सोमवार, 19 अगस्त 2013

तो फिर लगेगा महत्वपूर्ण बिलों पर ग्रहण!


मानसून सत्र: सरकार लक्ष्य से कोसो दूर
ओ.पी. पाल 
संसद का मानसून सत्र की अभी तक संपन्न हुई लगभग आधी बैठकों में जिस प्रकार सरकार मात्र तीन ही विधेयकों को पारित करा पाई है। संसद की इस तरह बाधित कार्यवाही को देखते हुए ऐसी कोई संभावना नजर नहीं आती कि शेष अवधि में सरकार इस के लिए निर्धारित लक्ष्य को हासिल कर लेगी। ऐसे में अनेक महत्वपूर्ण विधेयकों जो लंबे समय से लंबित चल रहे हैं पर फिर से ग्रहण लग सकता है।
संसद के गत पांच अगस्त से आरंभ हुए मानसून सत्र के लिए विधायी कार्यो में सरकार के लक्ष्य में 62 विधेयक शामिल थे,जिनके लिए 16 बैठकें निर्धारित हुई थी। इन बैठकों में अभी तक सात बैठकों के दौरान लोकसभा में एक भी विधेयक पर सदन की मुहर नहीं लग सकी हैं और केवल कंपनी(संशोधित) विधेयक और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (संशोधित) विधेयकों के अलावा नेशनल वाटरवे विधेयक ही पारित हो चुके हैं। ये तीनों बिल राज्यसभा में पारित हुए, जिनमें कंपनी विधेयक और नेशनल हाइवे बिल लोकसभा के पिछले सत्रों में पारित हो चुके थे। लोकसभा में हालांकि यूपीए अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के ड्रीम प्रोजेक्ट माने जाने वाले राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को भी अन्य कुछ बिलों के साथ पेश किया जा चुका है, लेकिन अभी तक खाद्य सुरक्षा विधेयक की चर्चा अधूरी पड़ी हुई है। यहां तक कि लोकसभा में पहले दिन ही सिर पर मैला ढोने की प्रथा को रोकने वाले संविधान(अजा) आदेश(संशोधन) विधेयक को केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कुमारी ने पेश किया था, जिसके लिए अभी तक चर्चा ही शुरू नहीं कराई जा सकी। संसद के इस सत्र में करीब सात बैठकें ही और होने की संभावना है जिसमें दूर तक भी ऐसा नजर नहीं आता कि केंद्र सरकार एजेंडे में शामिल विधायी कार्यो के लक्ष्य को हासिल कर पाये। ऐसे में भूमि अधिग्रहण विधेयक, लोकपाल विधेयक, पेंशन फंड रेगुलेटरी बिल, सेबी बिल, न्यूक्लियर सेफ्टी अथॉरिटी रेगुलेटरी बिल, नागर विमानन प्राधिकरण विधेयक, व्हीसल ब्लोअर विधेयक, डीटीसी विधेयक जैसे अनेक महत्वपूर्ण विधेयकों के एक बार फिर से ठंडे बस्ते में जाने की आसार बने हुए हैं।
इन विधेयकों पर सब एकजुट
संसद के मौजूदा सत्र में केंद्र सरकार की प्राथमिकता में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक पर जहां प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, वहीं केंद्रीय सूचना आयोग के उस आदेश को बेअसर करने की दिशा में सूचना का अधिकार(संशोधन) विधेयक भी लोकसभा में पेश कर दिया गया है। इसके साथ ही राजनीतिक दलों पर शिकंजा कसने वाले सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को भी ध्वस्त करने की तैयारियों में जनप्रतिनिधित्व कानून(संशोधन) विधेयक को पारित कराने के लिए तमाम राजनीतिक दल एकजुट है, जिसमें दागियों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने के आदेश दिये गये थे। राजनीतिक दलों की एकजुटता के सामने इन दोनों विधेयकों को पारित कराना तय माना जा रहा है। भले ही खाद्य सुरक्षा बिल पर राजनीतिक दलों की किचकिच सामने आ जाए।
आज नहीं होगी लोकसभा की कार्यवाही?
मानूसन सत्र के दौरान छत्तीसगढ़ के भाजपा मौजूदा लोकसभा सांसद दिलीप सिंह जूदेव के निधन के कारण 19 अगस्त सोमवार को लोकसभा की कार्यवाही श्रद्धांजलि के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित हो सकती है, जैसा की संसद की परंपरा भी है कि मौजूदा सांसदों के निधन के कारण कार्यवाही स्थगित कर दी जाती है। वहीं 20 अगस्त को रक्षा बंधन के पर्व के कारण भी संसद सत्र की कार्यवाही न चलाने का निर्णय लिया जा सकता है, लिहाजा इस सत्र में बामुश्किल छह दिन या सात दिन की बैठक और होगी, जिसमें तमाम महत्वपूर्ण विधेयकों पर ग्रहण लगने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
19Aug-2013

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