सोमवार, 5 अगस्त 2013

संसद का मानसून सत्र :चर्चा भी होगी और कार्यवाही भी चलेगी!

सरकार और विपक्षी दल एक-एक कदम बढ़ाने को तैयार
ओ.पी. पाल
यूपीए-2 के कार्यकाल में शायद यह पहला मौका है कि कुछ मुद्दों को छोड़कर सरकार और विपक्षी दल ज्यादातर मामलों पर आपस में एक-एक कदम बढ़ाने को तैयार हैं, जिसमें खासतौर से मानसून सत्र के दौरान सरकार विपक्षी दलों के हर मुद्दे पर चर्चा कराने का तैयार हो रही है तो विपक्ष भी संसद की कार्यवही को सुचारू रूप से चलाए जाने में सहयोग का आश्वासन दे रहे हैं।
संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ द्वारा तीन दिन पहले बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में ही सरकार और विपक्षी दलों ने ज्यादातर मामलों में आमसहमति के रास्ते को अख्तियार करने के संकेत दिये थे। उसी तरह संसद सत्र से पहले लोकसभा अध्यक्ष द्वारा आयोजित सर्वदलीय बैठक में भी शनिवार को यहां उसी औपचारिकता को पूरा किया गया है। हालांकि आगामी लोकससभा चुनाव के मद्देनजर सभी दलों को जनता के बीच जाना है और राजनीतिक दलों पर सुप्रीम कोर्ट का शिकंजा कसे जाने का भी राजनीतिक दलों की अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर एकजुट होने की मजबूरी माना जा रहा है। इसीलिए यूपीए-2 के शासनकाल में पहली बार सर्वदलीय बैठकों में एक-दूसरे के मुद्दों पर गतिरोध के स्वर नाममात्र को ही देखने पर मिले, जिनमें तेलंगाना को अलग राज्य बनाने के निर्णय पर असमंजस में पड़ी कांग्रेसनीत सरकार के सामने छोटे राज्यों के पक्षधर और इनका विरोध करने वाले दलों से मुश्किलें खड़ी होने की संभावनाएं हैं, इसलिए सरकार ने तेलंगाना को कैबिनेट की मंजूरी के बावजूद संसद के मानसून सत्र के एजेंडे से अलग ही रखा है, जिसके लिए वह संसद में राजनीतिक दलों की नब्ज टटोलने के बाद ही किसी फैसले पर आगे बढ़ सकती है। बहरहाल लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती मीराकुमार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में उन्हें राजनीतिक दलों के साथ माथापच्ची नहीं करनी पड़ी, जिसके कारण मीरा कुमार और स्वयं सरकार को भी ऐसी उम्मीद है कि संसद के पांच अगस्त से शुरू होने वाले मानसून सत्र में पिछले सत्रों की अपेक्षा ज्यादा कामकाज निपटाया जा सकेगा।
खाद्य सुरक्षा विधेयक सरकार की प्राथमिकता
सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने पर राजनीतिक दलों ने सकारात्मक संकेत दिये हैं उससे प्रधानमंत्री को भी उम्मीद है कि यह सत्र रचनात्मक और फलदायी साबित होगा। बैठक के बाद बाहर आने पर पत्रकारों के समक्ष उन्होंने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश को विधेयक में बदलने की प्रक्रिया को आवश्यक बताते हुए कहा कि अन्य लंबित बिलों में इसकी महत्ता कहीं महत्वपूर्ण हैं। हालांकि सरकार के सामने ऐसे छह विधेयक हैं जिन्हें विधेयक में बदलना है। सरकार की प्राथमिकता में प्रतिष्ठा पर लगे इस विधेयक के बदले ही शायद सरकार ने विपक्षी दलों को आश्वासन दिया है कि सरकार उनके हर मुद्दे पर चर्चा कराने को तैयार है।
यहां हो सकता है विरोध
यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन कर रही समाजवादी पार्टी ने कहा है कि उसे नहीं लगता कि मानसून सत्र सुचारू रूप से नहीं चल पाएगा। खासकर तेलंगाना मामले पर तृणमूल कांग्रेस सरकर का सदन में यह बयान चाहती है जिसमें सरकार आश्वासन दे कि वह तेलंगाना या काई अन्य नया राज्य नहीं बनाएगी। तृणमूल का तर्क है कि यदि तेलंगाना को अलग राज्य बना दिया गया तो देश में अन्य राज्यों की मांग को लेकर देशभर में अशांति फैलने की आशंका टाला नहीं जा सकेगा। उधर प्रमुख विपक्षी दल भाजपा तेलंगाना को अलग राज्य बनाने की मांग उठाते हुए उसका समर्थन करने पहले ही आश्वासन दे चुकी है।
04Aug-2013

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