानिदेशक एके शरण को मार्च 2012 में निलंबित कर दिया गया था, जिन्हें नागर विमानन मंत्री अजित सिंह ने पिछले साल अगस्त में इसी पद पर उनकी बहाली कर दी थी। इस बहाली पर उठे सवालों पर मंत्रालय ने कहा था कि उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे व मामलों की जांच जारी रहेगी। वहीं मंत्रालय ने शरण के खिलाफ मामले की जांच नागर विमानन मंत्रालय के मुख्य सतर्कता अधिकारी को सौंप दी थी। एके शरण पर 2005 में 28 μलाइंग स्कूलों को अनुचित छूट देकर सरकारी खजाने को कथित तौर पर 190 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने का भी आरोप है जिसकी जांच जारी है।
सीबीआई का शिकंजा
पिछले साल मार्च में हुई पायलट लाइसेंस परीक्षा का तकनीकी सामान्य पत्र लीक करने के मामले में कैप्टन एचएस मल्होत्रा के खिलाफ सीबीआई जांच जारी है जिसकी मंत्रालय को रिपोर्ट का इंतजार है। इसी प्रकार डीजीसीए उप निदेशक राजू भटनागर के खिलाफ निजी कंपनी के साथ वाणिज्यक लेन-देन करने का मुकदमा सीबीआई के पाले में है। इसके अलावा जाली पायलट लाइसेंस के मामले में ए डी प्रदीप कुमार, ड्राμटमैन कासिम अंसारी व महानज्योति भट्टाचार्य के अलावा टीके गोपीनाथ, निलंबित राजू भटनागर के खिलाफ अपराध शाखा भी जांच कर रही है।
10AUG-2013

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